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लिस्ट का खेला, ड्यूटी का झमेला….कल्याण के बजाय अकल्याण का आलम

-नियमों के विपरीत एक साल में दो से तीन बार इंस्पेक्टर्स की ड्यूटी लिस्ट में बदलाव।
न्यूज जंक्शन-18
रतलाम। रेलवे में कर्मचारी कल्याण के काम करने वाले वेलफेयर इंस्पेक्टर इन दिनों अधिकारियों के अकल्याणकारी फैसलों के चलते फजितो में पड़ गए है। असल में यह परेशानी कार्मिक विभाग द्वारा बार-बार जारी की जा रही ड्यूटी लिस्ट को लेकर है। एक साल में दो से तीन बार लिस्ट जारी कर ड्यूटियों में बदलाव कर दिया गया है। हालात यह है कि जिस इंस्पेक्टर को पहले आदेश में जो सेक्शन दिया था। दूसरी लिस्ट में उसे हटाकर दूसरे सेक्शन में भेज दिया। तीसरी बार इंस्पेक्टर को फिर से वही सेक्शन में भेजने के आदेश जारी कर दिए गए। इन सभी के बीच एक इंस्पेक्टर पर अदद मेहरबानी भी चर्चा का विषय बनी हुई है। हालात यह है कि चार साल आवधिक तबादलों के नियमों को दरकिनार कर एक साल में तीन से चार बार इधर से उधर भेजे जाने से इंस्पेक्टर्स में असंतोष का माहौल है।

नेकी की सज़ा, बैरागी की खजा

पिछली ड्यूटी लिस्ट में तमाम नाम बदले गए थे। लेकिन दो दिन पहले जारी हुई लिस्ट में वेलफेयर इंस्पेक्टर एसएन बैरागी खासे प्रभावित हुए। रोचक बात यह है कि बैरागी जिन्होंने ट्रैकमैन बड़े भाई के निधन पर इनके स्थान पर छोटे भाई द्वारा नौकरी करने व बदले में अनुचित तरीके से पगार पाने के मामले को उजागर किया था। बताया जा रहा कि बैरागी का राऊ से खंडवा का सेक्शन था। कुछ माह पहले ही यह सेक्शन इन्हें दिया गया था। नई लिस्ट में बैरागी को अब पिंगलेश्वर से मक्सी तक का सेक्शन कर दिया गया।

अधिकारी पर दबाव के आलम

इसी सूचि में एक अन्य वेलफेयर इंस्पेक्टर को राहत देना भी खासी चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल वेलफेयर इंस्पेक्टर फ़ख़रे आलम के जिम्मे इंदौर होस्टल की ड्यूटी थी। इन्हें अब होस्टल के अलावा इंदौर, लक्ष्मीबाई नगर से लेकर देवास तक का सेक्शन भी दे दिया गया है। आपत्ति इसलिए भी उठाई जा रही है कि आलम के मामले में अधिकारी द्वारा इन्हें मनमाफिक ड्यूटी दी जा रही है। जबकि अन्य के साथ ऐसी कोई भी सुनवाई नहीं हुई है। बताया यह भी जा रहा है कि इंदौर होस्टल के लिए दो से तीन कर्मचारियों ने नेमनोटिंग लगा रखी है। मगर इस मामले में भी सुनवाई नहीं होना प्रशासन पर मानसिक दबाव माना जा रहा है।

पूर्व में इस तरह से हुई थी आनदेखियाँ

-पिछले साल विभागीय परीक्षा के बाद नियुक्ति तथा इसकी पोस्टिंग आदेश जारी किए गए थे। लेकिन मंडल स्तर पर 14 अगस्त 2024 की शाम को ही एकाएक इसे रद्द कर दिया गया।

-चर्चा थी कि पोस्टिंग आदेश केवल एक कर्मचारी की वजह से बदला गया। इसमें मुख्यालय स्तर का दखल व दबाव बताया जा रहा है।

कार्मिक विभाग में बार-बार सूची जारी, कमर्शियल में सालों से डटे

इधर, रेलवे बोर्ड के नियमों के तहत 4 साल में पिरियोडिकली तबादले के प्रावधान है। सेंसेटिव पोस्ट के लिए तो अतिआवश्यक है। कार्मिक विभाग में इस अवधि के पहले ही सूची बदली गई। जबकि कामर्शियल विभाग में सीएमआई स्तर के चुनिंदा कर्मचारी सालों से एक ही पद पर रहते खूब चांदी काट रहे है। यात्री सुविधाओं से जुड़ी खरीदी सामग्रियों के टेंडर मूल्य निर्धारण में भी सीएमआई का बेहिसाब दखल है। इसके दीगर जनसंपर्क विभाग के अधिकारी का कहना है कि नियमों के तहत आवधिक तबादले किए जाते है।

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