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मैं और मेरी कविता भाग-10

न्यूज जंक्शन-18 वेब पोर्टल के पहले भाग से चला साहित्यिक सफर अपने दसवें सोपान तक आ पहुंचा है। हमारी साहित्य टीम सभी रचनाकारों व हमारे पाठकों के प्रति पूर्णतः कृतज्ञ है। पोर्टल के इस मंच पर प्रकाशित सामाजिक, सांस्कृतिक सरोकार की रचनाओं के अलावा अन्य रसों की आमजन तक पहुंची रचनाएं खूब सराही गई। दसवें सोपान में में नितेश जोशी, बड़नगर, श्वेता उपाध्याय रतलाम, शांतिलाल गोयल (शांतनु) रतलाम तथा दिनेश बरोट ‘दिनेश’ की कविताओं से मुखातिब करवा रहे हैं।

जलज शर्मा
संपादक, न्यूज जंक्शन-18
212, राजबाग़ कॉलोनी रतलाम (मप्र)
मोबाइल नंबर 9827664010

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कविताओं के प्रमुख चयनकर्ता
संजय परसाई ‘सरल’
शक्तिनगर, रतलाम
मोबाइल नंबर 9827047920
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सेवा का सम्मान

अस्पताल में आय सी यू के
बाहर बैठे बैठे
सोच रहा था
क्या कर रहे होंगे
पिता लेटे लेटे।

उनका विराट व्यक्तित्व
कितना असहज हो
गया है।
रोज कई लोगों से
बतियाते बितते
उनके दिन और रात
आज एकांत में
बदल गये है।

आज बेशक वो
अस्पताल के उस
कमरे में अकेले है,
पर अस्पताल के
उस कमरे के
बाहर
प्रार्थना, दुआ
में उठे
हजारों हाथ
साक्षी है
उनके किये
गये कार्यो के।

यही संख्या
सेवा का सम्मान है
जो किसी कागज के
प्रमाण पत्र का
मौहताज नहीं।

-नितेश जोशी, बड़नगर
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बस एक टुकड़ा

आज रात,
मैंने खिड़की से झांका था ठंडी पुरवाई के साथ,
मैंने आसमान मैं कुछ ढूंढा था,
नयन तारों के साथ ……
हां ,
कुछ दिखा था आसमान में, बस एक टुकड़ा चाँद का,
बस एक टुकड़ा भर मेरे हिस्से में…….

-श्वेता उपाध्याय
रतलाम
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प्यार का गीत

दो दिन के बाद चला जाऊंगा मैं
प्यार के गीत सुना जाऊंगा मैं।

चार दिन की चांदनी बाकी अंधेरी रात है
प्यार की ही रोशनी प्यार की ही बात है
इन अंधेरों में एक शमा जला जाऊंगा मैं।

न कुछ लेके आए थे न कुछ लेके जाना है
यहां का कर्ज़ सब हमको यही चुकाना है
हर एक शख्स को यह राज बता जाऊंगा मैं।

हर आंख में नफरत हर लब पे शिकायत है
फिजूल का झगड़ा बस व्यर्थ कवायद हैं
यही रिवाज इस जमाने को बता जाऊंगा मैं।

रंगों में बहते लहू का रंग अलग तो नहीं हैं
यह बात हजारों ने हजार बार कही है
तुम कहो तो जिगर चीर कर दिखा जाऊंगा मैं।

तुम्हीं से प्यार मिला नफरत मिली करार मिला
खुशी मिली तो कभी गम बेशुमार मिला
तुम्हारी सौगात है तुम पर ही लूटा जाऊंगा मैं।
प्यार का गीत सुना जाऊंगा मैं।

-शांतिलाल गोयल (शांतनु) रतलाम।
9425329414
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राम के आंसू


हे नरोत्तम नयन नम ,ना अपने करो
दुष्ट तो दुष्ट हैं, इसका मर्दन करो।
1
अनुज वधु है जो ,तनुजा समानl
वासना में डूबा ,ये कामी हैवानll
पापा चारी के वध में ,विलंब न करो
हे नरोत्तम——-
2
जिनकी आज्ञा से वन में ,चले आए होl
उन वचनों के बंधन, संग लाए होll
दिए वादों का बस ,प्रति पालन करो
हे नरोत्तम——
3
थी रुमा तो बेबस ,अबला नारीl
हे राघवेंद्र तुम तो ,परम हितकारीll
राम हो राम का ,अनुशीलन करो
हे नरोत्तम——-
4
मां की आंखें सजल थी ,तुम्हें देख केl
परिवार भी गर्वित, तुम्हें ना रोक केll
उन भावों का भव्य ,अभि वंदन करो.
हे नरोत्तम——
5
रघुकुल की ज्योति, जगमगाती रहेl
युगो तक दुनिया ,यह गाती रहेll
प्राण देकर भी वचनों, का पालन करो.
हे नरोत्तम…….

गीतकार
-दिनेश बारोट ‘दिनेश’
शीतला कॉलोनी सरवन

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