-आए दिन के विवाद व अनियमितताओं का गढ़ बना दो विभागों का सेक्शन
-पश्चिम रेलवे के सभी मंडलों में अनुपयोगी होने पर बंद कर दिया ट्रैफिक वर्कशॉप।
न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। पश्चिम रेलवे के रतलाम मंडल मुख्यालय पर स्थित अनोखा व इकलौता ट्रैफिक वर्कशॉप इन दिनों विवादों व अनियमितताओं का गढ़ बना हुआ है। आए दिन सुर्खियों में रहने पर भी अधिकारियों का इस ओर ध्यान नहीं है। यहां से भले ही सामग्री क्रय व वितरण संबंधी लाखों रुपए के काम किए जाते है। लेकिन अधिकांश समय कर्मचारियों के पास ज्यादा काम नहीं रहता है। इसकी अनुपयोगिता के चलते पश्चिम रेलवे के दूसरे मंडल में अनुपयोगिता के चलते ट्रॉफिक वर्कशॉप को बंद कर वहां की वर्किंग मूल विभाग में विलय कर दी गई। फिलहाल यह केवल रतलाम मंडल में ही संचालित है। इससे रेलवे को आर्थिक बोझ भी वहन करना पड़ रहा है।
बता दें कि यहां ट्रॉफिक वर्कशॉप से रेलवे स्टेशन, कार्यालय सहित रेलवे कॉलोनियों में सामग्री की खरीदी सहित वितरण संबंधी काम किए जा रहे हैं। वर्तमान में यहां 15 से 16 कर्मचारी पदस्थ है। तकनीकी पद के मान से इंजीनियरिंग विभाग से एसएसई स्तर के इंचार्ज को नियुक्त किया गया है। जबकि वहां अन्य पदस्थ कर्मचारी कमर्शियल विभाग के अधीन है। सामग्री परिवहन के लिए एक वाहन भी अटैच किया हुआ है।
मूल विभाग से हो सकता काम
विभाग के ही जानकार बताते हैं कि ट्रैफिक वर्कशॉप में अधिकांश कर्मचारी शारीरिक रूप से अक्षम केटिगिरी के है, जो काम करने में अयोग्य होने पर उन्हें वहां नियुक्त किया गया है। कई कर्मचारी अधिकांश समय बगैर काम के खाली ही रहते हैं। जबकि मूल विभाग कमर्शियल या इंजीनियरिंग विभाग में कर्मचारियों की कमी है। ट्रैफिक वर्कशॉप के कर्मचारियों का उपयोग मूल विभाग में कर सामग्री क्रय व वितरण का काम सीधे आईओडब्ल्यू सेक्शन के जिम्मे करने से कर्मचारियों की बचत की जा सकती है।
दूसरी समस्या ट्रैफिक वर्कशॉप डाउन यार्ड एरिया में होने से इसकी डीआरएम ऑफिस की दूसरी करीब एक किलोमीटर है। इससे विभाग के अधिकारियों की सीधी देखरेख या निगरानी नहीं रहती है। इससे अनियमिततों की संभावनाएं ज्यादा रहती है। मामले में जनसंपर्क अधिकारी खेमराज मीणा से भी जानकारी लेना चाही। लेकिन फोन रिसिव नहीं किया गया।
एक साल पहले से ही आया सुर्खियों में
ट्रैफिक वर्कशॉप एक साल पहले उस समय सुर्खियों में आया, जब पूर्व एसएसई इंचार्ज एवं अन्य समान ग्रेड के कर्मचारी के बीच विभाग झुमाझपटी एवं हाथापाई हो गई थी। इसके बाद कैंपर वाहन सहित अन्य अनियमितताओं के चलते पिछले दिनों विजिलेंस की टीम यहां जांच करने पहुंची थी। रजिस्टर एवं दस्तावेज खंगाले तथा क्रय सामग्री का स्टॉक से मिलान भी किया था। विभाग के सूत्र बताते हैं कि सामग्री खरीदी व बिलिंग में जमकर कमीशनखोरी है। इसकी भागीदारी क्रमवार रहती है। वहीं वितरण तथा नष्टीकरण की प्रक्रिया में जमकर अनियमितता की जाती है।