-रतलाम विकास प्राधिकरण अध्यक्ष की रैली व ताजपोशी से बदले राजनीति मायने।
-शहर में निकाली रैली रही सफल, प्लानिंग गेम हुए विफल।
-राजनीति के भैयाजी को नमन कर पोरवाल से संभाला अपना कामकाज।
न्यूज जंक्शन-18
रतलाम। रतलाम विकास प्राधिकरण अध्यक्ष अशोक पोरवाल की रैली व ताजपोशी से शहर की राजनीति के नए आयाम का आगाज हुआ है। हालांकि राज्य शासन द्वारा नियुक्ति की घोषणा के बाद से भाजपा खेमों की राजनीति में खलबली शुरू हो गई। प्लानिंग गेम भी शुरू हो गए थे। आशंका थी कि रैली कही रैला न बन जाए। इसके लिए शहर के एक कोने से फोन भी खूब घनघनाए। लेकिन रैली में कार्यकर्ताओं की मौजूदगी ने गेम पूरी तरह से पलट दिया। आखिर राजनीति के भैया जी के चरण छूकर पोरवाल ने बुधवार को नई जिम्मेदारी की शुरुआत कर दी।
मालूम हो कि रैली के बाद पदग्रहण समारोह में इंदौर विधायक आकाश विजयवर्गीय अतिथि (विशेष व मुख्य) के रूप में उपस्थित हुए थे। उन्होंने आम कार्यकर्ताओं में यह कहते हुए जोश भर दिया कि भारतीय जनता पार्टी किसी व्यक्ति विशेष की नही है। बल्कि इसे सींचने में आम कार्यकर्ता का अहम योगदान रहा है।
आयोजन में पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी ने पोरवाल की खूब पीठ थपथपाई। वैसे ही मंच पर बिराजित भाजपा के ही दूसरे खेमे के नेताओं की त्योरियां चढ़ती रही। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का वरदहस्त व आशीर्वाद रहने से आरडीए अध्यक्ष का मनोबल कई गुना बढ़ता दिखाई दिया।
मेंशन से पोरवाल की न्यूज़ का मेंशन तक नही
राज्य शासन से आरडीए अध्यक्ष की घोषणा होने के बाद से जैसे शहर की राजनीति में भूचाल आ गया। हालांकि अपनी नियुक्ति की घोषणा व ताजपोशी के पहले आरडीए अध्यक्ष पोरवाल राजनीति के भैया जी से भी आशीर्वाद लेने गए थे। उम्मीद यह लगाई जा रही थी कि बहुमान के समान ही पोरवाल के फोटो व मीडिया न्यूज जल्दी ही जारी हो जाएगी। उल्टा मेंशन से टेंशन निर्मित हो गया। ऐसे में मीडिया ईमेल से न्यूज का मेंशन तक नही किया गया। इसे लेकर भी बाजार में चर्चाओं का दौर थमने का नाम नही ले रहा है।
रैली में घनघनाए फोन, शोर में नही सुनाई दिए
अशोक पोरवाल की नवनियुक्ति की रैली को लेकर शहरभर में साउंड सिस्टम से की गई मुनादी ने गुटीय हलचल और तेज कर दी थी। पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी व कोठारी खेमें से जुड़े नेता रैली को सफल बनाने एकजुट थे। वही दूसरा धड़ा प्लानिंग गेम की तर्ज पर इसकी विफलता के लिए जी जान से जुट गया था। रैली में शामिल नही होने के फोन घनघनाने शुरू हो गए। हाल ही में बॉडी बिल्डिंग कॉम्पिटिशन में चर्चित हुए नेताजी भी फोन पर कार्यकर्ताओं से ऐसी ही मनुहार करते रहे। अंततः रैली की सफलतम सफलता से भाजपा के फैमेली ड्रामे को पूरी तरह से विराम मिला।