जलज शर्मा,
इन दिनों हर कोई एटीट्यूड की बड़ी बीमारी से बुरी तरह से ग्रसित है। रेलवे की बात करें तो यहां कमाई के विभाग में एक महिला चीफ इंस्पेक्टर में कूटकूट कर एटीट्यूड भरा था। लेकिन लंबे समय बाद पिछले साल से विभाग में पदस्थ हुई बड़ी मेडम को इस छोटी मेडम के नखरे बिल्कुल नही सुहाए। पिछले माह जब सामना हुआ तो बड़ी मेडम ने छोटी मेडम को बेपटरी कर दिया। मामला उस समय गहराया जब बारिश में सेक्शन में ट्रैक की समस्या हुई तथा गाड़ियां रोकनी पड़ी। मामला रात का था तो छोटी मेडम ने स्टेशन की ड्यूटी पर हाजिर होने में नखरें दिखा दिए। बड़ी मेडम को यह हरकत नागावरा गुजरी। मौखिक रूप से कार्रवाई की बात तो उसी समय कह दी थी। पिछले सप्ताह तोहफे में छोटी मेडम को चार्जशीट भी थमा दी। हे प्रभु , सदबुद्धि दें। अब तक पुरुष अधिकारी तमाम गलतियों को माफ करते आए। लेकिन विभाग की बड़ी मेडम ने एटीट्यूड दिखाने वाली छोटी मेडम को आईना दिखा दिया।
चाबी वाले बाबू के चर्चे तीसरी मंजिल तक
मंडल कार्यालय में चाबी वाले बाबू के इन दिनों नीचली से तीसरी मंजिल तक चर्चे है। बाबू ऊपर से लेकर नीचे तक ऑफिस चैंबर्स में ताले-चाबियां बांटते है। घंटी वालों की ड्यूटी लगाने का काम भी शिद्दत से कर रहे हैं। इसका उदाहरण पिछले दिनों देखने को मिला। किसी काम से ये महिला कर्मचारी को लेकर इंदौर गए। महिला कर्मचारी इंदौर में लेकिन बाबू ने रतलाम में हाजरी मस्टर में लगा दी। हे प्रभु….कैंटिंन की चाय नहीं जो शक्कर कम या ज्यादा है तो भी लोग पी गए। ऐसी बातें कभी किसी छिपी न छिपाई सकती है। तीसरी मंजिल तक कर्मचारी चटकारे लेने से बाज थोड़े ही आएंगे।
सड़क के बाद गली नंबर 7 में तोता-मैना को देख लगी भीड़
खराब सीमेंटेंड सड़क निर्माण से चर्चित रेलवे कॉलोनी की गली नंबर 7 का एरिया अब तो तोता-मैना को लेकर भी पहचाना जाने लगा है। पिछले गुरुवार को क्वार्टर नंबर 620 के पड़ोसी उस समय इकट्ठा हुए जब उन्हें वहां तोता-मैना के मिलन होने की सूचना मिली। जब लोग जमा हुए तो बात प्रशासन के कानों तक पहुंच गई। एक खेलकूद वाले वेल्फेयर इंस्पेक्टर को भी मौके पर पहुंचना पड़ा। हालांकि माजरा भांपकर तोता-मैना ने वहां उड़ने में देर नहीं की। हे प्रभु…। अनुपयोगी क्वार्टर को लेकर ठीक से कार्रवाई नहीं हुई। इससे वहां ताशपत्ती का मनोरंजक खेल खेला जाता है। सरकारी जमाईराजा ठेकेदारों के लिए ये क्वार्टर गोदाम के रूप में भी काम आते रहे। अब वहां तोता-मैना का डेरा लगने लगा है।
एक बार फिर से ठाठ के आलम, घर के सारे बदल दिए
कर्मचारियों का कल्याण करने वाले कर्मचारियों को पिछले दिनों एक आदेश ने फिर से चिंतित कर दिया। वे स्वयं के कल्याण को लेकर विचार में पड़ गए। उनके लिए लाल बत्ती वाले चेम्बर से एक बार फिर से आदेश जारी हुए। इसमें ठाठ के आलम बरकरार रहे। जबकि फिकरे की लकीर दूसरे कल्याण कर्मचारियों के सिर पर आ गई। यहां ऐसे कई कर्मचारी है, जिन्हें खंडवा के सेक्शन जाना पड़ रहा। जबकि ठाठ वाले कर्मचारी को इंदौर में ही सेक्शन दे दिया गया। हे प्रभु, ऐसी क्या दुविधा है कि एक कल्याण वाले कर्मचारी के दबाव में बड़े साहब तक आ रहे है। हे प्रभु, जगन्नाथम ये क्या हो गया।