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रेलवे घूसखोरी का यू टर्न : फैमेली पेंशन में नाम की त्रुटि से लंबित हुई फाइल

-मामले में आगे बढ़ रही जांच, प्रकरण की तह तक पहुंचने के प्रयास।

न्यूज जंक्शन-18
रतलाम। रेलवे में पिछले दिनों विजिलेंस कार्रवाई तथा घूसखोरी के आरोपों के बीच जांच कार्रवाई आगे बढ़ रही है। मामले में सेटलमेंट शाखा के ओएस सीपी पांडे के हाल ही में मुख्यालय पर कथन लिए गए। विभाग की बदनामी को देखते स्थानीय अधिकारी भी मामले की तह तक पहुंचने के प्रयास में जुटे है।
सूत्रों से जानकारी मिली है कि फैमेली पेंशन में नाम जुड़वाने के इच्छुक आवेदक आरत (दिवंगत रेलकर्मी सकरिया गेमा के पुत्र) के दस्तावेजी नाम में अंतर था। मूल रूप से इसलिए कार्यवाही लंबित हुई है।
इधर, 9 जनवरी को विजिलेंस कार्रवाई के बाद से सेटलमेंट शाखा के दोनों कर्मचारियों द्वारा यह सफाई दी जा रही कि उन्हें मामले में जबरन घेरा गया है। असल में नाम परिवर्तन संबंधी कागजाद लेने ही आवेदक आरत ने रेलवे स्टेशन बुलवाया गया था।
हालांकि जांच के बिंदुओं के मुताबिक रिपोर्ट तैयार करने के बाद मामले में सच्चाई सामने आ सकेगी।

यह है सिलसिलेवार पूरा प्रकरण

-रेल मंडल में कार्यरत ट्रैकमैन सकरिया गेमा का वर्ष 2013 में निधन हुआ।
-रेलवे द्वारा कर्मचारी के बड़े पुत्र जसवंत को अनुकंपा नियुक्ति दी गई।
-दिवंगत कर्मचारी सकरिया गेमा की बड़ी पुत्री को नियम से 25 वर्ष की उम्र तक पेंशन का लाभ दिया गया।
– रेलवे द्वारा बाद में छोटी पुत्री को पेंशन की अग्रिम कार्रवाई की गई। विवाह उपरांत इसे फैमेली पेंशन की पात्रता नहीं दी गई।
-तत्पश्चात छोटे पुत्र आरत ने पेंशन के लिए नवंबर 2022 में आवेदन प्रस्तुत किया।
-ओएस द्वारा लेखा विभाग को भेजे गए प्रकरण में आवेदन के नाम में अंतर होने की बात कही गई। विधिक सहायक से रायशुमारी के लिए मामला प्रस्तुत किया गया।
-नाम की उलझन व इस संबंधी घोषणा पत्र के अभाव में यह मामला करीब डेेेढ साल तक लंबित रहा।

प्लेटफॉर्म नंबर 7 पर हुई थी धरपकड़

-फैमेली पेंशन के आवेदक आरत द्वारा विजिलेंस में शिकायत की गई। इसके बाद प्लेटफॉर्म नंबर 7 पर क्लर्क शिवलाल मीणा को विजिलेंस ने 10 हजार रुपए लेते पकड़ा था। ये वहीं नंबर वाले नोट निकले थे जो शिकायतकर्ता को टीम ने बतौर सबूत उपलब्ध कराए थे।

बचाव में यह लगा रहे आरोप

बयानों की प्रकिया के बीच इन्हीं कर्मचारियों का कहना है कि फैमेली पेंशन में नाम जुड़वाने की वैधानिक प्रकिया के चलते लेटलतीफी हुई है। इससे खफा होकर उनके खिलाफ षडयंत्र रचा गया था। इधर, ओएस के पक्ष में कार्मिक विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि विजिलेंस इंस्पेक्टर अर्पित जैन द्वारा शिकायतकर्ता को प्रकरण में तैयार किया गया।

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