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हर कोई थोड़े केबिनेट मंत्री बन सकता है, चार दिन यातायात वाले फुर्सत में, लक्ष्मी मंदिर के पंडित जी ने भी आखिर जक नी खाई, दिवाली के गिफ्ट उठाते थक गए आफ‍िस बॉय, अब सिविल डिफेंस में स्पेशल लिव का घालमेल…न्यूज जंक्शन-18

जलज शर्मा,
दीपावली के दिनों में केबिनेट मंत्री के निवास पर दीप मिलन समारोह का आभामंडल व रौनक इस बार कुछ अलग ही दिखाई दी…। ऐसा होना या दिखना लाजमी भी था। क्योंकि केबिनेट मंत्री बनने के बाद यह पहला दीप मिलन समारोह था। अलग-अलग दिनों में मीडिया सहित अन्य बिरादरी के लोगों को बकायदा आमंत्रित किया गया। बुलावा आया तो फिर क्या था…। सभी ने अपने घरों से स्टार्ट की गाड़ियां दौड़ाकर सीधे मंत्री निवास के अंदर पार्किंग पर ही रोकी। अंदर मंत्री जी की मौजूदगी में प्रदेश सहित रतलाम शहर के विकास की खूब बातें बताई गई। वहीं लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों की संभावनाओं व शासन द्वारा योजनाओं पर किए जा रहे कामों की भी जानकारियां दी गई। दीप मिलन के बहाने नमकीन नगरी के लोगों ने वहां मिठाईयों का भी खूब लुफ्त उठाया। मजा तो तब आया, जब मंत्री जी के पास फुल पार्टी के जिलाध्यक्ष, शहर के प्रथम नागरिक तथा मंजरी आखों व भूरे बालों वाले पूर्व की नगर सरकार के प्रथम नागरिक पूरे समय दोनों हाथ बांधें बैठे रहे। इनकी मौजूदगी में मंत्री जी ने भी बात-बात में चुटकी ले ही ली। कह दिया कि राजनीति में आना आसान है। आजकल कोई भी नेता बन रहा है। इससे क्या होता हैं। उनके लिए केबिनेट मंत्रीमंडल में जगह पाना मुकिश्‍ल है। हर कोई केबिनेट मंत्री थोड़े ही बन सकता है। यह बात सुनकर मिलन समारोह में बैठे आगंतुकों के चेहरे पर मुस्‍कराहट आ गई। लेकिन नेताओं के सिर पर सिलवटें पड़ गई। मंजरी आखों वाले नेता ने तो सिर भी नीचे कर लिया। बाकी जगन्‍ननाथ तो सब कुछ समझ ही गए होंगे।

धनतेरस से ही चौराहों पर यातायात वाले फुर्सत, इनकी अच्छी मनी दिवाली

दीपोत्‍सव के दिनों में जबरदस्त भीड़ के दबाव की आशंका थी। लेकिन बाजारों में ऐसा नज़ारा कहीं दिखाई नहीं दिया। इससे यातायात विभाग के अमले को बड़ा ही सुकुन मिला। पुलिस प्रशासन को आशंका थी कि हर बार की तरह बाजारों में वाहनों का दबाव रहेगा। अतिरिक्त बल लगाना पड़ेगा। लेकिन धनतेरस के दिन बाजार सामान्‍य दिनों की तरह दिखाई दिया। बाकी के दो दिनों में भी यातायात जवान फुर्सत में ही दिखाई दिए। व्‍यापारियों का कहना है कि बाजार में जो भी लोग आए। उनमें से अधिकांश सीताफल, जामफल, कैले, सिंघाड़े, लक्ष्मी जी का पाना तथा पूजा सामग्री ही खरीदते दिखाई दिए। सोना-चांदी के भाव आसमान छू गए। इस वजह से सराफा बाजार में भी पहले के सालों जैसी रौनक दूर तक नहीं दिखी। कपड़ा सहित अन्‍य सामग्री की ग्राहकी ऑनलाइन बिजनेस ने समेट ली। चुनिंदा जगह पर जाम की स्‍थ‍िति बनी भी तो एक-दो बार सिटी बजाकर यातायात कर्मियों ने हाथ जेब में डाल लिए। इस बार की दिवाली पर व्‍यापारियों के बजाय यातायात पुलिस वालों के चेहरों पर रौनक दिखाई दी।

