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खबर अंदर की : दाहोद सेक्शन के मैसेज से भूचाल….रेजिग्नेशन की पेशकश से  रतलाम एमएस में खलबली, मुंबई बॉडी ने थामा बवंडर

-दाहोद ब्रांच से जुड़े उपाध्यक्ष के इस्तीफे की पेशकश से जुड़ा मामला।

न्यूज़ जंक्शन-18

रतलाम। केंद्र सरकार के बड़े विभाग रेलवे में कर्मचारियों से जुड़ी आगामी चुनावी संभावनाओं को देखते रेल संगठनों द्वारा संगठनात्मक तैयारियों को मूर्त रूप देने के साथ ही शाखाओं में फेरबदल की कवायदें भी शुरू कर दी है। इस क्रम में दाहोद की वर्कशॉप ब्रांच में सचिव पद की नई नियुक्ति ने वेस्टर्न रेलवे मजदूर संघ में सियासी भूचाल ला दिया। इस नियुक्ति से खफ़ा मंडल उपाध्यक्ष सचिन मिश्रा ने इस्तीफे की पेशकश कर डाली। मिश्रा की नाराजगी भरी पहल के बाद दाहोद लाइन से जुड़े निचले क्रम के प्रतिनिधी व पदाधिकारियों ने भी इनके समर्थन में आ गए। इन्होंने भी पद छोड़ने की तैयारियां कर ली। इससे मजदूर संघ में रतलाम से लेकर मुंबई तक खलबली मच गई। समझाइश के लिए रतलाम व मुंबई के पदाधिकारी को मोर्चा संभालना पड़ रहा है। हालांकि मान-मुनव्वर के बाद इन रूठे हुए पदाधिकारियों को दी गई समझाइश भले ही अभी कारगर हुई। लेकिन आगामी दिनों में खींचतान से इंकार नहीं किया जा सकता है।

मालूम हो कि वर्तमान में रेलवे इंस्टीट्यूट चुनाव में मजदूर संघ को मंडल स्तर पर समानांतर सफलता मिली। रतलाम हेडक्वार्टर पर नुकसान हुआ। इससे मंडलीय पदाधिकारी नाखुश है। मगर राहत यह रही कि मंडल में दो स्थानों पर मजदूर संघ को जीत मिली। रतलाम में दोनों इंस्टीट्यूट की चारों सीटें गवांनी पड़ी। इस निराशा के बाद अब दाहोद में संगठनात्मक हलचल ने आला पदाधिकारियों को तनाव में ला दिया।

इधर हंसी-खुशी का माहौल जारी

दूसरी ओर रतलाम में वेस्टर्न रेलवे एम्प्लाइज यूनियन की जीत से मंडल मंत्री मनोहर बारठ व मंडल नरेंद्र सोलंकी अध्यक्ष खासे उत्साहित है। जुगल जोड़ी के रूप में मंडल कार्यालय में इनकी चहलकदमी अचानक बढ़ हो गई है। जीत से मंडल अध्यक्ष नरेंद्र सिंह सोलंकी हंसी-खुशी के ठिकाने नहीं है। हालांकि विजयी पदाधिकारी पुनः अपने कामकाज में जुट गए। लेकिन मंडलीय पदाधिकारी इस जीत को आगामी चुनावों में भी भुनाने के प्रयास में सक्रीय हो गए है।

विश्वास में नहीं लेने से बढ़ी नाराजगी

माना जाता रहा कि मजदूर संघ के मंडल उपाध्यक्ष सचिन मिश्रा का दाहोद सहित ब्रांच लाइन में खासा प्रभाव है। इनकी नाराजगी का माहौल तब गरमाया, जब हाल ही में वर्कशॉप में सचिव पद पर ललित मीणा की नियुक्ति की गई। दरअसल दाहोद की स्थानीय बॉडी को इस बात से एतराज रहा है कि वर्कशॉप की नियुक्ति में उनकी रायशुमारी नहीं की गई। नाही उन्हें विश्वास में लेकर तवज्जों दी गई। यह स्थानीय ब्रांच प्रोटोकॉल के मान से भी अनुचित माना गया है। इसे लेकर मिश्रा की ओर से मंडल उपाध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश से हड़कंप मच गया।

इधर, बताया जा रहा है कि सूचना मिलते ही मंडल मंत्री अभिलाष नागर व संगठन के जोनल अध्यक्ष शरीफ पठान ने मिश्रा से फोन पर संपर्क समझाने का प्रयास किया। हालांकि मिश्रा ने पठान का पहली बार फोन रिसीव नहीं किया। अभी यह मामला यथावत है। मगर मिश्रा सहित इनसे जुड़े कर्मचारी फिलहाल रुष्ठ ही बने हुए है।

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