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कोरोना काल में अंतिम सांस गिन रहे रेलकर्मियों के लिए जीवन रक्षक कड़ी बने रहे अंकित

-3 साल तक रतलाम मंडल में सीनियर डीईएन (समन्वय) पद पर अमिट छाप छोड़ी, तबादले के बाद अंकित गुप्ता हुए रिलीव।
न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। रेलवे के सिस्टम को चलाने में सख्त रहे सीनियर डीईएन (समन्वय) अंकित गुप्ता ने अपने 3 वर्षीय कार्यकाल में कर्मचारियों का सहयोग कर उनके दिलों में अमिट छाप छोड़ी है। इंजीनियरिंग विभाग के कर्मचारी इनके कोरोना काल में प्राणरक्षक सहयोग की तहेदिल से तारीफ करना नहीं भूले है।
बता दें कि इंजीनियरिंग विभाग रेलवे का सबसे अहम और बड़ा विभाग है। इसमें विभिन्न सेक्शनों में ट्रैकमैन से लेकर इंजीनियर कार्य करते है।
इसी विभाग के प्रमुख गुप्‍ता ने 14.10.2020 को मंडल कार्यालय में पदभार संभाला था। अब कार्यकाल रतलाम में समाप्‍त हुआ और वे नई पदस्‍थापना के कर्मपथ पर रवाना होने के लिए रिलीव हो गए है।
बताते है कि इनका कार्यकाल चेलेंजिंग रहा है। लेकिन कुशल कार्यक्षमता व प्रभावित करने वाली कार्यशैली ने सब कुछ इतना आसान कर दिया कि कर्मचारी भूले से नहीं भुला पाएंगे।

रेमडेसिवीर उपलब्ध कराने में जी जान लगाई

सीनियर डीईएन रहे गुप्‍ता के कार्यकाल के दौरान ही कोरोना की भयावह बीमारी का काल भी रहा है। आम व्यक्ति को उस दौरान इलाज तो दूर अस्‍पताल में दाखिल होना ही कठिन था। दर-दर भटक के बावजूद भी लोग अपनों को अस्‍पताल में दाखिल नहीं करवा पा रहे थे। प्राण बचाने वाले रेमडेसिवीर इंजेक्‍शन की कमी व घनघोर कालाबाजारी जगजाहिर थी। हर कोई अपना फायदा देखकर कमाई में जुटा था। तब गुप्ता ने इंजीनियरिंग विभाग के अधिन कार्यरत लगभग 50 कर्मचारियों की जान बचाने में सहयोगी की भूमिका निभाई।


इस सफर की शुरूआत उज्‍जैन रेल टेस्टिंग में पदस्‍थ पीडब्‍ल्‍यूआई अशोक गुप्‍ता के कोरोना की चपेट में आने के बाद से हुई। उस दौरान पीडब्‍ल्‍यूआई एवं उसके परिवार के संपर्क में मंडल कार्यालय में टेक्निकल सेल टीएमएस में पदस्‍थ पीडब्‍ल्‍यूआई मनीष सिसोदिया आए। सिसोदिया को बताया कि अशोक को रेमडेसीवीर इंजेक्‍शन की सख्‍त आवश्यकता है। इसके बिना इनकी जान बचाना संभव नहीं है। तब उन्होंने इंजीनियरिंग विभाग के इन्हीं प्रमुख गुप्‍ता से संपर्क किया। गुप्‍ता ने बिना देरी किए तात्‍कालीन डीआरएम एवं सीएमएस से विमर्श कर उज्‍जैन पीडब्‍लयूआई अशोक के लिए रेमडेसिवीर इंजेक्‍शन उपलब्‍ध करवाए। इसके बाद इंजीनियरिंग विभाग के सभी कोरोना पीड़ित कर्मचारियों और उनके परिजनों के लिए गुप्‍ता ने मुखिया की जिम्मेदारी मान अपना सहयोगी अभियान शुरू किया। कोरोना में जिस कर्मचारी को जैसी आवश्‍यक्‍ता हुई, वहां उसे बड़े अस्‍पताल में रैफर करवाया। इस बीच उसके लिए वहां के कलेक्‍टर से भी चर्चा की। मंडल के ऐसे स्‍टेशनों से जहां कोई मेडिकल सुविधा नहीं थी। वहां के कर्मचारियों को रतलाम रेलवे अस्‍पताल में दाखिला दिलवाया। बल्कि उनके रतलाम मुख्यालय तक पहुंचाने में सहायता की।
जो कर्मचारी रतलाम तक आने की स्थिति में नहीं थे, उन्‍हे नजदीकी बड़े शहर के अस्‍पताल के लिए प्रयास करके दाखिला दिलवाया। सिहोर, बेरछा, महू, मंदसोर, दाहोद, नीमच, उन्‍हेल, नागदा और ना जाने कितने छोटे-छोटे स्‍टेशनों पर रहने वाले कर्मचारियों के गुप्ता मसीहा बन कर उभरे थे।
इस कार्य में उनके सहयोगी के रूप में उनके तकनिकी सेल के मनीष सिसोदिया ने रेलवे कर्मचारियों एवं उनके परिवारजनों से संवाद स्‍थापित किया। उनकी डिटेल लेकर रेलवे के वेलफेयेर सेल, चिकित्‍सालय के डॉक्‍टर को उपलब्‍ध करवाने एवं गुप्‍ता के साथ लगातार संपर्क में रहकर सहभागिता निभाई।
इधर, विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि
गुप्‍ता रतलाम से विदा तो हो रहे है। लेकिन हर उस रेल कर्मचारी और उसके परिवार की दुआ साथ रहेगी, जिसके लिए उन्होंने कोरोना के भीषण काल में निस्‍वार्थ रूप से काम किया।

(नोट-इंजीनियरिंग विभाग के कर्मचारियों के विशेष आग्रह व उनसे मिली जानकारी के आधार पर न्यूज़ जंक्शन-18 द्वारा आर्टिकल प्रकाशित किया गया)

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