निगम व नगर सड़कों की बढ़ी पहचान…, लक्झरी बने चैंबर के मुंबई मुख्यालय तक चर्चें…, एंट्री दो और करो ओवरलोडिंग…, शेरा वाले साहब से पल्ला झाड़ने लगे अधिकारी…
सड़क से सरोकार, ये है नगर सरकार….हिम्मत की रही कीमत
जलज शर्मा,
सोना, साड़ी व सेव से पहचाने जाने वाले रतलाम शहर को यहां की सड़कों ने भी सालों से विशेष पहचान दिलाई है। तीन दशक पहले लोक निर्माण विभाग व निगम सरकार के हिस्से की सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे रतलाम की भोली-भाली जनता का मुंह चिढ़ाते थे। पेंचवर्क से काम जरूर चलाया था। मगर कुछ दिनों में ही गड्ढे के दोबारा मुंह व दांत दिखाई देने लगते थे। अब पक्की सड़कें बन गई तो ये ही सड़कें त्यौंरियां चढ़वाने को मजबूर कर रही है। हालांकि फर्क इतना सा है कि पहले सड़कें बनती ही नहीं थी। तब कमीशनबाजी का खेल भी सीमित था। अब सड़कें बन रही है तो इसकी फाइलें उड़े नहीं, इसके लिए कागजों की ही गड्डियां रखी जाती है।
सड़कों का ‘कमीशन खेल’ प्रदेश के गृह विभाग के पूर्व मंत्री जी को नहीं सुहाया। ‘हिम्मत’ जुटाई तथा सीधे पहुंचे गए नगर सरकार के कार्यालय…। निगम सरकार के एक पूर्व अध्यक्ष व वर्तमान में सोना-चांदी वाली यूनियन के अध्यक्ष के साथ चढ़ाव चढ़कर सीधे कमिश्नर साहब के पास पहुंचे। कमिश्नर के सामने कमीशनबाजी की पोल खोल दी। हालांकि पिछले सप्ताह सत्तारुढ़ पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष रतलाम आए तो यहां जिलाध्यक्ष के साथ शहर की सड़क पर चहलकदमी की। मगर यहीं सड़क फिर से चर्चा में आ गई जब, पिछले सप्ताह ही दिलीप नगर एरिया में सीवरेज की सफाई से सड़क का हिस्सा धंस गया। इस हिस्से में दबने से ठेकाकर्मी की मौत हो गई।
हे प्रभु, ये सड़कें सभी को पहचान रही है। जब हिम्मत जुटी तथा कमीशन के आरोप लगाए गए तो सरकारी साहब तो हाथ जोड़कर खड़े रहे। लेकिन शहर के दूसरे छोर में रहने वाले महा-सिंगर अपने निवास के पौर से बाहर नहीं आए।
सिंगल छत पर डबल डेकर के मजे, इंट्री दो व खूब करो ओवरलोडिंग
डबल डेकर बसों का चलन मुंबई जैसे महानगरों में भले ही हो। मगर इसका नजारा देखना हो तो सीधे रतलाम जिले के गांव खेड़ों की ओर रूख करना पड़ेगा। दरअसल खेतों में फसल कटाई का दौर जारी है। फसल कटाई से मजदूरों को मजदूरी की मजबूरी रहती है। उन्हें दूर तक जाना पड़ता है। इसलिए इसका फायदा वाहन चालक सहित जिम्मेदार भी खूब उठा रहे हैं। सिंगल छत के ऑटो, मैजिक सहित अन्य वाहनों की ओवरलोडिंग के नजारें आम तौर पर देखें जा सकते हैं। पिछले दिनों ही जिले में मजदूरों से भरा लोडिंग वाहन पलटने से मौत भी हुई। जिम्मेदारों ने इससे भी सबक नहीं लिया गया। अभी भी वाहनों को डबल-डेकर मानकर छत पर दर्जनों सवारियां बिठाकर गरीब मजदूरों की जान जोखिम में डाली जा रही है।
हे प्रभु, यातायात के खेल में किसी को भी किसी की मौत से कोई मतलब नहीं है। ओवरलोड वाहन लाओ, एंट्री कटवाओ और खूब दौड़ाओ। एंट्री कट गई अब जो होगा देखा जाएगा।
पिछले रिएक्शन के बाद धीरे-धीरे एक्शन में आ रहे कप्तान,
