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आवधिक के आवरण में वरदहस्‍थ का वरदान….सीसीटीसी में छह साल बाद भी अमल नहीं, हर विभाग में सेंसिटिव पोस्‍ट पर डटे खिलाड़ी

-अधिकारियों की लचर कार्यशैली से बढ़ रही भ्रष्‍टाचार व मनमानी की बीमारी।
न्‍यूज जंक्‍शन-18
रतलाम। भले ही रेलवे बोर्ड तथा मंत्रालय कितने ही आदेश व सर्कुलर जारी कर ले, लेकिन मंडल स्‍तर पर इसका कोई असर नहीं है। यहां अफसरों की अपनी अलग पॉलिसी है। आवधिक (पीरियोडिकल) तबादलों को लेकर भी कुछ ऐसी ही अनदेखी कर खूब मनमानियां की जाने लगी है। इसे अमल में लाने की जिम्‍मेदारी ब्रांच प्रमुख यानी सीनियर ऑफिसर्स की है। बावजूद सेंसिटिव पोस्‍ट पर सालों से बैठे कर्मचारियों को नहीं हटाया जाना भी अनियमितताओं का जन्‍म दे रहा है।
ऐसी ही अनदेखी कमर्शियल विभाग में सीसीटीसी को लेकर सामने आ रही है। दरअसल वर्ष 2018 के बाद से सीसीटीसी की भर्ती के तहत जो कर्मचारी टीसी में काम कर रहे हैं। उनका अभी तक न तो पार्सल ऑफ‍िस में तबादला किया गया। नहीं उन्‍हें बुकिंग या लगेज में भेजा गया। जो टीसी में कार्यरत है, उन कर्मचारियों के कितने हित साधे जा रहे है, ये तो समय-समय पर विजिलेंस कार्रवाई के बाद ही उजागर होता हैं। दूसरी ओर इंजीनियरिंग, कार्मिक, एसएंडटी, इलेक्ट्रिक पॉवर, इलेक्ट्रिक पॉवर, ऑपरेटिंग सहित अन्‍य विभागों की टेबलों पर कार्यरत कर्मचारी पीरियोडिकल तबादलों की अवधि पार कर चुके हैं। अधिकारी बदलते गए लेकिन इन्‍हें टस से मस नहीं किया गया। क्‍योकि इनके माध्‍यम से स्‍वयं जिम्‍मेदारों के हित भी जुड़े हुए है।
बता दें कि सीसीटीवी यानी आरआरबी द्वारा रेलवे विभाग में तीन पोस्टों को मिलाकर एक नई पोस्ट बनाई गई है। टीसी, कमर्शियल क्लर्क, इन्क्वायरी कम रिजर्वेशन क्लर्क शामिल हैं। इन तीन पोस्टों को मिलाकर एक पोस्ट कमर्शियल कम टिकट क्लर्क बनाई गई है।

कई टीसी की पीरियोडिकल तबादलों की अवधि पार:- कमर्शियल विभाग की बात करें तो रेलवे बोर्ड की नीति के तहत वर्ष 2018 में सीसीटीसी में विभागीय तथा ओपन भर्तियां की गई है। इसमें यह गाइडलाइन थी कि सीसीटीसी में भर्ती कर्मचारी को चेकिंग के अलावा बुकिंग एवं लगेज व पार्सल ऑफ‍िस में तय अवधि के बाद भेजा जाएगा। यहां सीसीटीसी के तहत भर्ती करीब 100 से 150 टीसी कर्मचारी में से कई अभी भी केवल मलाईदार पद यानी टीसी की ही नौकरी कर रहे हैं। इनका न तो बुकिंग में तबादला किया गया। नहीं इनकी सेवाएं पार्सल ऑफ‍िस में ली जा रही है। दूसरी ओर सीसीटीसी भर्ती के कुछ कर्मचारियों को डीआरएम ऑफ‍िस स्‍थि‍त कमर्शियल विभाग के सेक्‍शन में नियुक्‍त कर काम लिया जा रहा है। जबकि एमओसीजी (मैकेनिकल ऑपरेटिंग कमर्शियल व जनरल) पॉलिसी के तहत अन्‍यत्र विभाग से कमर्शियल विभाग में भेजकर उपयोग लिया जा सकता है। सीसीटीसी के तहत जो कर्मचारी टीसी में काम कर रहे हैं। वह भी पब्लिक डीलिंग व आर्थिक मामलों से जुड़ा काम होने से यह भी सेंसटिव पोस्‍ट है। दूसरी बड़ी समस्‍या लगेज व पार्सल तथा बुकिंग में कर्मचारियों की कमी को लेकर है। इन्‍हें वहां नियमों के मुताबिक भी नहीं भेजना भी संदेहास्‍पद है।

