-जैन संस्कृति की रक्षा में युवाओं की महती भूमिका-डॉ. अनुपम जैन
न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। भगवान आदिनाथ जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के लिए आचार्य सुन्दरसागर जी महाराज संसघ का आगगन हुआ। महोत्सव के लिए लगभग 55 संतों का आगमन हो चुका है। विशाल संघ सानिध्य में इन्द्रों की हल्दी की रस्म, गणधर वलय विधान, यागमंडल विधान तथा आचार्य निमत्रंण की क्रियाएं हुई। इसके साथ ही महाराजा नाभिराय एवं माता मरूदेवी की बधाई के लिए महिलाओं ने मंगल गीत गाए। इस अवसर पर तीन नई दीक्षाएं होगी। उसकी पूर्व संध्या पर गोद भराई की रस्म भी की गई। महोत्सव में युवा सम्मेलन में जैन धर्म के विद्वान एवं महोत्सव महामंत्री डॉ. अनुपम जैन ने कहा कि जैन संस्कृति की रक्षा में युवाओं की महती भूमिका है। अतः युवाओं को आगे आकर संस्कृति के संरक्षण एवं विकास का दायित्व निभाना होगा। आचार्य विशुद्धसागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में आचार्य योगीन्द्रसागर जी महाराज के पूर्व संस्मरणों को सुनाते हुए कहा कि हम 17 साल ने बाद शीतल तीर्थ के सपनें को पूरा करने के लिए आए है। यह जैन धर्म का अद्भुत तीर्थ बनेगा। आचार्य सुन्दरसागर महाराज ने आचार्य योगीन्द्रसागर जी को जैन धर्म का महान आचार्य बताया। कहा कि शीतलतीर्थ जैन धर्म की शिक्षाओं को जन जन तक पहुंचाने में अपनी भूमिका का निर्वहन करेगा।
शीतलतीर्थ की अधिष्ठात्री डॉ. सविता जैन ने बताया कि आज गर्भकल्याणक की क्रियाएं संपन्न होगी। साथ ही ग्लोबल जैन मूवमेन्ट फोरम द्वारा महिला सम्मेलन होगा। इसमें 11 प्रतिभाओं का सम्मान किया जाएगा। कार्यक्रम में गुवाहाटी के नरेन्द्र रारा, रतलाम के राहुल पंजाबी, सागर के डॉ. संजीव सराफ, उदयपुर के गगन बड़जात्या जैन, कोटा के महेन्द्र कुमार जैन गुड़ की सहभागिता रही। यह जानकारी तीर्थ प्रवक्ता राकेश पोरवाल ने दी।