अपनी प्यारी बोली और दुनिया भर का ज्ञान- “आज को ग्यान”
(डॉ. विकास दवे/ पुस्तक समीक्षा)
मेरे हाथों में इस समय हेमलता शर्मा जिन्हें हम सब स्नेह से भोली बेन के नाम से जानते हैं की सद्य प्रकाशित कृति ‘आज को ग्यान’ है। यूं तो हेमलता जी एक लंबे समय से मालवी बोली की सेवा में निर्लिप्त भाव से लगी हैं किंतु इस मध्य उन्होंने अपनी इस मातृबोली की सेवा के लिए कई महत्वपूर्ण सोपान तय किए हैं।
मालवी बोली का शब्दकोश तैयार करना हो या मालवी बोली में साहित्य की विभिन्न विधाओं को लेखन और प्रकाशित करना, हेमलता जी सदैव इन कार्यों में अग्रसर रहती हैं। मुझे याद है राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के लिए जब बोली आधारित पुस्तकें तैयार करना थी तो हेमलता जी ने उस कार्य में भी बड़ी सुगमता से अपना हाथ बंटाया था। अन्य भाषाओं से मालवी में अनुवाद करना यह उनके लिए मानों बाएं हाथ का खेल है।
इस बार उन्होंने दुनिया भर के ज्ञान सागर के तल तक जाकर मोती चुनकर लाने का काम किया है। यह ज्ञान मोतियों को मालवी लोकभाषा में पुस्तक आकार में प्रकाशित करना आज की एक बड़ी आवश्यकता थी। बोलियों को सैद्धांतिक रूप से मान्यता मिलती रहे इसके लिए ऐसे उपक्रम ऐतिहासिक सिद्ध होते हैं। दूसरा इस प्रकार की पुस्तकों का एक बड़ा उपयोग यह भी है कि लोक से प्राप्त ज्ञान को अंतिम पंक्ति तक पहुंचाने का यह बड़ा सुलभ साधन है। ज्ञान की गरिष्ठ बातों को जब आप बोली में परिवर्तित कर देते हैं तो स्वाभाविक रूप से उसकी व्याप्ति कई गुना अधिक हो जाती है। मैं हेमलता जी को ढेर सारी बधाई देता हूं कि उन्होंने 150 पृष्ठों में भारतीय ज्ञान परंपरा के सत्व को मालवी बोली में प्रस्तुत करने का एक बड़ा उपक्रम कर दिया है।
‘गागर में सागर’ समाहित करना मानो इसी को कहते हैं। इतनी सारी बातें एक पुस्तक में समा देना मानो अगस्त्य ऋषि की तरह अंजुरी में समुद्र भर लेने जैसा महनीय प्रयास है। स्वाभाविक रूप से ऐसे प्रयासों को विश्व भी सराहता है। यही कारण है कि उनकी इस पुस्तक ने प्रकाशित होते ही कीर्तिमान स्थापित कर लिया और भारत सरकार की कीर्तिमानक पुस्तक इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान प्राप्त कर लिया।
डॉ. विकास दवे
निदेशक,
साहित्य अकादमी,
मध्यप्रदेश शासन, भोपाल
*पुस्तक में सम्मिलित हैं अधिकतम मालवी सुविचार*
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हेमलता शर्मा भोली बेन का कहना है कि मेरे लिए यह विशिष्ट उपलब्धि है कि मालवी सुविचारों पर प्रथम पुस्तक मैंने लिखी , सर्वाधिक मालवी सुविचार भी इसमें सम्मिलित हुए। यह पुस्तक प्रकाशित होकर मेरी लंदन यात्रा के दो दिन पूर्व प्राप्त हुई तो सर्वप्रथम लंदन पार्लियामेंट में भारतीय उच्चायोग के श्री दीपक चौधरी जी, कथा यूके के तेजेन्द्र शर्मा जी, काउंसलर ज़किया ज़ुबैरी जी और लंदन ईलिंग के सांसद वीरेंद्र शर्मा जी के कर-कमलों में सर्वप्रथम पहुंची और अब मेरी इस पुस्तक “आज को ग्यान” मालवी सुविचार को भारत सरकार की कीर्तिमान मानक पुस्तिका “इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया। इस पुस्तक के प्रकाशक प्रिंसेप प्रकाशन की मैं हृदय से आभारी हूं। मेरी आठ पुस्तकों में से इसे यह दर्जा मिला, इससे अभिभूत हूं और इसका श्रेय ईश्वर की कृपा और वरिष्ठजनों के आशीर्वाद को जाता है। इस पुस्तक में सर्वाधिक मालवी सुविचार सम्मिलित हैं।