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मैं और मेरी कविता

न्यूज़ जंक्शन-18 के पाठकों को खुशहाली, उत्साह, उमंग व उजियारे का प्रतीक दीपावली पर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं। हम विशेष अंक में आपके लिए कुछ दीपोत्सव से जुड़ीं कविताएं लेकर आए है। रचनाकारों ने दिवाली के इसी उत्साह व उमंग को शब्दों से संजोया है।
जलज शर्मा
संपादक, न्यूज़ जंक्शन-18
212, राजबाग कॉलोनी रतलाम (मप्र)।
मोबाइल नंबर-9827664010

रचनाओं के प्रमुख चयनकर्ता
संजय परसाई ‘सरल’
118, शक्ति नगर, गली नंबर 2 रतलाम (मप्र)।
मोबाइल नंबर- 9827047920
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आया दीपों का त्योहार

आया दीपों का त्योहार।
मिलें सभी को खुशियाँ अपार।
घर- घर रोशन हो खुशियों के दीयें।
जिसकी रोशनी में सभी के जीवन का अंधकार मिटें।
मनाएँ हम सब ऐसी दीपावली।
जहाँ खुशियों से भरी हो सबकी झोली।
आज ही लौट कर अयोध्या आयें थे,
लक्ष्मण, सिया संग राम।
असत्य पर हुई थी सत्य की विजय।
खुशियों की सौगात लिए तभी से,
आज तक घर-घर मनती ये दीपावली।
आज होती लक्ष्मी संग गणेश , कुबेर की पूजा।
गृहिणी रहती काम में व्यस्थ।
बच्चें रहते  पटाखें संग  अपने धुन मे मस्त।
परिवार संग आस-पड़ोस भी मनाते मिलकर ये त्योहार।
करें संकल्प हम सब इस बार  ,
मनायें सभी प्रदुषण रहित बिन पटाखों के ये त्योहार।
दीये से रोशन करे घर संग आस-पड़ोस|
रंगोली से घर सँजा ,फुड़झडियों संग मनाएँ  ,
जगमग – जगमग दीपों का ये पावन त्योहार।

-निवेदिता सिन्हा
भागलपुर (बिहार)।
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दिवाली

अब की बार दिवाली
हम चांद पर मनायेंगे
पापा किसी को मत बताना
हम ही केवल जायेंगे ।
अब की बार
वहां पर ना भीड़ होगी
और न झगड़े होंगे किसी को गर बता दिया
तो पीछे चले आ जायेंगे ।

अब की बार
मां ने फिर बच्चों को बताया
हम चांद पर चले गए तो
बिना फटाके त्यौहार होगा
तुम बोअर हो जाओगे ।
सोच लो अब की बार ,
स्कूटर भी वहां न होगी
पैदल तुम्हे चलना होगा
फटाके नहीं उड़ाएंगे
प्रदूषण मुक्त हमें रखना होगा ।

सोच लो ,अब की बार
चल जायेगा मां हमको
तुम लोग तो कम में रहोगे
हमको खेलने को मिलेगा
ऑन लाइन हम पढ़ भी लेंगे ।
अब की बार दिवाली
हम चांद पर मनायेंगे।

-अर्चना पंडित
इंदौर (मप्र)।
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उजाला

अमावस का जाना
पूनम का आना है
पूनम माने उजाला /रोशनी

और उजाला कब होगा?

ज़ब बच्चों के चेहरों पर आती है ख़ुशी
किसान काट लेता है बोई फ़सल
और
मॉ परोस देती है थाली
घी चुपड़ी रोटी के साथ

और यह भी कब संभव?

ज़ब पिता चल दे काम पर
किसान चल दे खेतोँ पर
मजदूर चल दे श्रम को

क्योंकि /पंछियों को भी
जागना होता है /अलसुबह
दाने के लिए
जागने से ही तो होगा
अमावस का अंधकार दूर
आएगी पूनम की रोशनी
और होगा उजाला l

(पं मुस्तफ़ा आरिफ की पंक्ति ‘ अमावस का जाना पूनम का आना है’ से प्रेरित रचना l)

-संजय परसाई ‘सरल
118, शक्तिनगर, गली नंबर. 2
रतलाम (मप्र)।
मोबा. 98270 47920 (मप्र)।

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