लक्ष्मी मंदिर के पंडित जी ने भी आखिर जक नही खाई

दीपावली के दिनों में नोटों से सज्जित माणकचौक स्थित महालक्ष्मी जी मंदिर की पहचान पूरे देश मे फैल चुकी है। इस मंदिर के पुजारी जी भी इस बार अच्छे ख़ासे फेमस हो गए…। उनके घर में सूतक क्या लगा, पहाड़ ही टूट गया। जैसे लाखों का नुकसान हो गया…। घाटे का सौदा साबित होता देख सूतक के बावजूद वे मंदिर में पूजा के लिए पहुंच गए। बाहर निकलने का नाम ही नहीं ले रहे थे। ऐसे में बात बाहर निकलकर तो आनी ही थी। पंडित जी बेचारे करे तो क्या करे…। आखिर भनक लगी तो समाजवाले पुलिस लेकर मंदिर में पुजारी जी को हटवाने पहुंच गए। हंगामा हुआ तो पुजारी जी माने। ये दिवाली तो पंडित जी की बिगड़ ही गई। इसकी पूर्ति अब अगले साल ही हो सकेगी।

दिवाली के गिफ्ट उठाते थक गए आफ‍िस बॉय

दिवाली के दौरान सरकारी ऑफिस में फ्री के गिफ्ट पाने के अलग ही मजे रहे है। नगर निगम, आबकारी विभाग, रजिस्ट्री विभाग, आरटीओ जैसे मलाइदार विभागों में अधिकारियों के घर दिवाली के गिफ्ट से भर गए। खूब काजू-बादाम व काजू कतली उड़ाई।
इधर, रेलवे में भी गिफ्ट देने व लेने का नजारा देखने लायक था। करोड़ों के काम पाने तथा बिल जारी करवाने के लिए साल भर ठेकेदार सहित एजेंसियों के कर्ताधर्ताओं की जी-हुजूरी लगी रहती है। इन्होंने अपने आकाओं यानी रेलवे अफसरों को इस दिवाली पर भी गिफ्ट देकर रिझाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। रेलवे अफसरों के साथ ही टेंडर टेबलों के क्‍लर्क के चेहरे गिफ्ट सेलिब्रेशन से ख‍िल उठे। ये भी खूब माल लेकर अंधेरे में घर पहुंचे। हालांकि उपहार भेजने वालों का क्रम अभी भी थमा नहीं है।
इन सब के बीच मरन तो बेचारे ऑफ‍िस बॉय तथा कार ड्राइवरों का हुआ। गिफ्ट उठा उठाकर इनके हाथ थक गए। धन तेरस के एक दिन पहले से ही गिफ्ट से भरी गाड़ियों के आने का क्रम शुरू हो गया था। हालात यह रहे कि चेंबर के अंदर गिफ्ट पैकेट की थप्‍प‍ियां लग लगी। शाम को रोज कार ड्राइवर तथा ऑफि‍स बॉय गिफ्ट उठाते-उठाते थक गए। सबसे ज्‍यादा खराब हालत इंजीनियरिंग विभाग के ऑफ‍िस बॉय की हुई। इनके गिफ्ट वजनी होने से दोनों हाथों में समा नहीं पाए। गिरते पड़ते वे अपने अफसर की कार तक पहुंचे।
हे प्रभु सालभर धनवर्षा के अलावा दिवाली पर ऐसे ही गिफ्ट वर्षा भी होती रहे। तांकि बेचारे ठेकेदारों के कोई काम नहीं अटके।

अब सिविल डिफेंस में स्पेशल लिव का घालमेल

हाल ही में शिकायतों के लिए मशहूर हुए रेलवे के ताला-चाबी वाले बाबू की सिविल डिफेंस में भी स्पेशल लिव की घालमेल उजागर होने लगी है। हालांकि चौथी श्रेणी के कर्मचारियों में इन बाबूजी के खिलाफ अभी आक्रोश थमा नहीं है। बताया जा रहा है कि सिविल डिफेंस के मुंबई आयोजनों में जाने के लिए चुनिंदा मनपसंद कर्मचारियों को ही स्‍पेशल लिव की हरी झंडी दी जा रही है। जबकि दूसरे अन्‍य कर्मचारी बेचारे स्पेशल लिव के लिए मुंह ताक रहे है। कार्मिक विभाग में जो शिकायतें जमा हुई है। संभव है उनमें एक यह शिकायत भी शामिल हो जाए।
हे प्रभु जगन्‍नाथम ये सब क्‍या हो गया। शिकायतों पर शिकायतें…। इन्हें मिल रहे वरदहस्त को लेकर डीआरएम ऑफिस के गलियारों में सफेद व दूधिया ड्रेसकोड वाले चौथे क्रम के कर्मचारियों में कानाफुंसी भी होने लगी है।

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