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एटीएम कार्ड की संरक्षा, ब्लेंक चेक का पाथ, सरपट दौड़ रही सूदखोरों की गाड़ी

-रेलवे से जुड़े कई सूदखोरों के मकड़जाल में फंसे है रेल कर्मचारी
-पहली तारीख पर वेतन मिलते ही खाली हो जाता है बैंक एकाउंट में पैसा

न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। सेव, साड़ी, सोना के नाम से रतलाम शहर की देश-दुनिया में मशहूरियत अब जुआ-सट्टा तथा सूदखोरी में तब्दील होने लगी हैं। शहर तक कभी सिमटी सूदखोरी की जड़ें अब रेलवे सिस्टम तक फैल गई है। एटीएम कार्ड व ब्लेंक चेक की अनिवार्यता को सुरक्षित रिकवरी का विकल्प मान लिया गया। इसके चलते शहर के सूदखोरों का जाल पहले तो रेलवे कर्मचारी तक पसरा। इसके बाद अपर ग्रेड वाले कर्मचारी खुद भी इस धंधे में कूद पड़े। ठेका कर्मचारी सहित रेलवे के छोटे कर्मचारियों के संपर्क में आकर उनकी जरूरतमंदी का जमकर लाभ उठाना शुरू कर दिया। पीड़ित कर्मचारियों का कहना है कि सूदखोरों के चंगूल में फंसे अलग-अलग कर्मचारियों से सूदखोर करीब ढाई से तीन लाख रुपए हर माह ब्याज के रूप में वसूल रहे है।
मालूम हो कि पीड़ित ठेका कर्मचारी की शिकायत पर पुलिस थाना औद्योगिक क्षेत्र में किराना व्यापारी ठाकुरदास व उसके भाई रिटायर्ड रेलवे गार्ड आरके सतवानी सहित पांच पर प्रकरण दर्ज किया है।

हर माह एटीएम से निकाल लेते हैं एटीएम

3 से 5 प्रतिशत ब्याज पर रूपए देने के बाद वसूली 10 प्रतिशत तक पहुंच जाती है। अनिवार्यता के रूप में पहले ही कर्मचारियों से सूदखोर एटीएम कब्जे में रखते हुए सुरक्षित रिकवरी की गारंटी ले लेते हैं। ब्याजखोरों से पीड़ित रेलवे कर्मचारी अनिल कुमार बताते है कि कर्मचारी मजबूरी में ब्याज के रूपए लेने के एवज में ब्लेंक चेक, प्रॉमिसरी नोट के अलावा एटीएम कार्ड भी देते है। कार्ड हमेशा सूदखोर के कब्जे में रहता है। वेतन मिलने पर एटीएम से अपनी मासिक किश्त काटकर बाकी राशि कर्मचारियों को दे देते है। मूल से ज्यादा वसूली पर विवाद निर्मित होने पर मामले पुलिस तक पहुंचते है।

पर्याप्त तनख्वाह फिर भी की डूबे कर्ज में

केंद्र सरकार द्वारा छठा वेतनमान लागू करने के बाद से रेलवे कर्मचारियों के वेतन में बेतहाशा इजाफ़ा हुआ है। जीवन स्तर में सुधार के बाद खर्च भी बढ़ने लगे। यहीं वजह है कि पर्याप्त वेतन के बाद भी कर्मचारी कर्ज में डूबने लगे। 60 से 70 फीसदी कर्मचारियों के जेसी बैंक से लोन है। जिसके बाद भी इन कर्मचारियों में से कई कर्मचारी के निजी बैंकों से अतिरिक्त लोन भी है। वही कर्मचारी बाजार से सूदखोरों के माध्यम से ब्याज से भी रुपए उठाकर अपनी जरूरतें पूरी करने में जुटे है।

अपरग्रेड वाले ये कर्मचारी उतरे ब्याज के धंधे में

 

रेलवे में अपरग्रेड वाले कुछ कर्मचारी अपनी मोटी तनख्वाह को ब्याज पर चलाने का धंधा शुरू कर चुके है। इसमें रेलवे गार्ड शामिल निकले। वहीं पूर्व में दिवंगत लोको पायलट व सेवानिवृत्त सीएचआई भी ब्याजखोरों का धंधा कर अन्य कर्मचारियों से ब्याज वसूलते रहे है।

पूर्व एसपी ने चलाया था अभियान

रेलवे में सूदखोरों का बोलबाला होने के बावजूद जीआरपी में इसके प्रकरण दर्ज नहीं होना आश्चर्यजनक पहलू है। जीआरपी थाना प्रभारी का कहना कि जीआरपी में ऐसा कोई प्रकरण दर्ज नही है। वही शिकायत के आधार पर पूर्व एसपी गौरव तिवारी ने शहर में ब्याजखोरों पर मकान ढहाने जैसी कार्रवाई की थी। हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए थे।

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