-रेलवे ट्रेड यूनियनों में आगामी अध्यक्ष पद की नियुक्ति को लेकर बढ़ने लगी खींचतान।
-रूठो को मनाना संगठन पदाधिकारियों के लिए रहेगा परेशानी का सबब।
न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। देश की सियासी उठापटक का असर समय-समय पर राजनीतिक पार्टियों व कुर्सी के दावेदारों पर पड़े न पड़े। लेकिन इससे ज़्यादा राजनीतिक हलचल अब कर्मचारियों के हित के नाम पर बनी रेलवे ट्रेड यूनियनों में दिखाई देने लगी है। बात वेस्टर्न रेलवे मजदूर संघ व वेस्टर्न रेलवे एम्प्लॉइज यूनियन को लेकर की जा रही है। दोनों संगठनों में इन दिनों सियासी सरगर्मी तेज है।
यह उठापठक अध्यक्ष पद की आगामी दिनों में खाली होने वाली कुर्सी को लेकर है। सभी दावेदार अपनी मौजूदगी दिखाते हुए केंद्रीय पदाधिकारी को साधने में जुट गए तो कुछ पिछली नियुक्ति को लेकर नाराज भी है। कुछ ब्रांच पदाधिकारी ने तो त्यागपत्र भी थमाते हुए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। ऐसे में वर्तमान प्रमुख पदाधिकारियों में अभी से घबराहट होने लगी है।
आगामी तीन माह रहेगी खीचतान
एम्प्लॉइज यूनियन में वर्तमान अध्यक्ष एसएस शर्मा जून में सेवानिवृत्त होने वाले है। वहीं मजदूर संघ अध्यक्ष रफ़ीक मंसूरी की सेवानिवृत्ति जुलाई में है। इन दो तरफ की कुर्सियों को हथियाने के लिए दावेदारों ने कमर कस ली है। प्रस्तावित दावेदारों में यूनियन से युवा शक्ति का दम भरने वाले नरेन्द्र सिंह सोलंकी व संगठन-प्रशासन की मिश्रित छबि वाले शैलेष तिवारी शामिल है। रतलाम सहित मंडल स्तर पर अन्य पदाधिकारी भी दौड़ में है। वही मजदूर संघ से प्रताप गिरी, सचिन मिश्रा (दाहोद) व चैतन्य चौधरी (उज्जैन) दावेदारी में शामिल माने जा रहे है। प्रबंधन द्वारा इनकी सक्रियता व नाराजगी का आंकलन करना संभवतः अभी से शुरू कर दिया होगा।
मन मसोजकर बैठे पदाधिकारी
मजदूर संघ खेमे में पूर्व में मंडल मंत्री, सीडब्ल्यूसी नियुक्ति, जैसी बैंक चुनाव, इंस्टिट्यूट चुनाव की उम्मीदवारी को लेकर कई पदाधिकारी अपने ही संगठन व पदाधिकारी से रुष्ठ है। साल, दो साल के अंतराल में मजदूर संघ से कैलाश भारती, प्रमोद व्यास, गिरिराज उपाध्याय, अतुल राठौर दूरी बनाए हुए है। हाल ही में सचिन मिश्रा के वायरल हुए त्याग-पत्र ने विरोध की हलचल को और हवा दे दी है।
संगठन संतुलन के मायने
आगामी दिनों में संगठनों के उच्च पदाधिकारियों के लिए तालमेल बिठाना मशक्कतभरा रहेगा। मजदूर संघ में मंडल मंत्री अभिलाष नागर को चुनिंदा छोटे पदाधिकारी की गिरफ्त से निकलकर निजी दायरें को विकेन्द्रीकृत करना होगा। महामंत्री बीके गर्ग, महामंत्री आरजी काबर के लिए अध्यक्ष की नियुक्ति का संतुलन बिठाया बड़ा काम होगा। वही एम्प्लॉइज यूनियन में महामंत्री जेआर भोसले व मंडल मंत्री मनोहर बारठ के ऊपर अध्यक्ष पद की नियुक्ति का दारोमदार मशक्कतभरा रहेगा।