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घायलावस्था में उल्लू लड़खड़ाकर आया जमीन पर, रेस्क्यू कर रहवासियों ने वन विभाग को सौंपा

-अष्टविनायक रेसिडेंसी में लोगों ने बचाई उल्लू की जान।

न्यूज जंक्शन-18
रतलाम। उल्लू बनाना भले ही लोगों ने एक कहावत गढ़ दी गई। लेकिन लक्ष्मी जी के वाहन का प्रतीक उल्लू स्वयं कभी उल्लू नहीं बनाता है। यह न केवल भोला निरीह पक्षी बल्कि समझदार भी साबित हुआ। सोमवार रात घायलावस्था में अष्टविनायक (राजबाग़ ) रेसिडेंसी कॉलोनी में ज़मीन पर पड़ा दिखाई दिया तो लोगों को विश्वास नहीं हुआ। लगा कि पास जाने पर यह उड़ जाएगा या खुद का बचाव कर उल्टा प्रहार करेगा। लेकिन ऐसा न कर शांत स्वभाव से यह स्वयं मदद के लिए बरबस राजी हो जाएगा।


कल रात अष्टविनायक रेजिडेंसी में ऐसा ही नजारा देखने को मिला जब रहवासियों को वृहद आकार का उल्लू  दिखाई दिया। इसका का रेस्क्यू किया। इसे सुरक्षित वन विभाग की टीम को सौंपा।

अष्टविनायक रहवासी मनीष सिंह सिसोदिया, अतुल व्यास व कल्पेश बैरागी ने बताया कि बीती रात को कॉलोनी में उल्लू दिखाई दिया। यह उड़ पाने में असमर्थ था। तब समझ आया कि किसी हमले का शिकार हुआ या अन्य शारीरिक दुर्बलता के चलते वह परेशानी में है। कॉलोनी वासियों ने वन विभाग की रेस्क्यू टीम से संपर्क करने फोन लगाया। लेकिन रात अधिक हो जाने के कारण रेस्क्यू टीम ने आने में असमर्थता जताई। तब लोगों ने अपने स्तर पर सांप पकड़ने वाले व्यक्ति को बुलाकर सभी ने मिलकर उल्लू को रेस्क्यू किया। उल्लू ने स्वयं की सहायता में भरपूर सहयोग किया। कॉलोनीवासियों ने बताया कि यह उल्लू काफी समय से यही आसपास के पेड़ों पर रहता आया है। संभवतः उम्रदराज हो जाने ठीक से उड़ नहीं पा रहा था। सड़क पर आवारा कुत्तों का शिकार बनते इसे बचाया गया।
मंगलवार को सुबह वन विभाग के अधिकारियों को इस सूचनाकर इसे सौंप दिया गया।

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