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सांठगांठ की ये कैसी यारी: 2 साल में 80 लाख की पेनल्टी नहीं वसूल पाए रेल अधिकारी, विजिलेंस की जांच में कई घपले उजागर

मामला रेलवे स्टेशन पर मैकेनाइज्ड क्लिनिंग ठेके में टेंडर शर्तों की धज्जियां उड़ाने का।
-जांच में फर्जीवाड़ा पकड़ने के बाद फर्म पर की थी पेनल्टी की सिफारिश।

न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। सालाना आय बढ़ाने के लिए दिनरात मशक्कत कर टारगेट पूरा कराने वाले रेलवे सिस्टम के ही कुछ रेलअधिकारी ठेकेदारों पर जमकर मेहरबान है। फर्जीवाड़ा पकड़े जाने के बाद जब विजिलेंस द्वारा फर्म पर 80 लाख रुपए की पेनल्टी लगाई। बावजूद संबंधित विभाग के रेल अधिकारी अभी तक वसूली से किनारा किए हुए है। जबकि फर्म का आज भी रेलवे में अन्य कामों के ठेके संचालित है। ऐसे में वसूली आसानी से की जा सकती है।
हालात यह रहे कि फर्जीवाड़े के बावजूद विभाग द्वारा फर्म के नियमित रूप से उलूल-जुलूल बिल पास कर दिए गए। जांच में पकड़े जाने के बाद अब कार्रवाई न कर विजिलेंस को भी चुनोती दी जा रही है।
मामला रतलाम रेल मंडल के मैकेनिकल विभाग व इसके अधीन वर्ष 2017 से 2021 के बीच संचालित मैकेनाइज्ड क्लिनिंग (साफ-सफाई) से जुड़ा है।
दरअसल वर्ष 2017 पहले रेलवे स्टेशन की साफ-सफाई का ठेका वाणिज्य विभाग द्वारा निकाला गया था। जिसमें कामथेन सिक्योरिटी नामक फर्म को 3.43 करोड़ रुपए 3 साल के लिए ठेका दिया गया था। इसमें प्लेटफॉर्म, ट्रैक, सर्कुलेटिंग एरिया तथा स्टेशन के ऑफिस की सफाई के लिए 98 कर्मचारी, उपयुक्त मशीन व उपकरणों की अनिवार्य शर्त शामिल थी। तकनीकी प्रकिया के तहत यह ठेका बाद में रेलवे के मैकेनिकल विभाग के अधीन हो गया। यानी काम की देखरेख व फर्म के बिल पास करने से लेकर पेनल्टी लगाने का काम बाद में मैकेनिकल विभाग करने लगा।

इसलिए लगाई विजिलेंस ने पेनल्टी

मुंबई हेडक्वार्टर के गोपनीय सूत्रों के मुताबिक अनियमित उजागर होने की कहानी वर्ष 2020 में शुरू हुई थी। रेलवे के मुंबई हेडक्वार्टर से विजिलेंस टीम ने अकस्मात फर्म के दस्तावेजों की जांच की। तब ठेकेदार के कर्मचारियों के बयान व उनको टेंडर शर्तो के मुताबिक दी जाने वाली पगार में भारी भिन्नता निकली। ईएसआई सहित अन्य गुणांक में भी अंतर आया। ऐसे में टीम द्वारा डिफरेंस की पेनल्टी 80 लाख रुपए आंकी गई।
जब इसका लेटर जारी किया तो लीपापोती के लिए फर्म द्वारा कर्मचारियों को एडवांस राशि दिए जाने की सफाई दे दी और मैकेनिकल विभाग के अधिकारियों से मेलजोल कर 64 लाख रुपए कम करवा लिए गए। इसके बाद फर्म ने शेष 16 लाख रुपए का जुर्माना भर दिया।

एडवांस राशि का उल्लेख भी जाली माना

इधर, ठेकेदार की पेनल्टी माफ करने की जानकारी मिलने पर विजिलेंस द्वारा फर्म के उन दस्तावेजों की भी जांच की जो ठेकेदार द्वारा कर्मचारियों को एडवांस देने की जानकारी दर्शाई गई थी। लेकिन उसमें भी जालसाजी सामने आई। दरअसल पेश किए गए रजिस्टर में कर्मचारी को अलग-अलग माह में राशि एडवांस दिए जाने का उल्लेख किया गया। उसमें एक ही कर्मचारी के हस्ताक्षर में भिन्नता दिखाई दी। किसी माह उसके हिंदी में हस्ताक्षर दिखाए गए तो दूसरे माह में उसी कर्मचारी के अंग्रेजी में हस्ताक्षर थे। अन्य माह में कर्मचारी का अंगूठा भी लगा दिखाई दिया। इस आधार पर विजिलेंस ने पुनः रिपोर्ट तैयार कर इस गड़बड़ी को महाप्रबंधक को प्रस्तुत की।

मुख्यालय ने सही मानी पेनल्टी, अधिकारी को नोटिस

जानकारी के मुताबिक महाप्रबंधक को दस्तावेज के आधार पर पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक फर्म पर लगाई 80 लाख की पेनल्टी को सही ठहराया गया। मामले में 4 तृतीय श्रेणी कर्मचारी को पूर्व में चार्जशीट दी गई। वहीं दिसंबर 2022 में दो बड़े अधिकारी डीईएन इंदौर व सीनियर डीएमई रतलाम को नोटिस जारी किया गया।

रेलवे में नियमों से ही ट्रेंडर प्रक्रिया व संबंधित फर्म से काम लिया जाता है। समय समय पर पेनल्टी लगाकर वसूली भी करते है। मामले में जानकारी ली जाएगी।
-खेमराज मीणा, पीआरओ रेल मंडल रतलाम

नोट- फर्म पर कार्रवाई, पेनल्टी संबंधित सभी दस्तावेज हमारे पास उपलब्ध है। इसी मामले से जुड़ी अन्य कई अनियमितता की क्रमवार खबर अगले चरण में प्रकाशित की जाएगी।

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