–ट्रेनों में भरने के वॉल्व से प्लेटफॉर्म पर रोज उड़ा रहे गेलनो पानी।
-करोड़ों का सफाई ठेका चलाने वाली फर्म के आगे नकमस्तक अफसर।
-सफाई के बजाय वॉल्व के पानी से धुलाई कर रहे ठेकाकर्मी।
न्यूज जंक्शन-18
रतलाम। रेलवे में करोड़ो रुपए का ठेका लेकर यदि मनमानीपूर्वक काम की रस्मअदायगी करना है तो इसके लिए रतलाम रेल मंडल मुख्यालय सर्वाधिक माकूल जगह है। रेलवे स्टेशन पर सफाई के लिए नियुक्त फर्म की मनमानी लगभग यही बयां कर रही है। ट्रेनो में पानी भरने के लिए लगे वॉल्व से प्लेटफॉर्म की धुलाई कर गेलनों पानी की बर्बादी में कोई कसर नही छोड़ी जा रही है। दूसरी ओर कुड़ेल डेम में इसी माह पानी कम होने से आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका है। संभवतः इसी माह रेलवे पानी खरीदी के लिए टैंकर परिवहन शुरू कर सकता है। आम लोगों के जेब से कमाएं रेलवे राजस्व का दोहरा नुकसान उठाना पड़ेगा।
मालूम हो कि रेलवे स्टेशन पर सीटीएस के तहत कोच की सफाई के साथ ही प्लेटफॉर्म ट्रैक सहित सर्कुलेटिंग एरिया की सफाई के लिए 4 साल का ठेका है। इसके लिए रेल राजस्व फंड से मोटी राशि खर्च की जा रही है।
निरीक्षण बंद, मनमानी जारी
स्टेशन पर पहले कभी अधिकारियों के नियमित निरीक्षण से ठेका कर्मचारियों व फर्म में ख़ौफ़ था। फर्म पर जुर्माने का भय बना रहता था। कार्रवाई का भय खत्म होने से ऐसी मनमानी चरम पर है। मामले में जिम्मेदार अधिकारी का कहना है कि ठेकेदार सफाई के लिए नियुक्त मशीनों के लिए पानी का उपयोग कर सकता है। लेकिन प्लेटफॉर्म पर धुलाई के लिए पानी बहाना गलत है। इसके उलट स्टेशन पर सार्वजनिक रूप से मनमानी अलग कहानी बयां कर रही है।
हर सप्ताह डेम में पानी की कमी
रेलवे द्वारा वर्तमान में पानी की आपूर्ति कुड़ेल डेम से की जा रही है। गर्मी की दस्तक के बाद जून ख़त्म तक हर सप्ताह डेम में पानी कम होने लगेगा। पानी के संकट से निपटने के लिए हर साल वाटर स्पेशल ट्रेन चलाई जाती है। ट्यूबवेल से आपूर्ति के अलावा निविदा के तहत टेंकर परिवहन भी करवाए जाते है। आगामी दिनों की संभावित इन व्यवस्थाओ के विपरित रेलवे स्टेशन पर जमकर पानी की बर्बादी व जिम्मेदारों की अनदेखी आश्चर्यजनक पहलू है।