-मंडल मंत्रित्व कार्यकाल में मजदूर संघ की बड़ी जीत के पर्याय बने नागर
न्यूज जंक्शन-18
रतलाम। लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव किसी भी पार्टी या संगठनों के हो, मैदानी स्तर पर काम किया जाए, वोटर्स का विश्वास हासिल करें तथा संगठनात्मक प्रबंधन यदि अव्वल हो। तब जीत की सौ फीसदी गारंटी को तय माना जाता है।
वर्ष 2024 के रेलवे यूनियन की मान्यता के चुनाव में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला है। पश्चिम रेलवे के रतलाम मंडल की बात की जाए तो मान्यता के चुनाव में वेस्टर्न रेलवे मजदूर संघ की तकरीबन ऐसी ही रणनीति से जीत का सफर तय हुआ है। इस संगठन को मिली बड़ी जीत ने जहां कर्मचारी, कार्यकर्ता, स्थानीय मंडलीय नेताओं की बांछे खिला दी। वहीं कहा जा सकता है कि इस जीत के बल पर संगठन के जोनल नेताओं की भी जैसे वैतरणी पार हुई है।
इस जीत के पीछे मजदूर संघ द्वारा कर्मचारियों के लिए समय-समय पर किए काम, मंडलीय नेतृत्व की स्वच्छ छबि, ईमानदार व्यक्तित्व तथा बेहतर प्रबंधन प्रमुख वजह माना जा रही है। दूसरी ओर बेहतर प्रबंधन इसलिए भी कहा जा सकता है कि सेक्शनवार सतत् जनसंपर्क किया गया। वादे के अनुरूप किए कामों को कर्मचारियों के समक्ष रखा गया। उन्हें इसकी जानकारियां दी गई। ऐसे में वोटर्स को अपने पक्ष में कर उनके मत को पेटियों तक पहुंचाने के काम में मजदूर संघ के नेता सफल रहे है।
चुनाव बाद आम चर्चाओं का उल्लेख किया जाए तो जीत में मंडल मंत्री अभिलाष नागर के नेतृत्व की अहम भूमिका मानी जा रही है। नागर को भी अपने इस कार्यकाल की जीत का स्वाद सालों तक याद रहेगा।
दरअसल मजदूर संघ के हालिया सालों में यह बड़ी जीत मानी जा रही है। इस मायने में भी यह अहम है कि मंडल के उभरते संगठन पश्चिम रेलवे कर्मचारी परिषद के लिए चुनाव पूर्व की सकारात्मक स्थितियां निर्मित हुई। परिषद के नेताओं द्वारा धमाकेदार एंट्री के दावों किए जा रहे थे। इसके बावजूद मजदूर संघ के नेता कदापि विचलित नहीं हुए। बल्कि कर्मचारियों के हित में किए कामों को अपना आत्मबल माना, खूद का आत्मविश्वास भी कायम रखा। मंडल अध्यक्ष प्रताप गिरी सहित डिविजनल बॉडी से तालमेल बनाया। पूर्व मंडल मंत्री बीके गर्ग की तर्ज पर बेहतर मैनेजमेंट के रूप में काम करते हुए मंडल मंत्री नागर ने जीत अपनी झोली में डाली।
जीत के प्रतिफल में मंडल मंत्री नागर का कहना है कि चुनावी तैयारियों के दौरान वे हर सेक्शन तक पहुंचे है। 17 सेक्शनों के पीडब्ल्यूआई तथा सीपीडब्लयूआई के अधीन ट्रैकमैन कर्मचारियों की गैंग से बार-बार संपर्क किया। इतना ही नहीं हर गैंग के कर्मचारियों के मौखिक नाम तक याद हो गए। इस काम में पूरी टीम ने ईमानदारी, मेहनत व शिद्दत से काम किया। बल्कि एकजुटता दिखाते हुए सेक्शनवार तथा हर स्टेशनों पर पहुंचकर प्रचार-प्रचार किया। यहीं वजह है कि मतदान के बाद उन्हें पता था कि जीत उन्हीं की होगी।
नागर ने यह भी माना कि चुनाव में उन्हें आभास था कि कर्मचारी परिषद को ट्रैकमैन कैटिगिरी का लाभ मिलेगा। लेकिन आश्वस्त थे कि इसका ज्यादा नुकसान प्रतिद्वंदी संगठन युनियन को ही होगा। उन्हें यह भी विश्वास था कि डाले गए11417 वैध मतों में से मजदूर संघ को हर हाल 4500 के आसपास वोट मिलेंगे। मतगणना के परिणाम आए तो आंकलन व अनुमान बिल्कुल सहीं बैठा। इसी तरह उन्हें सर्वाधिक 4510 वोट मिले।
एनएफआईआर का इंडियन रेलवे में परचम
इधर, परिणाम के बाद जीत के आंकड़ें बताते हैं कि इंडियन रेलवे में एनएफआईआर ने जीत का परचम लहराया है। कुल 17 जोन में से 15 जोन में एनएफआईआर का कब्जा रहा है। जबकि 15 जोन में एआईआरएफ ने जीता हासिल की है। मंडलीय नेताओं की माने तो पश्चिम रेलवे जोन में जितने भी मंडल में मजदूर संघ की जीत रही है। उनमें सबसे बड़ी जीत रतलाम मंडल की रही है। यहां तक की महामंत्री आरजी काबर ने मंडलीय नेतृत्व से कह दिया कि आप लोगों ने हमारी लाज रख ली है।