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रेलवे रनिंग रूम: 53 ठेका कर्मचारी, 13 माह की पगार का खेल, नकली दस्तावेज उगल रहे राज

-दिसंबर-18 से दिसंबर-19 तक पगार का मामला

-पुराने दस्तावेज से रेलवे से भुगतान, कर्मचारी के हाथ नहीं लगी राशि।
-परेशान कुछ कर्मचारियों ने दावा लगाने की कर ली तैयारी।

न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। रेलवे के रनिंग रूम में भले ही गार्ड औऱ लोको पायलट को थ्री स्टार सुविधाएं देने के प्रयास किए जा रहे है। लेकिन रनिंग रूम में व्यवस्थाओं को अंजाम देने वाले ठेका कर्मचारी पूरा वेतन भुगतान पाने के बजाय दस्तावेजों के खेल का शिकार हो रहे है। 53 कर्मचारियों का दिसंबर-18 से दिसंबर-19 तक के अंतराल में 13 माह का उन्हें पूरा भुगतान आज तक नही मिला। ज्यादा मांग करने वाले कुछ कर्मचारियों को दो-चार हजार देकर समझा दिया गया। अब पीड़ित कर्मचारी कोर्ट में जाने तक का मन बना चुके है।
हालांकि इस खेल में रेलवे से बाकायदा बिल पास किए गए। रेलवे के जिम्मेदार फर्म पर इतने मेहरबान हुए कि बिल पास कराने की प्रकिया में मूल अनिवार्य दस्तावेज के बजाय ऑनलाइन ईसीआर के दस्तावेज की फोटोकॉपी से ही काम चला लिया गया। रनिंग रूम के ठेका कर्मचारियों ने अपनी व्यथा बताई तथा शिकायती आवेदन भी दिखाए। उनका कहना है कि वेतन के अलावा ईपीएफ़ में जमा राशि व उसका ब्याज लाखों रुपए हो गया होगा। इसकी उन्हें जानकारी तक नही है।

विजिलेंस में शिकायत के बाद जांच
वेतन भुगतान संबंधी शिकायतें हुई तो विजिलेंस टीम पिछले दिनों रनिंग रूम पहुंची। दिनभर की प्रकिया में टीम ने दस्तावेज खंगाले। मामले में संबंधित विभाग के अधिकारी के अलावा बिल पास करने वाले मूल विभाग के कारिंदे भी जांच के कटघरे में है।

ऑनलाइन दस्तावेज निकालकर काम चलाया
सूत्र बताते है कि ठेका कर्मचारियों के शुरुआत में छह से सात माह के वेतन में असली दस्तावेज लगे। इसकी बकायदा बैंक डायरी में इंट्री भी हुई। इसके बाद बिल भुगतान के लिए ऑनलाइन उन्ही दस्तावेजों की फोटोकॉपी पर मिलीभगत से काम चला लिया गया। बताया गया कि 53 कर्मचारियों के 13 माह का 96 लाख रुपए मजदूरों के हाथ नही लगे। मामले में सीनियर डीईई टीआरओ से जानकारी लेने चाही।अधिकारी ने फोन रिसीव नही किया।

यह काम करते है कर्मचारी
लंबी दूरी की रनिंग पूरी करने के बाद रनिंग रूम में ठहरे गार्ड व लोको पायलट को पर्याप्त सुविधा व विश्राम मिले। इसके लिए ठेका कर्मचारी रनिंग रूम में पूरी व्यवस्था को अंजाम देते है। इसमें साफ सफाई, खाना बनाने, चादर शीट बदलने सहित अन्य
रहते है।

ईपीएफ न देने पर सजा का प्रावधान
किसी भी कर्मचारी को ईपीएफ देना होता है। लापरवाही पर क़ानूनन कार्रवाई का प्रावधान है। दावे शिकायत होने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है।

विजिलेंस कार्रवाई की जानकारी मंडल में सीधे नही मिलती है। यह एजेंसी बोर्ड व हेडक्वार्टर के जिम्मे रहती है। यह जानकारी सांझा नही की जा सकती।
-खेमराज मीना, जनसंपर्क अधिकारी रेल मंडल रतलाम

मुझे षडयंत्र के तहत फंसाने के प्रयास किए जा रहे है। रनिंग रूम में कार्यरत ठेका कर्मचारियों को वेतन भुगतान किया गया। कुछ लोगों की इसमें चाल है।
-रितिन कुमार, पेटी कांट्रेक्टर रितिन कंस्ट्रक्शन रतलाम

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नोट-मामले की शिकायत संबंधी दस्तावेज न्यूज़ जंक्शन-18 के पास बतौर सबूत सुरक्षित है। पीड़ितों के बयान भी लिए गए। इसी मामले की अन्य खबर भी पाठकों के लिए प्रकाशित की जाएगी।

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