इन विभागों का भगवान ही मालिक:- इसी तरह से इंजीनियरिंग, ऑपरेटिंग, मटेरियल, एसएंडटी विभाग में तो भगवान ही मालिक है। इंजीनियरिंग विभाग में कुछ माह पूर्व टेंडर टेबल पर दो कर्मचारी पदस्थ थे। एक का तबादला होने पर भी विभाग प्रमुख द्वारा पूर्व से पदस्‍थ सीनियर क्‍लर्क को रिलीव नहीं जा रहा था। खबर के प्रकाशन व पूर्व डीआरएम की फटकार पर रिलीव किया गया। अब इंजीनियरिंग विभाग में ही सीनियर क्‍लर्क पिंटू कुमार जोगी वर्तमान में सालों से वर्क्स एकाउंट सेक्‍शन की एक ही टेंडर टेबल पर कार्यरत है। कागजी तबादला भले ही कर दिया गया। मगर कर्मचारी पिंटू से पूर्व की ही टेंडर टेबल पर काम लेना विभागीय मिलीभगत का ही परिणाम है। इसी विभाग में सीटीए (चीफ टेक्‍निकल असिस्‍टेंड) पद पर कार्यरत कर्मचारी का मूल पद ड्राइंग सेक्शन में है। बावजूद अधिकारी के वरदहस्‍थ के चलते कर्मचारी सालों से एक ही सीटीए पद पर कार्यरत है।
इसी तरह कार्मिक विभाग में अभी भी किसी और सेक्शन का कर्मचारी कहीं दूसरे सेक्शन में काम कर रहा है। कम्‍प्‍यूटर सेक्‍शन में करीब 10 से अधिक समय से डटे हरिकिशन बारगे व संजय सिंथेटकर की कुर्सी कोई अधिकारी हिला नहीं सका। अनियमितता ऐसी कि संजय वेलफेयर इंस्पेक्टर है। जिनकी मूल जिम्मेदारी फील्ड के अलावा कर्मचारियों के कल्याण से जुड़ी है। बावजूद पीरियोडिकल तबादले के दायरे में नहीं लिया गया। गोपनीय विभाग के भी ऐसे ही हालात है। तबादले के बाद 4800 ग्रेडपे के मुख्य कार्यालय अधीक्षक की मौजूदगी के बावजूद इसी सेक्शन में 4600 ग्रेडपे की कार्यालय अधीक्षक अभी भी पदस्थ है। इसी तरह कभी पे शीट जैसी प्रमुख पोस्ट पर रहे सुनील भार्गव का ग्राउंड फ्लोर पर स्थित पास सेल में तबादला कर दिया गया। पिछले डेढ़ साल में ये दो तबादलें झेल चुके है। अभी पास सेल में ओएस स्तर के दो कर्मचारी कार्यरत है। क्लर्क बापूसिंह को भी डेढ़ साल में तीसरे तबादले के तहत अभी पास सेल में बिठा दिया गया है। जबकि इनकी सेवा पीरियोडिकल अवधि से कम है

इन्हें तो ज्वाइन ही नही किया:- एक अन्‍य मलाईदार मटेरियल विभाग में पदस्‍थ कर्मचारी पर विशेष वरदहस्‍थ की स्‍थ‍िति यथावत है। यहां भी मैकेनिकल विभाग से तबादले के बाद रिलीव होकर मटेरियल विभाग में ज्‍वाइनिंग के लिए गई महिला कर्मचारी को मटेरियल विभाग प्रमुख द्वारा रवाना कर दिया गया। जबकि मटेरियल विभाग से मैकेनिकल विभाग में तबादला होने के बाद भी कर्मचारी अभी भी मटेरियल विभाग के स्टोर सेक्शन में कार्यरत है। इधर, बावजूद रेलवे पीआरओ द्वारा कई बार कहा गया कि रेलवे में नियमो के तहत काम किए जाते है।

यह भी है विभागों का खेल

-रेलवे बोर्ड की तबादला पॉलिसी को दरकिनार कर मंडल स्‍तर पर स्‍थानीय पॉलिसी बनाकर इसे लागू कर अनियमितता की जा रही है।
निजी हितों के चलते ऐसे मुद्दें प्रदर्शन एवं आंदोलनों में भी शामिल नहीं किए जाते हैं।
-इस कथित लोकल पॉलिसी से भ्रष्‍टाचार फलने-फूलने की समस्‍या वृहद स्‍तर पर बढ़ने लगी है।
-विभागों में टेक्‍न‍िकल स्‍टॉफ से नॉनटेक्‍न‍िकल यानी क्‍लर्क का काम कराते हुए चहेते कर्मचारियों को लाभ देकर पीरियोडिकल तबादलें की पॉलिसी से बाहर कर दिया गया है।
इस वजह से क्‍लर्क के पद खतरे में पड़ने लगे है। क्‍योंकि अफसरों द्वारा बाद में क्‍लर्क के पद ही सरेंडर कर दिए जाते है। फ‍िल्‍ड में टेक्‍न‍िकल स्‍टॉफ की कमी हो जाती है।
-पूर्व डीआरएम रजनीश कुमार पीरियोडिकल तबादले को लेकर गंभीर थे। इस वजह से अफसरों पर जमकर लगाम कसी हुई थी। वर्तमान में सभी अधिकारी इसे लेकर तनावमुक्त है।

नोट:- पीरियोडिकल तबादले से वंचित टीसी कर्मचारियों की सूचि न्यूज जंक्शन-18 के पास सुरक्षित है। कार्रवाई के लिए अगले अंक के नाम व पद सहित अनियमितता उजागर की जाएगी।

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