Logo
ब्रेकिंग
मैं और मेरी कविता रेलवे मटेरियल विभाग की घूसखोरी...12 स्थानों पर तलाशी में मिले काली कमाई के सबूत, आरोपी आज होंगे न्या... इस मैसेज ने रेलवे जोन में फैलाई सनसनी...मटेरियल विभाग के तीन डिप्टी सीएमएम को किया सीबीआई ने ट्रेस डीआरएम की सहमति: डीजल शेड पहुंचने के लिए बनेगी डेढ़ किलोमीटर एप्रोच रोड, वर्क ऑर्डर जारी बड़ी जीत : क्रमिक भूख हड़ताल 98वें दिन खत्म, उज्जैन लॉबी के पद यथावत रहेंगे मैं और मेरी कविता फॉलोअप: चोर को पकड़ने वाले पुलिसकर्मी को मिलेगा एक लाख रुपए का इनाम जीआरपी चौकी से डाट की पुल मेनरोड सुबह 9 से शाम 5 बजे तक बंद रहेगा बिफोर स्ट्राइक एक्शन: 19 पोलिंग बूथ पर 91 प्रतिशत मत डले, अब सरकार को जगाएंगे पुरानी पेंशन की मांग को लेकर दिल्ली जंतर-मंतर पर हल्ला बोल, परिषद के सैकड़ों कर्मचारी शामिल

मैं और मेरी कविता

विचारों का प्रवाह रचना उत्पत्ति का प्रमुख स्त्रोत है। वहीं रचना संग्रह साहित्य का स्तम्भ निर्मित करता है। इन्हीं रचना स्तम्भ ने ‘न्यूज जंक्शन-18’ की दिशा तय की तथा हम इसके सहारे आगे बढ़ते चले गए। यहीं वजह है कि न्यूज़ पोर्टल पर प्रति सप्ताह प्रकाशित कालम ‘मैं और मेरी कविता’ को अब तक के साहित्य सफर में रचनाकारों का अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। प्रति सप्ताह कई नए रचनाकार पोर्टल से जुड़ रहे हैं और पाठकों को अपनी रचनाओं का रसपान करवा रहे हैं।
जब हमने यह कॉलम प्रारंभ किया था तो रचनाकर साथी शुरुआत से ही रुचि दिखाते हुए इससे जुड़ते चले गए। देशभर से प्रति सप्ताह कई नए रचनाकार न्यूज पोर्टल से जुड़ रहे हैं। कई रचनाकारों के फोन आते है और कॉलम में रचना प्रकाशन के लिए अनुरोध करते है। साथ ही अब पाठकों व रचनाकारों को इस कॉलम की प्रतीक्षा रहती है। हम आभारी है, हमारे सहयोगकर्ता रचनाकार साथियों का जिनसे समय-समय पर हमें सुझाव व रचनाएं प्राप्त हो रही है।
इस सप्ताह का यह स्तम्भ नई महिला रचनाकारों की कविताओं पर केंद्रित है। आशा है विविध विषयों को समेटे ये रचनाएं पाठकों को अवश्य पसंद आएगी।
-संजय परसाई ‘सरल’
रचनाओं के मुख्य चयनकर्ता
118, शक्ति नगर, गली नंबर 2
रतलाम (मप्र)।
मोबाइल नंबर- 9827047920
—–
आभार
जलज शर्मा,
संपादक, न्यूज जंक्शन-18
212, राजबाग़ कॉलोनी, रतलाम (मप्र)
मोबाइल नंबर- 9827664010
—-
शत्रुघ्न

भीगी भीगी फुहारें
रिमझिम बौछारें
और
रिमझिम संग
भीगा ये मनवा
दृग उमगे
दृग बरसे
कुछ कहें
कुछ ठगे से
भरभराई ये निष्ठुर आँखें
बहा लाईं वो हरी यादें
घाव कुछ हरे-हरे
पीर झर-झर बहे

वो सिंदूरी संध्या
पिय संग हर्षाया मनवा
मीत यूँ कहे
पगली न उदास हो
शत्रु को धूल चटा
जल्द ही लौटूँगा
बंटू का घोड़ा बन
संग खेलूँगा।
तू सबका ध्यान रखना
फौजी की अर्धांगिनी है
कभी कमज़ोर मत पड़ना
फौजी की अर्धांगिनी है

माँग सिंदूर से भरी थी,
बिंदिया यूँ दीपित थी
कंगना की कुछ खनक थी
पायलिया की रुनझुन थी।
कितने प्यार से-
भुजाओं मेंं भरकर
करतल मेंं अश्रु सहेजे थे
फिर चिबुक को उठा-
नयनों मेंं झाँके थे
ठहरे वो अभिराम क्षण
पलकों के कपाट बंद कर
आँखों ने सहेजे थे
अरुण भाल तिलक कर
शत्रुघ्न को भेजा था

