ये बड़ी मिलीभगत….रतलाम में कार्यरत टीटीई उत्तराखंड अपने घर पर, रोस्टर में ट्रेन की ड़यूटी दर्शाई, जांच में निलंबित
-दो के बजाय तीन टीटीई की ड्यूटी, चेकिंग में विजिलेंस ने धरा
-न्यूज जंक्शन-18
रतलाम। यह केवल पश्चिम रेलवे के रतलाम मंडल में ही संभव है कि यहां कार्यरत रेलवे कर्मचारी अपने घर दूसरे राज्य में रहे। बावजूद जिम्मेदार इनकी ड्यूटी रतलाम में बकायदा ड्यूटी रोस्टर में दर्शा दी जाती है। कमर्शियल विभाग में कार्यरत चेकिंग कर्मचारी के साथ भी ऐसी मिलीभगत उजागर हुई। टीटीई देहरादून उत्तराखंड अपने घर गया। लेकिन इसकी ट्रेन में बकायदा ड्यूटी लगा दी गई। हालांकि विजिलेंस चेकिंग के दौरान ट्रेन में जांच की गई तो मामला उजागर हुआ। बल्कि उसी ट्रेन में ड्यूटी कर रहे दो अन्य टीटीई को विजिलेंस ने नगदी के साथ ट्रैप किया। इनके पास से अतिरिक्त राशि मिली। उत्तराखंड घर गए टीटीई को निलंबित कर दिया गया। जबकि दो अन्य की जांच चल रही है।
यह मामला गत सप्ताह 16 जनवरी 2025 को अवैध कमाई के लिहाज से सर्वाधिक खोचड़ (आय) वाली ट्रेन कानपुर-बांद्रा एक्सप्रेस का है। विजिलेंस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रतलाम से सुबह 9.30 बजे रवाना होने वाली ट्रेन में उस दिन तीन टीटीई अरविंद्र रावत, रंजीत माने व नुरुद्दीन सि्द्धिकी की रतलाम से मुंबई तक की ड्यूटी लगाई गई। हैरत वाली बात है कि इसमें से अरविंद्र रावत अपने घर देहरादून उत्तराखंड गया हुआ था। बावजूद रोस्टर में इस ट्रेन की ड्यूटी में इसका नाम दर्ज था।
वापी-मुंबई के बीच विजिलेंस की धरपकड़- विजिलेंस सूत्रों के मुताबिक ट्रेन में वापी से मुंबई के बीच विजिलेंस टीम द्वारा जांच की गई। तब टीटीई रंजीत की जेब से 5400 रुपए तथा सिद्धिकी के पास 3200 रुपए मिले। इनका प्रकरण बनाकर इसकी सूचना रतलाम में विभाग के अधिकारियों को दी गई। जांच के दौरान ड्यूटी में शामिल अन्य टीटीई रावत नहीं मिला। जानकारी लेने पर संज्ञान में आया कि रावत अपने गृह गांव गया है। विभाग द्वारा इसे तत्काल निलंबित कर दिया गया। बताया यह भी जा रहा है कि नियमों से ट्रेन में दो टीटीई की ही ड्यूटी रहती है। जबकि उस दिन तीन कर्मचारी ड्यूटी पर दर्शाए गए।
दो अन्य टीटीई का ट्रेन में अधिकार, अन्यथा कार्रवाई- इसे मिलीभगत ही कहा जाए कि इन ट्रेन में तयशुदा हमेशा दो टीटीई की ही ड्यूटी लगाई जाती है। जब भी किसी अन्य टीटीई की ड्यूटी लगाई गई, तब ट्रेन में विजिलेंस की धरपकड़ कार्रवाई होती है। रतलाम मंडल के ही चेकिंग कर्मचारियों की माने तो कानपुर-बांद्रा सर्वाधिक अवैध कमाई वाली ट्रेन है। क्योंकि वेतन-भत्ते के अलावा यात्रियों से वसूली सहित एक टीटीई कम से कम 10 से 15 हजार रुपए की काली कमाई कर लौटता है। इस ट्रेन में अमूमन टीटीई राकेश शर्मा तथा पप्पू राणा की ही ड्यूटी लगाई जाती है। पिछले छह माह का सीटीआई ऑफिस के रोस्टर रिकॉर्ड की जांच की जाए तो अनियमितता साफ उजागर हो सकती है। 16 जनवरी को कार्रवाई वाले दिन भी अन्य टीटीई की ड्यूटी थी। तब भी विजिलेंस कार्रवाई की गई।
अन्य टीटीई पर कार्रवाई न होने पर सवाल- मामले में एक टीटीई को अनुपस्थित रहने पर निलंबित कर दिया गया। लेकिन अन्य टीटीई को कार्रवाई के दायरे में नहीं लेना भी सांठगांठ मानी जा रही है। नियमों के मुताबिक किसी टीटीई के पास से यदि 5000 रुपए तक की राशि पाई जाती है। तब इसे अवैध कमाई मानते हुए तुरंत निलंबित करने के प्रावधान है। अभी दूसरे टीटीई रंजीत पर निलंबन की कार्रवाई नहीं हुई। जांच में इसके पास से 5400 रुपए मिले थे। मामले में पीआरओ खेमराज मीणा से जानकारी लेना चाही। लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नही किया।
यह है नियम- नियमों के मुताबिक रनिंग कर्मचारियों को ड्यूटी चढ़ने से पहले अपने पास रखे रुपए की जानकारी देना होती है। स्टेशन पर ड्यूटी के कर्मचारियों को 750 रुपए तक या ट्रेन में ड्यूटी के दौरान 2000 रुपए है, तब सूचना देना होती है। किसी काम से यदि 2000 से ज्यादा राशि लेकर जाते है तो वरिष्ठ अधिकारी को सूचित करना जरूरी है। ट्रेन में ड्यूटी पर जाने वाले टीटीई के अलावा यह नियम आरपीएफ, ऐसी कोच स्टाफ पर भी लागू है।
चेकिंग कर्मचारियों को ड्यूटी पर चढ़ने से पहले जेब में निजी राशि होने पर इसे सीटीआई स्लीपर या डिसीटीआई के लिखित संज्ञान में देना जरुरी है। इसके बाद यदि ट्रेन में अतिरिक्त राशि मिली तो अनियमिता के दायरे में लेकर कार्रवाई की जाती है।