दादा अब्दुल गफूर खान के परिवार का ऐसा भी ईदमिलन… एक परिधान में इकट्ठा हुए बेटे, पोते व पड़पोते, 62 सदस्य मिले आपस में गले, कहा-ईद मुबारक हो
-हर साल की तरह इस बार भी किया सामूहिक ईद मिलन।
न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। शहर में गुरुवार को ईद की खुशी के बीच लक्ष्मणपुरा के मेवाती खान परिवार में त्योहार की रौनक अलग ही दिखाई दी। दादा हाजी गफूर खान (मेवाती) ठेकेदार के वैसे तो कुल 175 सदस्य है। इनमें बेटों पोते व पड़पोते सहित 62 सदस्यों ने इस बार विशेष परिधान (एक रंग का कुर्ता पायजामा) पहने ईद मिलन समारोह आयोजित किया तो देखने वालों की नज़रे ठहर गई। सभी ने आपस में गले मिलकर एक दूसरे को मुबारकबाद दी तथा मुह मीठा करवाया।
हाजी गफूर साहब के पारिवारिक सदस्यों के पोते में सबसे छोटे वाजिद खान रेलवे जैसी बैंक डायरेक्टर है। वहीं पड़पोते में सबसे छोटे सदस्य वाजिद के ही बेटे मोहम्मद जिदान अली खान है।
सर्वाधिक शिक्षित खान परिवार के अधिकांश सदस्य व्यवसाय में अच्छे मुकाम पर है तो बाकी शासकीय नौकरियों में कार्यरत है।
इस बार सभी 62 सदस्यों ने एकमत से बादामी कलर का कुर्ता तथा सफेद पायजामा बनवाने के लिए ईद से पहले ही आर्डर दे दिया था। तांकि घर के समृद्ध परिवार की एकता तथा आपसी प्रेम प्रदर्शित हो। इस कवायद के बाद जब ईद पर नमाज़ के बाद सुबह सभी लक्ष्मणपुरा इकट्ठा हुए तो नज़ारा देखते ही बना।
अकाल के दौरान मेवात छोड़कर रतलाम बसे दादा
परिवार के सदस्य सेवानिवृत्त शिक्षक अनीस खान साहब ने बताया कि उनके दादा नज़र खा साहब मुख्य रूप से मेवात (अलवर) राजस्थान के वाशिंदे रहे है। लेकिन अकाल की स्थिति के चलते वे उस दौरान रतलाम आ बसे थे। इसके बाद से हमारा परिवार रतलाम का निवासी कहा जाने लगा। जैसी बैंक डायरेक्टर वाजिद खान और विस्तार से बताते है कि उनके दादा हाजी गफूर खान का कोयले की ठेकेदारी का व्यवसाय था।
उनके 8 बेटों के कुल 24 पुत्र है। हमारे परिवार का आपसी प्रेम व दूसरे समाज के प्रति भाईचारा परिवार की विशेष पहचान है। यही वजह है कि ईद मिलन के लिए सभी छोटे बड़े 62 सदस्यों ने एक जैसी ड्रेस पहनकर ईद की खुशियां बांटी। घर के बाहर मिलन समारोह का आयोजन किया। सभी सदस्यों ने एक साथ फ़ोटो शेषन करवाया तो आते-जाते अन्य लोगों को भी सिवइयां खिलाकर मुंह मीठा करवाया।