लाल- हरी साड़ी में
कंकू-भाल सजा
कलाई भर
लाल हरी चूड़ियाँ
खनखनाती कलाइयाँ
करबद्ध ईश वंदन को जुड़ी
सुख-सौभाग्य का देवशीष पा
कुछ तुष्ट हुई।

पर
उसका धनि
रणबांकुरा था
रिपु सम्मुख वह ,
कब हार माना था?
दस- दस को मार कर ,
गोलियाँ फौलादी सीने पर,
झेल गया था

और!और!और
तिरंगे में लिपटा
मुस्कुराता सामने था
वह
फौजी की प्रेयसी,
चुप शून्य में तके थी
लाल-हरी खनक से
खनकती कलाइयाँ
तिरंगे को लखें थीं
व्योम से झांँकते मुस्कुराते
मीत के चेहरे संग
फिर मुस्कुरा उठी
पायलिया छनछनाई-
छन्न-छनाछन्न
जयहिंद!जयहिंद!
की ध्वनि दिक्दिगंत छाई
‘जयहिंद’ की ध्वनि
दिक्दिगंत छाई

-यशोधरा भटनागर
देवास (मप्र)।
——–

वीर सपूत

अमर तिरंगा जब भी यह लहराता है
मन आल्हादित हो जाता है फिर जन गण गाता है।

अमर शहीदों का पुण्य धरा है ये
देशभक्त और वीरों के देव धरा है ये।

रण बांकुरो ने अपनी जान गंवाए थे
अपनी मिट्टी के खातिर कीमत चुकाए थे।

सरहद पर जाकर आंखे चार कराए थे
खुद मिटकर दुश्मनों की नजर झुकाए थे।

हिंदू, मुस्लिम,सिख, ईसाई चारों है संतान
बना रहे है देकर सहादत भारत मां को महान।

-मित्रा शर्मा
महू, इंदौर (मप्र)।
——-

आओ सखी तीज मनाएं

आया हरियाली तीज का त्योहार,
प्रकृति की रंगीनी महकती बहार।

हरा-हरा जंगल, उमंग से भरा,
सबकी आँखों को मोहित करता प्यार।

सखि बनाती हैं सुहानी गोड़ी,
खुशियों से भरपूर, लेकर नई धोड़ी।

प्यारे पति के लिए करती व्रत यह धरती,
सात जन्मों तक बने रिश्ते की मूरत।

भगवान शिव और पार्वती का प्यार सारा हरियाली तीज की कहानी है कहती सारा।

मां की ममता, पति का प्यार,
सुख-शांति से भरी हो स्नेह अपार ।

-निशा अमन झा बुधे
जयपुर (राज.)।
—–

कन्या भ्रूणहत्या

दूरदर्शन बता रहा है
समानता के गुण गा रहा है
समानता आई है या नहीं आई है
हैवानियत में जरूर आई है
बच्ची बूढ़ी सब शिकार हो रही है

ऐसे में एक प्रश्न खड़ा है,
क्या श्रेष्ठ है निर्घृण हत्या या
श्रेष्ठ है कन्या भ्रूणहत्या?
यहां भेजूं या नहीं भेजूं,
क्या पेपर में छपवाऊं,

मगर भारत मां और गणेशजी बोले
हमारी बात नही बताएगी
तो नींद तुझे भी नहीं आएगी।
अब तुझे ही भ्रांति मिटानी होगी
समाज में क्रांति लानी पड़ेगी।
ऐसी क्रांति लानी पड़ेगी की
एक-एक को शीश झुकाकर
मुझे कन्या मांगनी पड़ेगी,मगर
बाप्पा कैसे यह हो पाएगी?गणेशजी बोले,
जब लड़की दूल्हा घर लाएगी
खुद कहीं नहीं जाएगी
बुढ़ापे की लाठी बनेगी
एक-एक को शीश झुकाके
मुझसे कन्या मांगनी पड़ेगी
मुझसे कन्या मांगनी पड़ेगी।

-अर्चना पंडित
इन्दौर (मप्र)।

2 Comments
  1. निशा अमन झा बुधे says

    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई 💐 🙏 🍫 🍫 🍫

  2. निशा अमन झा बुधे says

    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई 💐 🙏 🍫 🍫 🍫

    सौ निशा अमन झा बुधे
    जयपुर से
    9950796609
    Expressiondilse.blogspot.com

Leave A Reply

Your email address will not be published.