-सामाजिक समरसता संगोष्ठी में विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा।
न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। विश्व हिन्दू परिषद सामाजिक समरसता विभाग द्वारा रतलाम में सामाजिक समरसता संगोष्ठी व प्रबुद्धजन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में विशेष मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार उपस्थित हुए। इस आयोजन का उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों के बीच समरसता और एकता को बढ़ावा देना है। संगोष्ठी से पूर्व अतिथियों ने भारत माता व भगवान श्रीराम के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलन किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रांत मंत्री विनोद शर्मा, संगठन मंत्री अर्जुन गेहलोद, समाजसेवी व व्यापारी अनोखीलाल कटारिया, प्रकाश शर्मा सांवरिया आदि मौजूद रहे। मंच का संचालन जिला सामाजिक समरसता प्रमुख मनोज सगरवंशी व विशेष संपर्क प्रमुख मनोज पंवार ने किया।
अपने संबोधन में आलोक कुमार ने भारत में सनातन धर्म में सामाजिक समरसता को लेकर जात-पात से ऊपर उठकर सभी समाज को एक साथ रहने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे मन में भगवान विराजमान हैं, तो छोटे-बड़े का कोई प्रश्न नहीं उठता। हिंदू धर्म में पहले समय में व्यक्ति हजार कष्टों को सहकर चार धाम तीर्थ जाता था। उस समय सड़क, परिवहन आदि की व्यवस्था नहीं होती थी। अपने सभी हिसाब किताब करना, गलतियों को स्वीकार करना और यह सोचकर जाना की मृत्यु हुई तो मोक्ष की प्राप्ति होगी। कहीं वापस लौट आये तो ईश्वर की कृपा होगी। यह सब इसलिए करता था क्योंकि देश एक है। हम जात, मत, पंत आदि से ऊपर उठकर हिंदू है। यह भावना हम सभी को आज जाग्रत कर व्यवहार में लाना जरूरी है। हमें परिवार में बच्चों को हिंदू धर्म की शिक्षा देना बहुत आवश्यक है। नहीं तो विधर्मी हमारी बहन बेटियों को उनके धर्म का ज्ञान बांटकर अपनी और आकर्षित करते है और फिर लव जिहाद जैसे गंभीर मामले हमारे सामने आते है। हिंदू का हिंदू बने रहना आज सबसे बड़ा काम है। पूर्व में कई लोग लालच, भय व धोखे से धमतांतरण का शिकार हुए है। जिनको हिंदू धर्म में वापस लाना भी चुनौती का कार्य है।
आलोक कुमार ने कहा कि आज कुछ राजनेता आदिवासी समाज को अन्य समाज से अलग करने का प्रयास कर रहे है। आपस में भड़काकर उन्हें लड़ाने का प्रयास कर रहे है। ऐसे नेता आदिवासियों को मूल निवासी बताकर अन्य समाज के लोगों को बाहरी बताते है उन्हें उकसाया जाता है। जबकी समाजशास्त्रियों के वैज्ञानिक शोध से यह मालूम हो चुका है की आदिवासी भाई व सनातन को मानने वाले अन्य पंथ के सभी बंधु मूल निवासी है और हिंदू है।
इस डॉ. भीमराव अंबेडकर ने बौद्ध मत ग्रहण करने से पूर्व ईसाई और इस्लाम मत के संबंध में गहन विचार किया। किंतु इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि बौद्ध मत ही भारत के लिए उचित है। इस विषय पर उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी जिसका नाम है Thoughts on Pakistan। हम सभी को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी के विचार जानने के लिए उक्त पुस्तक का अध्ययन करना चाहिए।
जानकारी जिला प्रचार प्रसार प्रमुख मोंटी जायसवाल ने दी। विभाग से सह मंत्री पवन बंजारा, वीनू शर्मा, मोहित चौबे, जिले से जिला उपाध्यक्ष राधेश्याम रावल, पवन देवड़ा, जिला संयोजक मुकेश व्यास, मनोज सगरवंशी, मनोज पवार, मुन्नू कुशवाहा, अक्षय गोमै, योगेश चौहान, आशु टाक, राजाराम ओहरी, अनिल रौतेला, कृष्ण भामा, पाखंड से विजय, नीरज सतवानी, दीपांशु गुप्ता, जिला प्रचार प्रसार प्रमुख मोंटी जायसवाल और जिला शाह पसार रिकी सेन मौजूद रहे।