पिछले दिनों गणेश चतुर्थी वाले दिन हुए बवाल ने खाकी के पूर्व कप्तान को जिला छुड़वाया। अब यहां आए नए कप्तान हर कदम फुंक-फुंककर रख रहे है। आते ही सर्जरी करने के बाद थाना-कचहरी व चौकी के सिपेसालार अब सुत-सांवल में आ गए। नए कप्तान के आने के बाद उनके चैंबर में कभी होने वाली मेल मिलाप वाली बैठक का दौर भी अब खत्म हो गया है। पिछले रिऐक्शन के बाद कुछ हद तक क्रॉइम पर भी कंट्रोल है।
हे प्रभु, खाकी का भय जरुर बना रहे, लेकिन ऐसी व्यवस्था रहे कि खाकी से कोई भयभीत न हो।
जर्जर रेल क्वार्टर से लेकर लक्झरी बने चैंबर के मुंबई तक चर्चें
रतलाम रेल मंडल में इन दिनों जर्जर क्वार्टर से लेकर लक्झरी चैंबर के मुंबई तक चर्चें हो रहे है। मंडल कार्यालय में फंड खर्च करने वाले विभाग के मुखिया भी गजब है। दो माह पहले ही ‘को साहब को’ चैंबर नया बनाने की सूझी। दिनरात काम चला तो चैम्बर ने लक्झरी होटल के स्वीट रूम की शक्ल ले ली है। सरकारी फंड की कोई चिंता नहीं की गई। अब साहब से मिलने आने वाले आगंतुकों की चैंबर में घुसते ही आंखें चौंधिया जाती है। मुंबई के हीरो के लिए वैनिटी वैन भी कहीं नही लगे। सॉरी….बेचारे रतलाम के कर्मचारियों ने वैनिटी वैन कहां देखी है। अब जानकारी मिली है कि मुंबई स्थित विजिलेंस को यह वैनिटी वैन सॉरी… चैंबर देखने की तीव्र इच्छा है।
है प्रभु सबका भला हो। एक चैम्बर के पीछे सबका भला हुआ। आगे भी हो जाएगा।
लाइन के दौरे के मजे, यहां तो झाड़ने लगे पल्लू
रेलवे में ऑपरेटिंग करने वाले दूसरी कतार के अधिकारी ने इन दिनों खाने-पीने में माइकल को भी पीछे छोड़ दिया है। हम उन साहब की बात कर रहे है , जिनके चैंबर में ही ‘शेरा’ ने कुछ माह पहले अपनी टेबल लगा ली है। इसलिए छोटी-मोटी पार्टी के इंतजाम भी शेरा के ही जिम्मे है। जब साहब लाइन के दौरे पर जाते हैं तो उनके लिए पानी बोतल के साथ ही शुद्ध शाकाहारी भोजन के इंतजाम सुपरवाइजर को करने होते है। पार्टी का सब खर्च भी सुपरवाइजर या ट्रैफिक इंस्पेक्टर के ही सिर पर…। अब वे भी साहब से परेशान हो उठे है। शाकाहारी भोजन के खासे शौकिन साहब से अब रतलाम में दूसरे अधिकारी भी पल्ला झाड़ने लगे है।
हे प्रभु, शुद्ध शाकाहारी भोजन में न तो ‘तेज’ रहता है नहीं ‘सिंग’, बल्कि ‘गोयदीप गोइत्रा’ नाम की जड़ी बूटी रहती है। यह खाने के स्वाद को दोगुना कर देती है।
चाबी वाले बाबू की आखिर कर दी लिखित शिकायत
मंडल कार्यालय में पीछले दो सप्ताह से खासे चर्चा में आए ताला-चाबी वाले बाबू की करतूतों की चार नंबर श्रेणी की एक कर्मचारी ने अधिकारी को लिखित शिकायत कर दी। विभाग की बदनामी को देखते तीसरी मंजिल की अधिकारी ने चार नंबर की कर्मचारी को समझा बुझाकर लौटा दिया।
सुनने में तो यह आया कि इंदौर दौरे व मस्टर वाली अनियमितता उजागर हुई। तब चाबी बाबू ने माफी मांगते हुए अपने अधिकारी के पैर पकड़ लिए। इसलिए अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
है प्रभु, जगन्नाथम…ये सब क्या हो गया। अपनी करतूतों को ढंकने के लिए कोई भला किसी दूसरे कर्मचारी को कैसे परेशान कर सकता है। इन्हें सद्बुद्धि दी जाएं।