-खुशामदी एमवीआई को अभी भी केबिन में सुशोभित कर रहे रेलवे अफ़सर।
न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। किसी कर्मचारी को छोटी सी चूक पर चार्जशीट थमाकर दंडित करने वाले अफ़सर कंट्रोल में एमवीआई (मंडल संचलन निरीक्षक) पद पर कार्यरत क्लॉस थ्री कर्मचारी टीएस चौहान पर अभी भी मेहरबान है। इन्हें अभी भी सम्मान नवाजते हुए केबिन में किसी अधिकारी की तरह ही बैठा रखा है। दूसरी ओर चौहान भी केबिन को भगवान का वरदान व विभाग से मिली सौगात मान बैठे है। इसलिए केबिन के हेंडिल व अंदर कुर्सी पर भस्म रमाकर (संभवतः अभिमंत्रित) ही दिन की शुरुआत कर बैठते है।
मालूम हो कि कंट्रोल में एमवीआई चौहान को खुशामदी के एवज में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा बैठने को केबिन दिया गया है। जबकि इसी कंट्रोल में कार्यरत दो एओएम (सहायक ऑपरेटिंग मैनेजर) को ठीक से बैठाना तक नसीब नहीं हो रही है। इन दोनों अधिकारी के बीच महज एक ही केबिन है।
न्यूज़ जंक्शन-18 द्वारा अवैधानिक प्रकिया के तहत मंडल कार्यालय में चल रही इस अनियमितता को बख़ूबी प्रकाशित कर डीआरएम सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की संज्ञान में लाया गया था। इसके बावजूद ऑपरेटिंग विभाग के प्रमुख द्वारा चौहान को केबिन से बाहर करने की जहमत नहीं उठाई गई।
महिला एओएम के आने का इंतजार
विभाग के अधिकारी एक महिला एओएम के आने का इंतजार कर रहे है। तांकि चौहान के केबिन को महिला अधिकारी को दे दिया जाएगा। दूसरी ओर विभाग के ही सूत्र बताते है कि एओएम एचआर मीणा तथा अतिकुर रहमान अंसारी के आने से पहले महिला एओएम तृप्ति के नाम की प्लेट लगा दी गई थी। बाद में मीणा व अंसारी की नेमप्लेट लगाई गई। ऐसे में माना जा रहा है कि जिस महिला अधिकारी का विभाग इंतजार कर रहा है। संभव है तबादला रुकवा लिया गया हो या उनके आने में और देरी होगी। इन सभी के बीच 4600 ग्रेडपे के तृतीय श्रेणी कर्मचारी को केबिन में बिठाना रेलवे के किसी नियम में उल्लेखित नही है।
चारों ओर विभाग की किरकिरी
बताया जा रहा है कि एमवीआई की ड्यूटी दिनभर अधिकारी की निजी सेवाओं में गुजरती है। हालांकि यह सिलसिला लंबे समय से चला आ रहा है। दरअसल रतलाम को छोड़कर किसी ओर मंडल में खुशामदी की परंपरा नही है। रतलाम में अन्य विभागों में भी चुनिंदा खुशामदी अपने वरिष्ठ अधिकारी की सेवा में ही जुटे रहते है। इसके एवज में उन्हें सुविधाओं के अलावा तबादलों से भी वंचित होने का बखूबी लाभ दिया जाता है। एमवीआई द्वारा भी लंबे अंतराल से यह काम शिद्दत से किए है। यहीं वजह से कि इनसे रेलवे का नियमित काम की भी छूट दी जा रही है।
वरिष्ठ अधिकारी जैसी दिन की शुरुआत
कंट्रोल में केबिन मिलने के बाद एमवीआई के किसी बड़े अधिकारी से कम जलवे नही है। कंट्रोल के कर्मचारियों की माने तो बकायदा नियमित पूजा व ध्यान के बाद ही इनका केबिन में प्रवेश होता है। बल्कि प्रवेश से पहले केबिन के हेंडिल व कुर्सी पर भस्म का छिड़काव कर बाधाएं टालने के जतन भी किए जाते है।
एमवीआई की यह अनदेखी व यह भी लाभ
– पत्नी के नाम से विभाग में अटैच वाहन के परिचालन की धरातल पर कोई जांच नहीं।
-अधिकारी की नजदीकियों के चलते ट्रेनों में वीआईपी कोटे के तहत परिचितों की नियमित बर्थ लेना।
-रेलवे नियमों के तहत कंट्रोल जैसी महत्वपूर्ण जगह पर ड्यूटी घंटों को लेकर विभाग द्वारा कोई पूछताछ नहीं।