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परशुराम कल्याण बोर्ड ब्राह्मणों के माध्यम से सनातन की परंपरा को समाज में व्याप्त करने का काम करेगा- पं. विष्णु राजोरिया

-मप्र परशुराम कल्याण बोर्ड के वसंतोत्सव में वक्ताओं ने सनातन संस्कृति और वसंत तथा रतलाम राज्य के इतिहास पर डाला प्रकाश, तीन शख्सियतों का स्मान भी किया।

न्यूज़ जंक्शन-18

रतलाम । गुरुओं ने, ऋषि-मुनियों ने जो मार्ग प्रशस्त किया उसका अनुकरण करने का दायित्व सबसे पहले ब्राह्मण को है। परशुराम कल्याण बोर्ड ब्राह्मणों के माध्यम से सनातन की परंपरा को समाज में व्याप्त करने का प्रयत्न करेगा। सभी सनातनी एक हैं, जातियों का जन्म कालांतर में हुआ। पहले कोई जाति होती नहीं थी। वर्ण व्यवस्था जन्म से लागू नहीं थी, बल्कि कर्म से है। यह देश, समाज और परिवार को चलाने की एक व्यवस्था भर थी। इसलिए सभी को उचित सम्मान मिलेगा और यह दायित्व ब्राह्मण निभाएंगे।

यह बात मप्र परशुराम कल्याण बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष पं. विष्णु राजोरिया ने कही। वे परशुराम कल्याण बोर्ड की रतलाम इकाई द्वारा डॉ. कैलासनाथ काटजू विधि महाविद्यालय में आयोजित वसंतोत्सव 2025 में मुख्य अतिथि की आसंदी से बोल रहे थे। अध्यक्षता पद्मश्री डॉ. लीला जोशी ने की। सनाढ्य ब्राह्मण समाज के श्याम उपाध्याय, परशुराम कल्याण बोर्ड के जिला अध्यक्ष अनुराग लोखंडे के साथ डॉ. अनुराधा गोखले, डॉ. सुलोचना शर्मा एवं डॉ. स्नेहा पंडित भी मंचासीन रहीं।

पंडित राजोरिया ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि परशुराम कल्याण बोर्ड ने यह निश्चित किया है कि प्रत्येक पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाए लेकिन उसके महत्वपूर्ण तथ्यों पर भी विशद व्याख्या हो। आप प्रत्येक पर्व घर में तो मनाएं ही, सामूहिक रूप से एकत्र होकर भी मनाएं।

सनातन के बिना भारतवर्ष की कल्पना संभव नहीं

पं. राजोरिया ने कहा कि सनातन बिना भारतवर्ष की कल्पना संभव नहीं है। हमारा राष्ट्र सनातन राष्ट्र है। अखंड भारतवर्ष सृष्टि की उत्पत्ति के साथ ही सनातनमय थी। जैसे-जैसे सनातन छूटता गया, लोग बिखरते गए। सारे अवतार इसी भूमि पर हुए क्योंकि यह अत्यंत पावन भूमि है। आदि शंकराचार्य जी ने चारों धामों को स्थापित करने का जो काम किया वह भारतवर्ष कभी विस्मृत नहीं कर सकता। पं. राजोरिया ने जोर देते हुए कहा कि ब्राह्मण की मौजूदा दशा इसलिए है क्योंकि उन्होंने अपने मूल कर्त्तव्यों से विमुख होकर आचरण संहिता का पालन नहीं किया। भारत अनेक वर्ष तक ऐसी अवस्था में रहा जिससे ब्राह्मणों की आचरण संहिता बदली, ब्राह्मणोचित कार्य भी कठिनाई से हो पाए।

कम से एक संतान को वेदपाठी बनाएं

प्रदेश अध्यक्ष पं. राजोरिया ने कहा कि नारी शक्ति, ब्राह्मणों, वेदाचार्यों, साधु-संतों और माता-पिता के सम्मान की सनातन परंपरा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं कि सभी वेदपाठी बनें, लेकिन ब्राह्मणों को कम से कम एक संतान को वेदपाठी अवश्य बनाएं, भले ही वे कर्मकांड न करें।

अक्षय तृतीया पर दिखे विस्तृत स्वरूप

रतलाम में सनातन पहले से जागृत है। यहां समाज में समरसता स्थापित होगी, सभी सनातनियों को बराबर सम्मान मिलेगा और इसका दायित्व ब्राह्मणों का होगा। राजोरिया ने बताया कि परशुराम कल्याण बोर्ड के कार्यकर्ता पूरे प्रदेश में जनजागरण कर अक्षय तृतीया पर सनातन समाज की कन्याओं का सामूहिक विवाह कराएंगे। उन्होंने जिला अध्यक्ष अनुराग लोखंडे को एक डायरेक्ट्री बनाने का सुझाव दिया जिसमें जिले के प्रत्येक ब्राह्मण परिवार का नाम और उसकी पारिवारिक स्थिति का उल्लेख हो। मार्च के प्रथम सप्ताह तक जिले की बोर्ड की कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा।

सनातन को समझना हो तो वेदों की ओर लौटना होगा– डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला

