-वर्ष 2017 से 21 के बीच रेलवे स्टेशन पर मैकेनाइज्ड क्लिनिंग केे ठेके से जुड़ा मामला।
न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। शासकीय व्यवस्था में टेंडर सहित संबंधित काम के ठेका अवधि में यदि अफसर झांसे में है तो ठेकेदारों को मनमानी करने से कोई रोक नहीं सकता।
वर्ष 2017 से 2021 के बीच हुए मैकेनाइज्ड क्लिनिंग के ठेके में भी फर्म द्वारा ऐसी ही जमकर मनमानी की गई। गनीमत है कि विजिलेंस जांच में अनियमितता उजागर हो गई। वरना संवैधानिक तौर पर तय की गई शासकीय व्यवस्था सांठगांठ के भेंट चढ़ जाती।
हालांकि विजिलेंस ने रिपोर्ट तैयार कर कामथेन सिक्योरिटी फर्म पर 80 लाख की पेनल्टी लगाने की सिफारिश रतलाम मंडल के मैकेनिकल विभाग से की। इसके बावजूद अभी फर्म से यह राशि वसूल करने में विभाग के जिम्मेदार गंभीर नहीं है।
इधर, मामले में रेलवे पीआरओ खेमराज मीना का कहना है कि फर्म की अनियमितता पर रेलवे में पेनल्टी कर उसकी वसूली के भी प्रावधान है।
यह की गई टेंडर शर्तों में मनमानी
-ठेके को आमंत्रित करने के लिए बनाए गए एस्टीमेट में एक मशीन पर दो ऑपरेटर प्रस्तावित कर सेक्शन करवा गए। जबकि सफाई के ठेकों में एक मशीन को केवल एक ही ऑपरेटर द्वारा संचालित किया जाता रहा है।
– कुछ कर्मचारियों को एक ही दिन में तीनों शिफ्ट में उपस्थित होना बताए गए। यानी 24 घंटे सफाई कर्मियों को कार्य पर बताया गया। जबकि टेंडर शर्त एवं लेबर कानून के अनुसार एक आदमी एक दिन में 8 से 9 घंटे की एक शिफ्ट में कार्य कर सकता है।
– ऐसी अनियमितता से ठेकेदार अपने सफाई कर्मचारी की अनुपस्थिति पर लगने वाली पेनल्टी से बचता रहा। इस संबंध में किसी भी स्तर पर बिना जांच किए ठेकेदार के बिल पास कर दिए गए।
– ठेकेदार द्वारा मासिक बिलों के साथ इपीएफ व ईएसआईसी से संबंधित जाली दस्तावेज संलग्न कर बिल पास करवा लिए गए। इसकी जांच किसी भी स्तर पर नहीं की गई। जिम्मेदार कर्मचारी द्वारा बिना वेरीफिकेशन के सारे बिल पास कर दिए गए।
– ठेकेदार द्वारा ठेके की शर्तों के मुताबिक रतलाम स्टेशन पर कचरे के लिए ट्रालियां रेल प्रशासन को उपलब्ध नहीं करवाई गई। जबकि इसकी कीमत ठेके के एस्टीमेट में शामिल थे। यह सुनिश्चित किए बिना भी बिल पास कर दिए गए।
नोट-मामले में अनियमितता संबंधी सभी दस्तावेज हमारे पास सुरक्षित उपलब्ध है। इन अनियमितताओं के आधार पर हम खबरों का क्रमवार प्रकाशन करते रहेंगे।