-मंडल रेलवे चिकित्सालय में अधिकांश समय तीन में से दो ही विंडो चालू, अन्य इंतजाम भी नाकाफ़ी।
न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। डॉक्टर्स की कमी से परेशान पश्चिम रेलवे रतलाम के मंडल चिकित्सालय के मरीज वहां की अव्यवस्थाओं से भी अलग से जूझ रहे है। यहां के दवाई वितरण केंद्र पर मरीजों को घंटों खड़े रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। यह समस्या मरीजों के लिए डॉक्टर्स से चेकअप कराने, भर्ती होने से ज्यादा पीड़ादायी साबित हो रही है। न्यूज़ जंक्शन-18 द्वारा 15 दिनों तक विंडो सहित अस्पताल के इंतजामों के लिए अपने सूत्रों के माध्यम से निगरानी की। तब आव्यवस्थाएं उजागर होती साफ दिखाई दी।
बता दें कि वर्तमान में मंडल चिकित्सालय चुनिंदा डॉक्टर्स के भरोसे है। बल्कि अधिकांश संविदा श्रेणी के डॉक्टर्स है। यहां उपचार के दौरान उच्च इलाज के लिए मरीजों को इंदौर के अनुबंधित अस्पताल में भी रैफर करते है। जबकि विशेष जांच के लिए रतलाम शहर में भी लैब समयावधि के लिए अनुबंध के इंतजाम है। यह व्यवस्था भी मनमानी व बदइंतजामी की शिकार है।
दवाई विंडो के कर्मचारियों में ही विवाद
रेलवे अस्पताल में दवाई वितरण केंद्र पर तीन विंडो के इंतजाम है। मगर अधिकांश समय तीन विंडो ही खोली जाती है। दो विंडो पर भी ड्यूटी के दौरान कर्मचारी दवाई लेने आ रहे मरीजों को एक से दूसरी विंडो पर भेजने के प्रयास में जुटे रहते है। कई बार तो मोबाइल देखने, चर्चा तथा आपसी विवाद कर मरीजों के मर्ज़ को और बढ़ाने का काम करते है। नियमित दवाई लेने आने वाले रिटायर्ड व उनके परिजनों को विंडो पर देर तक इंतजार करना पड़ता है।
चोंट के मरीज मेडिकल कॉलेज के भरोसे
चोंट लगने या घायल होने पर अधिकांश रेलवे के मरीजों को मेडिकल कॉलेज के भरोसे रहना पड़ रहा है। रेलवे अस्पताल से उन्हें प्राथमिक पट्टी कर सीधे मेडिकल कॉलेज रैफर कर दिया जाता है। सोमवार को ही रेलकर्मी हार्दिक बामनिया से बाइक से आते गिरने से घायल हो गया था। इसे भी रेलवे अस्पताल से मेडिकल कॉलेज भेज दिया। कर्मचारी बताते हैं कि रेलवे अस्पताल में पूर्व में दो सर्जन थे। तब थोड़ा बहुत उपचार होता था।
इनका ये कहना है
रेलवे में कर्मचारियों की कमी के बावजूद तालमेल से काम चलाना पड़ता है। दवाई वितरण केंद्र पर लिखित शिकायत आने पर कार्रवाई करेंगे। अस्पताल में जो भी सुधार की आवश्यकता है। उसे जल्दी ही दुरुस्त कर व्यवस्थाएं बेहतर करने के प्रयास किए जाएंगे।
राजेश कुमार बेन
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, रेलवे अस्पताल रतलाम।