मुख्य वक्ता शिक्षाविद् एवं वेदों के अनुवादक डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला ने सनातन संस्कृति और वसंत के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हम सनातन की चर्चा तो बहुत करते हैं लेकिन इसके बारे में जानते बहुक कम है। सनातन धर्म को मानने वाले ब्राह्मण हो या न हों, इसके कोई फर्क नहीं पड़ता। जो सनातन को जानते हैं वे पुरुष सूक्त की महिमा अच्छी तरह जानते हैं। जब पहली बार यज्ञ हुआ तब उसमें वसंत का वर्णन आया क्योंकि वसंत उसमें घी था। यह घी आयु है, जीवन है, वसंत है। इस वसंत ने हम सबके जीवन का संचार किया। परशुराम, सनातन धर्म के संस्थापक आचार्य हैं। वे 10 अवतारों में से एक हैं और ऋषि हैं। परशुराम को अग्नि की लपटों में देखें, समुद्र की तरंगों में देखें। वेद-ब्राह्मणों की संधि (युग्म) में परशुराम हैं, वे ही पहले राम हैं। वे समय की देन हैं। जब लोहे का आविष्कार हुआ तो सबसे पहले बे शस्त्र को परशु कहते हैं और उन्होंने उसे उठाया। सनातन को समझना हो तो वेदों की ओर लौटना होगा। वेदों की ओर लौटे बिना सनातन को नहीं समझ सकते। सभी वेद जानते हैं, रोज उसका पाठ करते हैं, उच्चार करते हैं, क्योंकि हमारी पूजा पद्धति ही ऐसी है। पुष्पांजलि और मंत्रोच्चार यही है। सूर्य को अर्घ्य देना सनातन की अर्चना करना है। नदी में स्नान करने जा रहे हैं तो पवित्रता चाहिए, नदी आपके पाप धोने के लिए नहीं बनी है। रामगिरी के आश्रम की माटी सीता जी के नहाने से पवित्र हो गई थी। उन्होंने विभिन्न सूक्तों का महत्व बताया।

रतलाम राज्य का इतिहास अत्यंत गौरवशाली है- कैलाश व्यास
रंगकर्मी एवं पूर्व उप संचालक अभियोजन कैलाश व्यास (एडवोकेट) ने रतलाम राज्य के गौरवशाली इतिहास पर पहलू डाला। उन्होंने बताया कि आज वसंत पंचमी है और इसका रतलाम राज्य की स्थापना से सीधा संबंध है। प्रयाग में जो त्रिवेणी है, वह तीर्थों का राजा है और रतलाम की स्थापना प्रयाग से जुड़ी है। उन्होंने 22 जनवरी 1641 को लाहौर में शाहजहां द्वारा आयोजित उस समारोह की जानकारी दी जिसमें राजस्थान के जालोर के राजा महेशदास के पुत्र रतनसिंह ने कहरकोप नामक हाथी को काबू में कर लोगों की जान बचाई थी। रतनसिंह को इसी के लिए रतलाम परगना उपहार में मिला था। व्यास के अनुसार समाज में कई सामाजिक बुराइयां हैं, कई प्राचीन काल से चली आ रही हैं। सन 1743 में राजा की मृत्यु होने पर उनकी रानियों ने सती होने का संकल्प लिया। चौथी रानी गर्भवती थीं, सभी ने उनसे सती होने के लिए मना किया लेकिन उन्होंने अपना पेट चीर कर अपने बच्चे को जन्म दिया। इसके बाद वे पेट पर कपड़ा बांध कर सती हो गईं। उन्होंने जाते-जाते कहा कि मेरे बाद रतलाम कोई सती नहीं होगा और तभी से यहां सती प्रथा बंद है जबकि देश में सती प्रथा बंद होने का कानून 1829 में बना। व्यास ने रतलाम से जुड़े कई ऐसा तथ्य भी बताए जो सबसे पहले यहीं हुए।

वेदपाठ के साथ हुई शुरुआत, तीन शख्सियतों का हुआ सम्मान

इससे पूर्व आयोजन का शुभारंभ मां सरस्वती की पूजा-अर्चना और महर्षि पं. संजय दवे एवं वेदपाठी बटुकों द्वारा किए गए वेदपाठ से हुआ। सरस्वती वंदना सुहाष चितलने ने प्रस्तुत की। तत्पश्चात जिला अध्यक्ष अनुराग लोखंडे ने परशुराम कल्याण बोर्ड के कार्यों पर प्रकाश डाला। तत्पश्चात अतिथियों का स्वागत किया गया। समारोह के दौरान अतिथियों और परशुराम कल्याण बोर्ड की ओर से चिकित्सा क्षेत्र में सक्रिय योगदान के लिए डॉ. अनुराधा गोखले, शिक्षा के लिए डॉ. सुलोचना शर्मा एवं संगीत शिक्षा के लिए डॉ. स्नेहा पंडित का पुष्पमाला और स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया गया। बोर्ड के पदाधिकारियों ने अतिथियों और वक्ताओं को भी स्मृति चिह्न भेंट किए। संचालन लगन शर्मा ने एवं आभार प्रदर्शन नीरज कुमार शुक्ला ने किया।

ये रहे उपस्थित

समारोह में जिला पंचायत के एसीईओ निर्देशक शर्मा, त्रिवेदी आर्ट के ओमप्रकाश त्रिवेदी, सत्येंद्र जोशी, अशोक पांडेय, सुनील दुबे, शरद चतुर्वेदी, राकेश आचार्य, श्याम लालवानी, मनमीत कटारिया, महेंद्र भंडारी, नितेश कटारिया, राजेंद्र चतुर्वेदी, अजय तिवारी, पत्रकार शरद जोशी, डॉ. खुशालसिंह पुरोहित, गोपाल शर्मा टंच, गोपाल जोशी, गीता दुबे, विनीता ओझा, नीलू चंडालिया, देवशंकर पांडेय, लक्ष्मण पाठक, पं. मुस्तफा आरिफ, प्रकाश शुक्ला, प्रशांत शौचे, राजेंद्र गोयल, भुवनेश पंडित, जलज शर्मा सहित बड़ी संख्या सुधिजन उपस्थित रहे।

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