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मैं और मेरी कविता

22 जनवरी 2024 को अयोध्या में भगवान प्रभु श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को महोत्सव के रूप में मनाने की जहां देशभर में तैयारियां चल रही है। वहीं न्यूज़ जंक्शन-18 के वेब पोर्टल पर प्रासंगिक कविताएं हमारे रचनाकारों द्वारा भेजी जा रही है। इस अंक में हमें प्रभु की महिमामंडित कविताएं प्रेषित की गई हैं। इसे हम पाठकों के लिए पेश कर रहे है।

जलज शर्मा
संपादक,न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम।
मोबाइल नंबर-9827664010

 

रचनाओं के प्रमुख चयनकर्ता
संजय परसाई ‘सरल’
रतलाम।
मोबाइल नंबर-9827047920
—-

प्रभु श्रीराम

प्रभु श्रीराम
मंदिर में अपने
पधारें आप।
लहरा रहे ध्वज,ध्वनित वाद्य स्वर।

श्रीराम प्रभु
है दुल्हन सी सजी
अयोध्यापुरी।
जन-जन प्रसन्न, मन में है उमंग।

प्रभु श्रीराम
हैं पलकें बिछाये
जन सैलाब।
राम की जयकार,आप ही करतार।

श्रीराम प्रभु
अनादि रहे आप
आप अनन्त।
घट-घट विराजें,ऐसी ही कृपा कीजे।

प्रभु श्रीराम
गुण गाऊँ आपके,
कृपा करिये।
प्रेम शबरी पर, वैसा ही मुझ पर।

श्रीराम प्रभु
होंवे अवतरित
भूमि पावन।
लिए धनुष-बाण,सुखी भक्तों के प्राण

प्रभु श्रीराम
विश्व कल्याण करें
भारत-उत्थान।
चैन की बंसी बजे,रामजी राजा बनें।

-डाॅ. शशि निगम
इन्दौर (मप्र)।
——-

मेरे राम आएंगे

भील कुल की थी वो कन्या श्रमणा उसका नाम था
अपनी निष्ठा -आराधना से कहलाई शबरी माता ।

पशु बलि रोकने को मन में ठानी थी
अपना घर छोड़ चल दी तब वो मानी थी।

महर्षि मतंग के आश्रम में उसने जगह पाई थी,
गुरू भक्ति में लीन हो गुरुकृपा हासिल की थी।

मतंग मुनि के अंतिम क्षण में जब देव लोक जाने लगे
जिद करने लगी मुझे भी ले चलो
दोनों रोने लगे।

यहीं रुको पुत्री ! जिद न करो तुम्हारे राम आएंगे
प्रतिक्षा करो, धीर धरो तुम्हारे भगवान आएंगे।

गुरू के आदेश मान शबरी प्रतिक्षा करती रही
राम के लिए सदियों तक राहों पर फूल बिछाती रही।

कुटिया में चरण पड़े राम के नवधा भक्ति पूरा हुई,
अश्रु धारा फूट पड़ी कंठ नली अवरुद्ध हुई।

गुरू के वचन सत्य हुए शबरी के राम आए,
सबरी के जूठे बेर भगवान ने चुन-चुनकर खाए,

-मित्रा शर्मा
महू (मप्र)।
——

कोसल्या का लाल आवेगा अवधपुरी

म्हारा विष्णु का अवतार, माता कोसल्या का लाल
देखो आवेगा अवधपुरी, आवेगा लाला आवेगा अवधपुरी

अवधपुरी से आया अखत, घर-घर पोंची रया हे
मैं भी वेगी आवां अवध में ,किरपा करो दयाल

सब जगा उल्लास हे छायो, आवेगा दसरथ लाल
वेगा वेगा आओ प्रभु जी, सुणलो सबका हाल

घर-घर जगमग दीप जल्या हे, मन में हे उल्लास
ऐसो दीपक आप जलाओ, मन में वईजा उजाल

जैसी थाए सबरी तारी, अहिल्या उपकारी
वेसी म्हाकी गति सुधारो, दसरथ जी का लाल

‘संजय’ की भी आंख्या तरसी, मन में दरसन प्यास
अबे जरा सी देर न कर जो, दरस देओ तत्काल

म्हारा विष्णु का अवतार, माता कोसल्या का लाल
देखो आवेगा अवधपुरी, आवेगा लाला आवेगा अवधपुरी

-संजय परसाई ‘सरल’
118,शक्तिनगर, गली न.2
रतलाम (मप्र)।
मोबा. 98270 47920

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