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खुशामदी एमवीआई को क्लॉस वन सुविधा, दे दिया केबिन, दो अफसर बैठने को तरसे

दो एओएम स्तर के अधिकारियों को एक ही केबिन में बिठाया, एमवीआई अफसरों के निजी कामों में व्यस्त

न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। अंग्रेजों के जमाने से रेलवे में चली आ रही खुशामदी की परंपरा लगता है आज भी बदस्तूर जारी है। इसका ताजा उदाहरण रतलाम दो बत्ती स्थित रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में आसानी से देखा जा सकता है। यहां कंट्रोल में एमवीआई (मंडल संचलन निरीक्षक) पद पर कार्यरत क्लॉस थ्री कर्मचारी टीएस चौहान को खुशामदी के एवज में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा बेहतर सुविधाएं नवाजी जा रही है। एमवीआई चौहान को डयूटी के दौरान बैठने को बकायदा केबिन दिया गया। बल्कि बताया जा रहा कि इन्हें काम न करने की भी पूरी छूट दी गई। क्योंकि यह अधिकांश समय कंट्रोल के बाहर ही दिखाई देते है।

फ़ोटो कैप्शन : एमवीआई चौहान का सिंगल केबिन। इस केबिन के बाहर लगी क्लॉस थ्री कर्मचारी चौहान की नेमप्लेट।

वही इसी कंट्रोल में कार्यरत दो एओएम (सहायक ऑपरेटिंग मैनेजर) को बैठने तक की व्यवस्था ठीक से नसीब नहीं हो रही है। हालांकि इन दोनों अधिकारी को कंट्रोल में बिठाया तो जा रहा है। लेकिन दोनों के बीच महज एक ही केबिन है।
विभाग के ही कर्मचारी बताते है कि 4600 ग्रेडपे के तृतीय श्रेणी कर्मचारी को नियम से न केबिन, नही गाड़ी की सुविधा मिलती है। एमवीआई चौहान की ड्यूटी के दौरान कंट्रोल के बाहर विभाग के हॉल में बैठने के इंतजाम है। इसके बावजूद ऑपरेटिंग विभाग द्वारा इसे अधिकारी की तरह केबिन में बिठाना विभाग के ही अन्य कर्मचारियों के समझ से परे है।

दोनों एओएम की फजीहत

इधर, एओएम एचआर मीणा तथा अतिकुर रहमान अंसारी की कंट्रोल में परिचालन को लेकर अहम जिम्मेदारी है। इसके बावजूद एक ही केबिन में दोनों को बिठाया गया। एक ही केबिन के बाहर दोनों की एक साथ लगी नेमप्लेट पूरी कहानी बयां कर रही है। मामले में रेलवे पीआरओ का कहना है कि रेलवे में कामकाज पूरी तरह नियमों के अधीन है।

फ़ोटो कैप्शन : एओएम मीणा और अंसारी का केबिन। दोनों के एक ही केबिन पर लगी नेमप्लेट।

इसलिए भी एमवीआई को सुविधा व लाभ

-लंबे समय से अधिकारियों के निजी काम शिद्दत से करने का अनुभव।
ऑपरेटिंग व कमर्शियल विभाग के अधिकारियों से खुशामदी व तगड़ा मेलजोल।

-संबंधित विभाग के अधिकारियों को नियमित रूप से घर के बाहर तक छोड़ना व लेकर आना।

-चौहान की पत्नी के नाम से स्वंय की गाड़ी रेलवे में अटैच कर दोहरा लाभ कमाने की महारत।

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