कश्मीर की वादियां फिलहाल सपना…हजारों यात्रियों को रोज सैर कराने वाले रेलवे कर्मचारियों का सालाना कश्मीर टूर निरस्त
-एसबीएफ के तहत 50 पुरूष कर्मचारियों के लिए होना था टूर
न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। हजारों यात्रियों को अलग -अलग स्थानों की सैर कराने वाले रेलवे कर्मचारियों का सालाना टूर निरस्त हो गया है। इस बार एसबीएफ के तहत कश्मीर का टूर तय हुआ था। ऐसे में कश्मीर का टूर इन रेलवे कर्मचारियों के लिए फिलहाल सपना ही साबित होगा।
बता दें कि रेलवे में एसबीएफ (स्टाफ बेनिफिट फंड) के तहत हर साल महिला-पुरूष कर्मचारियों के लिए सालाना टूर करवाया जाता है। इसके लिए पश्चिम रेलवे मुख्यालय से अतिरिक्त इंतजाम कर फंड जारी किया जाता है।
इस क्रम में इस बार 9 से 18 नवंबर को 50 कर्मचारियों के लिए कश्मीर जाने का टूर तय हुआ था। इसके लिए कार्मिक विभाग ने पूरी तैयारी भी कर ली थी। बताया जा रहा है कि मान्यता प्राप्त संगठनों के लिए मान्यता के चुनाव होने है। एक संगठन की लिखित आपत्ति के चलते फिलहाल यह टूर खटाई में पड़ गया है।
परिषद का आरोप:-संगठन ने टांग अढ़ाई
कश्मीर का टूर निरस्त होने के पीछे एक रेल संगठन ने मान्यता प्राप्त दूसरे एक संगठन पर आरोप लगाया है। परिषद के जोनल संगठन मंत्री शिवलहरी शर्मा ने कहा कि आगामी मान्यता के चुनाव है। इनके कर्मचारी टूर में शामिल नहीं हो या रहे थे। इस वजह से वेस्टर्न रेलवे मजदूर संघ ने लिखित आपत्ति दर्ज करवाते हुए टूर निरस्त करवा दिया है। वहीं मजदूर संघ के मंडल मंत्री अभिलाष नागर का कहना है कि कश्मीर में हालात उपयुक्त नही होने से हमने टूर के लिए आपत्ति ली है। पहले सिक्किम का टूर तय था। लेकिन फंड बचाने के लिए कश्मीर का टूर फाइनल कर लिया। इसके लिए दोनों ट्रेड यूनियनों के एसबीएफ मेंबर्स से सहमति भी नहीं ली गई। इसलिए हमने टूर निरस्त करने को कहा है।
टूर में मौज-मस्ती के साथ विवाद भी
रेल प्रशासन द्वारा एसबीएफ के टूर निकाले जाने का मकसद रेलवे के तनावभरे कामकाज के बीच कर्मचारियों को मानसिक रूप से तरोताजा करना होता है। पिछले टूर के दौरान कर्मचारियों की खूब मौज-मस्ती रही है। लेकिन चुनिंदा कर्मचारियों के बीच छोटी-मोटी बात को लेकर विवाद की नोबत भी आई है। इसमें पूर्व में पदस्थ रहे एपीओ को दखल देकर विवाद शांत करना पड़ा था। इसके अलावा कर्मचारी द्वारा परिजन को भी साथ के जाने की भी पूर्व में खबरें आई थी।