-कर्मिक विभाग की स्थापना इंजीनियरिंग शाखा का हाल-बेहाल।
-खुले बिजली तारों से कभी भी हो सकता है हादसा, इलेक्ट्रिक पावर विभाग बेखबर।
न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। रेलवे में सालाना करोड़ों रुपए की आय व व्यय का मुख्य केंद्र मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में झूलते बिजली तारों को दुरुस्त कराने के लिए लगता है फंड नही है। यह मामला कार्मिक विभाग की स्थापना इंजीनियरिंग शाखा का है। यहां हाल में झूलते बिजली तारों के बीच कर्मचारी काम करने को मजबूर है। कर्मचारियों को आशंका है कि कभी भी हादसा हो सकता है तथा व इसकी चपेट में आ सकते हैं। इसे लेकर रेलवे में जिम्मेदार इलेक्ट्रिक पॉवर विभाग के इंजीनियर पूरी तरह से बेखबर है।
हालांकि रेलवे में पिछले एक साल से डीआरएम ऑफिस की निचले तल से दूसरी मंजिल तक मुख्य बिजली की केबलों को व्यवस्थित किया गया है। इसका बकायदा ठेका देने के बाद स्टैंड चैनल बनाए गए। लेकिन जहां बैठकर कर्मचारी 8 घंटे काम करते है। वहां सुध नही ली जा रही है।
स्थापना इंजीनियरिंग शाखा में कई माह से लापरवाही
डीआरएम ऑफिस में फिजूल ख़र्च के यह आलम है कि निचले तल से लेकर पहली मंजिल के सभी विभागों को कारपोरेट ऑफिस की तर्ज पर नवीनीकृत कर दिया गया। वहां कर्मचारियों के लिए फर्नीचर से अलग-अलग सेक्शन ब्लॉक बना दिए गए। लेकिन कार्मिक विभाग नवीनीकरण में अभी भी पिछड़ा है। इसमें भी स्थापना इंजीनियरिंग शाखा की घोर अनदेखी की गई है। हालात यह है कि हाल में कहीं बिजली तार खुले छोड़ दिए तो किसी कोने में तारों को लपेटकर बंडल बनाकर लटका दिया। कर्मचारियों के मुताबिक आशंका है कि इलेक्ट्रिक पॉवर विभाग के अधिकारी व ठेकेदार के बीच आपसी तालमेल नही है। इस वजह से सेक्शन में बिजली मेंटेनेंस से जुड़ा यह काम नही किया गया। इस मामले में पीआरओ खेमराज मीणा का कहना है कि मामले की जानकारी ली जाएगी।