न्यूज जंक्शन-18 में हम पाठको के लिए कुछ धार्मिक कविता लेकर आए है। हमें इस अंक के लिए दूरदराज शहरों से भी कविताएं प्रेषित की गई है। इससे हम पाठको को नई व ताजा कविताएं पेश करने जा रहे है। आप भी अपनी कविताएं उचित माध्यम से भिजवा सकते है।
जलज शर्मा
संपादक, न्यूज़ जंक्शन-18
212, राजबाग कॉलोनी रतलाम
मोबाइल नंबर 9827664010
रचनाओं के प्रमुख चयनकर्ता
संजय परसाई ‘सरल,
118 शक्ति नगर गली नंबर 218, रतलाम
मोबाइल नंबर 9827047920
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श्याम सदा रहते मन में
ओ श्याम सदा रहते मन में,
देखूँ तुझ में जग सारा।
सारी दुनिया मे देख लिया,
तुमसा लगा न अब प्यारा।।
जब -जब तेरी मूरत देखूँ,
धड़कन मेरी बढ़ती है।
तेरी बाँकी चितवन मुझपे,
जादू सा कुछ करती है।।
मुझको भी मीठी मुरली धुन,
मन तरसे है सुनवादे।
मेरी पायल है गुमसुम सी,
इक बार इसे खनकादे।।
मत श्याम सजा कर तू इतना,
दुनिया ये नजर लगाए।
माथे पे लगा दूँ डिठौंना,
मन मेरा अब घबराए।।
तेरे दर्शन किस विध पाऊँ,
ओ श्याम जरा बतला दे।
नैना बरसे बादल जैसे,
इनको थोड़ा समझा दे।।
-ऊषा जैन उर्वशी कोलकाता
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संध्या मोहिनी
कैसी मोहक छवि
तेरी रूपसी मोहिनी
रेतीले कैनवास पर उकेर
भूत, वर्तमान और भविष्य
तू प्रिय मिलन के लिए को चली
माथे बैंदा झूमे
केसरिया ओढ़नी ओढ़े
दमकती ठुमकती
कहीं गहरे सागर में उतरती
तेरी सिंदूरी आभा
लिए विराट स्वरूप
नहीं कोई ओर छोर
प्रीत रश्मियाँ बिखर
बुने मधु-कनक जाल
उलझे नभ-जल-थल
दिव्य दिव्या स्वरूपा
दृश्य अनुपम-अनूठा
एकाकार सिंधु-संध्या
स्वर्णिम संसार रचा
सिंधु के अंतर तल में
उत्तर सिंधु के अंतर में
भीगा-भीगा प्रिया प्रेम में
हुआ रत्नाकर सिंदूरी
बंधा मोह पाश में
पल-पल मेरा मन
यह कैसी मोहक छवि
मोहिनी तूने उकेरी
-यशोधरा भटनागर
देवास (मप्र)
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विरहन के आँसू
तेरे इर्द गिर्द ही अब मेरी व्यथा चले
अनुराग भाव थे राह पर जो हम चले।
न समझे तुम पत्थर दिल हो लिए
तरसती उम्मीदें, आशा के दीप जले
खिलती धूप में वो चमकती थी कली,
आखिर न मिला पानी मुरझाती चली।
रेत की तपन से झुलसता हुआ तन ,
ख्वाहिशें अगन चढ़ा उजड़ गया चमन।
नेह की एक बूंद पाने की चाहत,
वीरान शहर मिला न कोई राहत।
धड़कन बढ़ रही मिलने को मचल ,
विरहन के अश्कों भीगा मन आँचल।
-मित्रा शर्मा
महू।
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जीत गई जिंदगी
मौत को मात दे, जीत गई जिंदगी।
प्रयासों के हाथ उठे , हो गई पूरी बंदगी।।
उत्तराखंड का पवित्र धाम, देव उत्तरकाशी।
सुरंग में श्रमिक सांसे अटकी, छाई गहरी उदासी।।
कोशिशें के बुलंद हौसले ही तो ,कामयाबी पाते हैं।
हाथों पर हाथ धरने वाले,अपनों को खो जाते हैं।।
मनकर्म दृढ इच्छा शक्ति के आगे।
विवश मौत ने खूद इरादे त्यागे।।
प्रयत्नों की प्रशंसा जितनी करो कम है।
जोश और जुनून के आगे टिकता नहीं गम है।।
बचाव में लगे प्राणदाता सही मायने में देवदूत हैं।
अपनों के बीच अपनों को पाकर अपने अभिभूत है।।
-दिनेश बारोठ ॓दिनेश ॔
शीतला कॉलोनी सरवन रतलाम।
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जीवन अनमोल है
जीवन अनमोल है प्यारे ।
हर पल को जी भर कर जिओ प्यारे ।
कितनी सुन्दर है ये दुनियाँ ,
और इस धरा पर बसते मानव प्यारे ।
कितनी सुन्दर है यहाँ बहती नदियाँ ,
संग नभ पर चमकते सूरज , चाँद , सितारे ।
जब भी मन घबड़ाये ,
इन्हें देख प्रेरणा पायें प्यारे ।
कोई मौसम हो ये नित्य चमकते प्यारे ।
कभी घटा छायी घनघोर हो ,
तब कुछ पल नजरों से औझल हो जाते सारे ।
पर ये हमेशा अपने पथ पर मौजूद रहते प्यारे।
जीवन को कभी नष्ट करने की न सोचना प्यारे।
जो भी पल तुम्हारे पास है ,
उसमे कुछ नया करने की सोचो प्यारे ।
ना मिली सफलता एक बार तुम्हें ,
अगली बार और मेहनत करों प्यारे ।
तब भी हो परेशानी तो कोई बात नहीं प्यारे ।
नजर उठा कर देखो ये अकेली राह नहीं ,
तुम्हारें लिए नई कई राह खुली है प्यारे ।
पर किसी भी हाल आत्महत्या की बात न सोचना प्यारे ।
हर किसी के लिये जीवन जीना आसान न होता प्यारे ।
पर मुश्किल से घबरा आत्महत्या कायरता है प्यारे ।
जीवन बहुत अनमोल है प्यारे ।
एक बार चले जाने के बाद लाख पुकारें
पर कोई कहाँ कभी वापस आ पाया प्यारे ।
-निवेदिता सिन्हा
भागलपुर, बिहार
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नया साल
अब आ रहा है क्रिसमस
फिर आ रहा नया साल
सारा देश मनाएगा
एक साल कम हो जाएगा ।
रोज नया दिन भी है आता
उतनी सांसे कम कर जाता
अब तेवीस खत्म हो जाएगा
एक साल फिर कम कर जाएगा ।
रोज नया दिन मनाओ
खुशी से उसको जीयो
क्यों की वह भी बीत जायगा
वो दिन कम कर जायगा ।
नए साल से नया करो तुम
शायद खुशियां मिल जाए
दुःखों से कर दो किनारा
हासिल कर लो खुशियां तुम ।
जिस राह पर चल रहे हो
वही बदल कर देख लो
नई राह पर चल पड़ो
शायद खुशियां मिल जाए ।
-अर्चना पंडित
इन्दौर (मप्र)