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अनदेखी के रेलवे केंटीन: डीजल शेड में 5 साल से चुनाव नहीं, मुख्यालय पर हाल बेहाल

-रेलवे कर्मचारियों की सुविधाओं पर रेल प्रशासन ने मुंह मोड़ा।

न्यूज जंक्शन-18
रतलाम। कामकाज की दृष्टि से सर्वाधिक कर्मचारियों की संख्या वाले शासकीय विभाग रेलवे में कर्मचारियों के लिए सालों से संचालित खानपान केंटीन के इंतजाम अब बेपटरी होने के कगार पर है। एक ओर रतलाम शहर के मध्य स्थित मंडल मुख्यालय का केंटीन बेहाल स्थिति में है। वहीं डीजल शेड में संचालित खानपान केंटीन के संचालन सदस्यों का पांच सालों से कब्जा बना है। रेलवे केंटीन निर्वाचन के नियमों पर अमल करने वाला कोई जिम्मेदार अधिकारी तक नहीं बचा है। वहां दो संगठनों के चुने गए प्रतिनिधि का कब्जा होने से अब तीसरे संगठन ने इस मनमानी के खिलाफ आवाज बुलंद कर विरोध जताना शुरू कर दिया है।
बता दें कि जैसी बैंक की तरह ही डीजल शेड केंटीन के चुनावों में मान्यता प्राप्त संगठन का सीधा दखल नहीं है। नहीं वे शासकीय प्रकिया के तहत अपना प्रतिनिधि खड़ा कर सकते है। बावजूद इन्हीं संगठनों द्वारा कर्मचारी के रूप में अपने-अपने प्रतिनिधि चुनावों में उतारते हैं। संगठन से जुड़े कर्मचारियों के सर्वाधिक वोट होने से जीत भी इन्हीं संगठनों के किसी उम्मीदवार की होती है।

हर दो साल में केंटीन चुनाव के नियम

मामले में ऑल इंडिया ओबीसी एसोसिएशन के मंडल मंत्री अजय सिंह का कहना हैं कि नियमों से डीजल शेड केंटीन के चुनाव हर दो साल में होना आवश्यक है। पिछला चुनाव पांच साल पूर्व हुआ था। इसमें वेस्टर्न रेलवे मजदूर संघ से गौरव सिंह तथा वेस्टर्न रेलवे एम्प्लाइज यूनियन से भूपेंद्र सिंह गुर्जर सदस्य चुने गए थे। इसके बाद से चुनाव नहीं कराए गए। इस अनदेखी के चलते पिछले साल कमेटी द्वारा प्रशासन से चुनाव कराने की मांग भी की थी। लेकिन दबाव के चलते प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं दिया।

शेड का केंटीन ठेके पर देने मांग

इधर, डीजल शेड केंटीन को भी बड़ौदा टीआरएस केंटीन की तर्ज पर ठेके पर देने की मांग उठने लगी है। ओबीसी एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि जब प्रशासन बार-बार केंटीन चुनाव कराने से कतरा रहे है तो इसे ठेके पर दे देना चाहिए। तांकि कर्मचारियों को गुणवत्तापूर्ण खानपान सुविधा मिल सके।

केवल चाय-कॉफी पीओ और ऑफिस में बैठो

इधर, मंडल मुख्यालय व मंडल में सर्वाधिक कर्मचारियों वाले डीआरएम ऑफिस के केंटीन के भी हाल बेहाल है। नो प्रॉफिट-नो लॉस की गाइडलन के तहत संचालित इस केंटीन में कभी किफायती दाम में बाहर से आने वाले कर्मचारियों के लिए भोजन, नियमित रूप से पकौड़े, आलूबड़े, फरियाली टिकियां जैसे लजीज नास्ते के अलावा चाय, कॉफी व गर्मी में कर्मचारियों को लस्सी भी बाजार भाव से आधी से कम कीमत में मिलती थी। यहां का ढर्रा बिगड़ने के बाद केंटीन का संचालन अब केवल चाय कॉफी तक सिमटकर रह गया है। जबकि केवल चाय कॉफी बनाने के लिए ग्रेडपे वाले दो कर्मचारियों को रेल प्रशासन ने नियुक्ति कर रखा है। हालांकि यहां भी ठेका प्रथा शुरू करने की योजना बनाई थी। लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चल गया।
इधर मामले में वेस्टर्न रेलवे एम्प्लाइज यूनियन मंडल मंत्री मनोहर सिंह बरोठ का कहना है कि प्रशासन डीजल शेड केंटीन के लिए प्रस्ताव लाए और चुनाव करवाए। हमें कोई आपत्ति नहीं है। डीआरएम ऑफिस केंटीन की व्यवस्था को लेकर आज पीएनएम में बात करेंगे। वहीं वेस्टर्न रेलवे मजदूर संघ के मंडल मंत्री अभिलाष नागर ने कहा कि शेड की केंटीन व्यवस्थित चल रही है। कर्मचारियों व प्रशासन की ओर से किसी तरह की कोई शिकायत नहीं है। चुनाव कराने का विषय स्थानीय शेड प्रशासन के जिम्मे है।

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