एक टीटीई का एचएचटी सेट दूसरे के पास?….कुछ ट्रेनें सोना उगलती, कुछ में चांदी कटती, कुछ में अनियमित यात्रियों की मौज
-रेल मंडल में मलाईदार ट्रेनों में ड्यूटी की होड़, कई ट्रेनों में ड्यूटी से कतरा रहे टीटीई
न्यूज जंक्शन-18
रतलाम। ट्रेनों में सफर के दौरान मुसाफिरों को बेहतर सुविधा तथा रेलवे को पर्याप्त राजस्व मिले। इसके लिए रेलवे द्वारा मोटी पगार व वेतन भत्ते देकर ट्रेनों में कर्मचारियों से टिकिट चेकिंग कराई जाती है। लेकिन रोजगार के इस आधार को काली कमाई का जरिया बनाकर रेलवे को लाखों रुपए माह की चपत लगाई जा रही है। हालात यह है कि काली कमाई के लिहाज से रेल मंडल से गुजरने वाली प्रमुख मलाईदार ट्रेनों में ड्यूटी के लिए जमकर होड़ व मिलीभगत भी चल रही है। इस वजह से चुनिंदा टीटीई को ही इन ट्रेनों की वर्किंग दी जा रही है। जबकि बाकी की कुछ ट्रेनों में भी ईमानदारी से राजस्व वसूली के प्रति न्याय नहीं किया जाता है। मंडल से गुजरने वाली कई ट्रेनें ऐसी भी है, जिसमें टीटीई ही नहीं जाते (अनमेंड) है। उनमें अनियमित यात्रियों की जमकर मौज रहती है।
दूसरी ओर 16 जनवरी को कानपुर-बांद्रा ट्रेन में हुई विजीलेंस कार्रवाई व इसकी ख़बर के प्रसारण से हड़कंप मचा है। बड़ी बात यह भी निकलकर आ रही है कि जिस टीटीई को अनुपस्थित माना गया था। इसका एचएचटी सेट दूसरा टीटीई ऑपरेट कर रहा था।
तीन प्रमुख ट्रेनों में एकाधिकार:- बताया जा रहा है रेल मंडल से गुजरने वाली मलाईदार ट्रेनों में कानपुर-बांद्रा, पश्चिम एक्सप्रेस तथा गरीबरथ एक्सप्रेस शामिल है। इन ट्रेनों में चेकिंग ड्यूटी की मानो टीटीई में होड़ लगी है। विभागीय सूत्र बताते है कि इन ट्रेनों में पप्पू राणा तथा राकेश शर्मा सहित कुछ अन्य टीटीई का अव्वल एकाधिकार है। मिलीभगत के चलते इन्हें ही इन ट्रेनों की वर्किंग दी जाती है। रोस्टर रिकॉर्ड की जांच में आसानी से उजागर हो सकता है। यह भी सामने आया है कि 22 जनवरी 2024 बुधवार को तड़के रवाना हुई पश्चिम एक्सप्रेस में टीटीई पप्पू राणा व राकेश शर्मा ही ड्यूटी पर गए है। इसमे भी रोस्टर में केवल एक ही टीटीई की ड्यूटी लगना चाहिए थी। खास बात यह भी है कि इनकी ड्यूटी अपर क्लॉस में होने के बावजूद मेलजोल से स्लीपर में ड्यूटी लगवाई गई है।
दरअसल प्रमुख मलाईदार ये ट्रेनें दिन की होने से इनमें बड़ी संख्या में दैनिक यात्री सफर करते है। ऐसे में बगैर टिकिट या मेलजोल के जरिए ट्रेनें बेहतर अवैध कमाई दे जाती है।
कई ट्रेनें बगैर टीटीई आ-जा रही, अनियमित टिकिट यात्रियों की मौज:- मुंबई-दिल्ली रुट के अलावा अन्य रुटों की ट्रेनें यहां से बगैर टीटीई के आ-जा रही है। इनमें ड्यूटी नहीं रहती है या ड्यूटी लगने के बाद भी टीटीई चेकिंग में रुचि नहीं लेते। ऐसे में अनियिमित यात्रियों की मौज तथा कंफर्म टिकिट वाले यात्रियों को परेशानी सहना पड़ रही है। सुबह की जोधपुर-इंदौर सहित कुछ नियमित व साप्ताहिक ट्रेनों में आम तौर पर यह अनियमितता देखने में आ रही है।
90 दिन के रोस्टर की अनदेखी:- कमर्शियल विभाग के नियमों के मुताबिक ट्रेनों में रोस्टरवार चेकिंग कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाए। इसमें 90 दिन के रोस्टर की पालना भी अनिवार्य है। इसके दीगर सीटीआई ऑफिस में इस ओर झांकने वाला कोई जिम्मेदार नहीं है। बुधवार के रोस्टर चार्ट की भी यदि कोई अधिकारी जांच करें तो ट्रेनों में बगैर रोस्टर ड्यूटी का रिकॉर्ड मिल जाएगा।
विजिलेंस जब्त कर ले गई एचएचटी सेट:- 16 जनवरी को हुए विजिलेंस प्रकरण में यह भी सामने आया था कि एचएचटी सेट (हैंड हेल्ड टर्मिनल डिवाइस) को लेकर भी घोर अनियमितता की गई है। दरअसल कानपुर-बांद्रा एक्सप्रेस में टीटीई अरविंद्र रावत, रंजीत माने व नुरुद्दीन सि्द्धिकी की ड्यूटी के दौरान विजिलेंस ने जांच की थी। तब टीटीई रावत ट्रेन में अनुपस्थित पाया गया था। टीटीई रंजीत की जेब से 5400 रुपए तथा सिद्धिकी के पास 3200 रुपए निकले थे। जांच में पता चला कि ट्रेन में अनुपस्थित टीटीई रावत अपने घर उत्तराखंड गया था। बावजूद इसका एचएचटी सेट अन्य टीटीई रंजीत के पास था। रावत के नाम से वह इसे ऑपरेट कर रहा था। विजिलेंच ने रावत के सेट को जब्त किया। इस मामले में जनसंपर्क अधिकारी खेमराज मीणा से जानकारी लेना चाही थी, लेकिन उन्होंने इस फोन रिसिव नहीं किया था।
अनदेखी पर बड़े सवाल
– कानपुर-बांद्रा एक्सप्रेस में विजिलेंस केस बनने पर ही यह अनदेखी उजागर हुई है। जबकि अन्य कई ट्रेनों में ऐसी रोज अनियमितता की जा रही होगी। ऐसे मामले केवल विजिलेंस के संज्ञान में ही क्यों आते है।
-रतलाम स्टेशन से लेकर मंडल कार्यालय तक सीनियर्स व अधिकारियों की भारी फौज है। इसके बावजूद ट्रेन में रोस्टर तथा टीटीई की ड्यूटी की जांच नहीं होना केवल लापरवाही नहीं, बल्कि वे स्वयं भी संदेह के घेरे में है।
-टीटीई या अन्य विभाग के कर्मचारी की जरा सी चूक होने पर उन्हें बतौर सजा दिनभर खड़ा कर दिया जाता है। डीआएम ऑफिस से महज डेढ़ किमी दूर स्थित रेलवे स्टेशन पर अनियमितता क्यों नहीं दिखाई देती है।