ये कैसा कोच मैनेजमेंट: रतलाम-ग्वालियर ट्रेन में छह जनरल कोच एक किलोमीटर आगे, दौड़ते-हांफते सवार हो रहे यात्री
-अगस्त के आखरी सप्ताह में एलएचबी कोच का रैक होने के बाद और गहराई समस्या।
-अधिकांश बार चेन पुलिंग, हादसे का भी शिकार हो सकते है यात्री।
न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। रतलाम-ग्वालियर-भिंड एक्सप्रेस के जनरल कोच में एक किलोमीटर दूर जाकर सवार होना इन दिनों यात्रियों के लिए मैराथन दौड़ जितने जैसा साबित हो रहा है। कई यात्रियों की तो ट्रेन ही छूट रही है।
दरअसल रेलवे ने अगस्त के आखरी सप्ताह में एलएचबी कोच के ट्रेन में रैक जोड़ा है। इसमें कोच मैनेजमेंट का ध्यान रखना शायद अफसर भूल गए या यात्री सुविधाओं से इन्होंने किनारा कर लिया है। हालांकि इंदौर से रतलाम आते वक्त ये कोच पीछे रहते है। लेकिन यहां इंजिन बदलने की वजह से सभी छह कोच इंजिन के पास तथा रैक के आगे हो जाते है। सब, यही से दर्जनों यात्रियों की मशक्कत शुरू हो जाती है।
मालूम हो कि ट्रेन 11126 ग्वालियर-रतलाम एक्सप्रेस ग्वालियर से 25 अगस्त तथा 11125 रतलाम-ग्वालियर एक्सप्रेस रतलाम से 27 अगस्त से पारंपरिक रैक के बजाय एलएचबी (लाल रंग) रैक से परिचालित कर दुर्घटना के लिहाज से यात्री सुरक्षा बढ़ाने की कवायद की। इसके विपरीत यह सुरक्षा यात्री सुविधा के बजाय परेशानी में तब्दील हो गई।
ट्रेन के नए रैक में कुल 20 कोच
कोच मैनेजमेंट में मुताबिक रैक के आगे व पीछे दोनों दिशाओं में बराबरी से जनरल कोच जरूरी है। रतलाम-ग्वालियर-भिंड एक्सप्रेस में इसकी घोर अनदेखी की गई। ट्रेन में कुल 20 कोच का एलएचबी रैक है। इसमें ऐसी तथा स्लिपर के 14 कोच जुड़े रहते है। जबकि 6 जनरल कोच (एलएसआरडी मिलाकर) इस नए रैक में शामिल किए गए है। कोच मैनेजमेंट में मुताबिक रैक के आगे व पीछे दोनों दिशाओं में बराबरी से जनरल कोच जरूरी है। इसके विपरीत रतलाम से ट्रेन चलते वक्त सभी 6 जनरल कोच आगे की दिशा में जुड़े होते है।
यात्री शिवांगिनी कैथवास का कहना है कि रतलाम से इंदौर जाना था। टिकिट विंडो की भीड़ में 10 मिनीट का समय लगा। गाड़ी का समय होने से प्लेेेटफॉर्म नंबर 1 पर दूर तक चलकर बमुश्किल आगे जनरल कोच तक पहुंचे। मामले में रेलवे पीआरओ खेमराज मीणा का कहना है कि इसके बारे में जनप्रतिनिधियों की लिखित में शिकायत आएगी तो एनसीआर लेटर भिजवाएंगे।
सुबह डेमू पैसेंजर की भी समस्या
इसी तरह सुबह 6.35 बजे इंदौर की डेमू पैसेंजर पकड़ने में भी यात्रियों को ऐसी ही मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। प्लेटफॉर्म नंबर एक की जिस लाइन पर मथुर पैसेंजर खड़ी रहती है। इसी लाइन पर इंदौर जाने के लिए आगे डेमू पैसेंजर खड़ी की जा रही है। इंदौर सहित बीच स्टेशनों के यात्रियों को दूर तक पैदल चलकर ट्रेन पकड़ना पड़ रही है। इसके लिए भी कई यात्री रोज दौड़ते-हांफते दिखाई देते है। वहीं कई नए यात्री अफ़लत में मथुरा पैसेंजर में सवार हो रहे है।
ये भी यात्री समस्या के साथ
रतलाम-ग्वालियर-भिंड एक्सप्रेस के रेलवे को आगे पीछे समान रूप से जनरल कोच जोड़े जाने चाहिए। यात्रियों को एक किलोमीटर दूर चलकर आगे इंजिन की ओर जाना पड़ता है। ऐसी ही समस्या सुबह इंदौर जाने की पहली डेमू पैसेंजर की है। रेलवे अधिकारियों को इसके लिए समस्या दूर करना चाहिए।
-शैलेंद्र डागा, पूर्व महापौर व पूर्व डीआरयूसीसी मेंबर, रतलाम।