लेखन संसार
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छुट्टियों का उपयोग ( लघुकथा )
इस बार छुट्टियों में क्या प्लान है ऋषभ ? कहीं घुमने जाना है या समर कैम्प अटेंड करना है ? दोस्त स्वप्निल के इस प्रश्न पर ऋषभ ने कहा – हर बार की तरह इस बार भी घूमने का प्रोग्राम तो है मगर मैंने कुछ अलग योजना भी बनाई है। स्वप्निल ने बड़े ही कौतूहल से पूछा – कैसी योजना भाई ? ऋषभ ने कहा – इस बार मैं पेड़-पौधों की देखभाल के साथ-साथ नन्हें पंछियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था में भी समय दूंगा। प्रकृति हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग है। हमने किताबों में इसके बारे में पढ़ा है। क्यों न हम उसे जीवन में भी उतारें। स्वप्निल बोला – बहुत अच्छा सुझाव है मित्र ! मैं भी तुम्हारे साथ इस काम में जुड़ जाउंगा। चलो ! हम दूसरे दोस्तों को भी ये योजना बताते हैं…।
– यशपाल तंँवर
( फ़िल्म गीतकार,कवि,लघुकथा लेखक और मालवी रचनाकार ) अलकापुरी, रतलाम।
(मालवी गीत)
अबे पाछो आइग्यो हे चुनाव
अबे पाछो आइग्यो हे चुनाव
बोटिंग करनी हे २
दादा दादी ने ओर भैया ने भाभी सा २
सबने करनो कमाल
बोटिंग करनी हे…
अबे मनावेगा पाछा रे नेताजी २
अपणो रखणो ध्यान
बोटिंग करनी हे…
नवा नवा फेर दिखावे सपना २
कुण करेगा काम
बोटिंग करनी है…
बड़ी-बड़ी घणी घूमेगा रेलियां २
खूब वँटेगा माल
बोटिंग करनी है…
परलोभना का लगेगा पोस्टर २
लालच से कर लो बचाव
बोटिंग करनी है…
‘संजय’ री वातां सब ध्यान ती हुणजो
होची ने कर जो चुनाव
बोटिंग करनी है…
अबे पाछो आइग्यो हे चुनाव
बोटिंग करनी है २
संजय परसाई ‘सरल’
118, शक्तिनगर,गली न. 2
रतलाम (मप्र)
मोबा. 98270 47920
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धर्मशाला हाइट्स
“हेलो भाई केदारनाथ! जय शिव शंभू!कैसे हो तुम?”
“हेलो धर्मशाला! जय शिव शंभू! बहन ठीक हूँ मैं। पहले से काफी बेहतर। मेरे घाव भी भरने लगे हैं। पुनः पहले के समान होने की कोशिश में लगा हूँ। तुम सुनाओ आज इस भाई को कैसे याद किया?”
“भैया! तुम्हारे दुख से मैं बहुत दुखी रही और अब ऐसा लग रहा है कि जल्दी ही ऐसी ही आपदा मेरे ऊपर भी आने वाली है।”
“क्यों बहन? ऐसा क्यों ?”
“भाई यह ठीक है मेरी ऊँचाई तुम्हारे जितनी तो नहीं पर जितनी तेजी से यह मुझे काट रहे हैं,मुझे ऊँची- ऊँची बिल्डिंगों के बोझ तले दबा रहे हैं, लगता है मैं भी जल्दी ही….।”
बस सिसकियों की आवाज़….।
“बहन धीर धरो।”
” भाई अब सहन नहीं होता। बहुत पीर है। तुम्हीं देखो न! तुम तो ऊँचे- पूरे हो,जरा झाँक कर यहाँ भी एक निगाह डालो।”
“बहन शायद तुम भूल गई हो मैं भी पहले से कहाँ रहा?”
एक गहरी सांस भरता है।
“चलो रखती हूँ।भाई अपना ध्यान रखना जय शिव शंभू!”
“हाँ मेरे हाथ में होता तो जरूर रखता पर…. जय शिव शंभू!”
-यशोधरा भटनागर
देवास (मप्र)