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कोविड में दो फर्मों को बांटी रेवड़ी: लाखों की दवाई व ऑक्सीजन सिलेंडर अनुपयोगी

-रेलवे मटेरियल विभाग के माध्यम से ख़रीदी गई सामग्री।
-चुनिंदा फ़र्म को सालों से दिए जा रहे हैं सप्लाई ऑर्डर।

न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। शहर की चुनिंदा फर्म को रेलवे सप्लाई आर्डर के माध्यम से मनमानी खरीदी कर शासकीय धन का जमकर दुरुपयोग किया जा रहा है। कोविड के दौरान भी जरूरत से ज्यादा खरीदी की गई। अब लाखों रुपए की दवाइयां व उपकरण अनुपयोगी हो गए। वहीं ऑक्सीजन सिलेंडर धूल खा रहे है।
मालूम हो कि रेलवे में मटेरियल विभाग के माध्यम से ही रेलवे अस्पताल सहित विभागों व स्टेशन पर सामग्रियों की सप्लाई की जाती है। नियमों के मुताबिक मटेरियल विभाग द्वारा टेंडर आमंत्रित कर सबसे कम मूल्य पर सप्लाई देने वाली फ़र्म को ख़रीदी आर्डर देना होता है। इसके उलट सालों से खरीदी आर्डर जारी करने में अधिकारी व फर्म के बीच जमकर बंदरबांट मची हुई हैं।

कोविड में दो फर्मों को आर्डर
कोविड जैसी महमारी से निपटने के लिए रेलवे ने भी अपने इंतजाम किए थे। सूत्र बताते हैं कि कोविड की खरीदी में भी अनियमितता से कारिंदे बाज नही आए। अतिरिक्त खरीदी की वजह से लाखों दवाईयां बच गई। वहीं उस दौरान वार्ड की शक्ल में बनाए गए ट्रेनों के कोच में रखने के लिए खरीदे गए ऑक्सीजन सिलेंडर भी काम नहीं आए। इसकी कीमत भी लाखों में बताई गई है। इन सामग्रियों की खरीदी के लिए दो फ़र्म को ही ठेका दिया गया। इसमें एक फ़र्म कम्प्यूटर सप्लाई से जुड़ी है तो दूसरी रेलवे सप्लाई की प्रमुख वह फ़र्म हैं जिसके संस्थान पर पिछले दिनों सरकारी एजेंसियों ने छापा मारा था। इस मामले में सीएमएस अतुल शर्मा का कहना है कि पूर्व के प्रकरण की मुझे कोई जानकारी नहीं है।

पारदर्शिता को पूरी तरह दरकिनार
रेलवे में मटेरियल सप्लाई के नियमों को दरकिनार कर चुनिंदा फ़र्म को ही ऑर्डर दिए जा रहे है। बड़ी बात है कि इस साठगांठ को खत्म करने के लिए कोई बड़ा अधिकारी आगे नहीं आया। विभागीय सूत्र बताते हैं कि टेंडर के दौरान टीसी (टेंडर कमेटी) की प्रक्रिया में भी लीपापोती की जा रही है। दरअसल टीसी प्रकिया में तीन अधिकारी की कमेटी टेंडर निर्धारित करती है। इसमें संबंधित विभाग जिनके लिए मटेरियल खरीदना है। दूसरा मटेरियल विभाग का प्रमुख अधिकारी सीनियर डीएमएम व तीसरा वित्त विभाग का प्रमुख अधिकारी सीनियर डीएफएम। यह कमेटी फाइल एडीआरएम को सौंपते है। लेकिन टीसी की प्रकिया का जिम्मा विभाग के एक कर्मचारी को दे दिया गया है। अधिकारी सीधे तौर पर हस्ताक्षर कर करवाई पूरी कर लेते है।

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