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कैसा ऑपरेटिंग मैनेजमेंट, रेल यात्रियों को ये कैसी सज़ा…. प्लेटफॉर्म नंबर 6 की डेमू 4 व प्लेटफॉर्म 4 की जयपुर-पुणे ट्रेन का प्लेसमेंट 5 पर

-रेलवे स्टेशन पर दिनभर ट्रेनों के प्लेटफॉर्म बदलते रहे, यात्री होते रहे परेशान।
-40 मिनिट पहले सूचना जरूरी, लेकिन आए दिन इन वक्त पर बदले जा रहे प्लेटफॉर्म।
न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। पश्चिम रेलवे जोन के रतलाम रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों के ठहराव का ऑपरेटिंग मैनेजमेंट पूरी तरह से बेपटरी हो गया है। यहां तकरीबन 30 से 40 हजार यात्रियों का रोज आवागमन है। 15 से 20 हजार यात्री रोज रतलाम स्टेशन से चढ़ते-उतरते ही। लेकिन यहां ट्रेनों के एन वक्त पर प्लेटफॉर्म बदल दिए जा रहे है। इससे यात्रियों की फ़जीहत होने लगी है। शनिवार को हालात बद से बदतर रहे है। हालांकि अवंतिका एक्सप्रेस को अनुमति व पूर्व निर्देश के मुताबिक प्लेटफॉर्म बदला गया। लेकिन दिनभर में करीब आधा दर्जन अन्य ट्रेनों के प्लेटफॉर्म बगैर ठोस वजह के इधर उधर कर दिए गए।
बता दें कि ऑपरेटिंग की विशेष परिस्थितियों में ही रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों के प्लेटफॉर्म बदलने के नियम है। नियम यह भी है कि ट्रेन आने के करीब 40 मिनिट पहले या इतने समय पूर्व सूचना देना जरूरी है। जिससे कि यात्री समय रहते अपने लगेज लेकर अन्य प्लेटफॉर्म तक पहुंच सके। रतलाम स्टेशन पर ऐसी सावधानियों व सतर्कता से जिम्मेदारों का कोई वास्ता नहीं रहा है।

एक ही वक्त की ट्रेनें कैसे बदल दी

रेलवे स्टेशन के अन्य ड्यूटी कर्मचारियों को यह समझ नहीं आ रहा कि प्लेटफॉर्म नंबर 6 की डेमू को प्लेटफॉर्म नंबर 4 पर ठहराया गया। जबकि प्लेटफॉर्म नंबर 4 की जयपुर-पुणे एक्सप्रेस को प्लेटफॉर्म नंबर 5 पर भेज दिया गया। जबकि दोनों ट्रेनों का समय भी 10, 20 मिनिट आगे-पीछे था। कर्मचारियों का कहना है कि यदि प्लेटफॉर्म नंबर 6 व्यस्त था तो डेमू को आउटर पर रोककर लंबी दूरी की जयपुर-पुणे एक्सप्रेस को नियत 4 नंबर प्लेटफॉर्म पर ठहराया जा सकता था। यात्रियों को प्लेटफॉर्म 5 से लगेज उठाकर प्लेटफॉर्म 4 की ओर आकर बाहर निकलना पड़ा। उम्रदराज व महिला यात्रियों को खासी परेशानी उठानी पड़ी। इसी तरह रोज कई ट्रेनों के प्लेटफॉर्म बदले जा रहे है। कोटा के यात्री सुमेरसिंह चूंडावत ने कहा कि रतलाम में रिश्तेदारी है। आए दिन यहां आने का काम पड़ता है। अमूमन ट्रेनों के प्लेटफॉर्म बदल देते है। लगेज के साथ यात्रियों को परेशान होना पड़ता है। इधर, स्टॉल संचालक सचिन अग्रवाल का कहना है कि लंबी दूरी की ट्रेनों के प्लेटफॉर्म बदले जाने से खानपान का व्यवसाय प्रभावित होता है। रोज प्लेटफॉर्म नंबर 4 की ट्रेनें 5 व 6 पर भेजने का औचित्य नहीं है। यात्री भी परेशान होते है। दूसरी ओर ट्रेनों के पार्सल व लगेज को भी प्लेटफॉर्म नंबर 5 व 6 से प्लेटफॉर्म नंबर 4 ओर लाने की मशक्कत करना होती है। पार्सल ठेकेदारों व लोडर्स की भी यही पीड़ा है। मामले में पीआरओ खेमराज मीणा का कहना है कि यात्रियों की सुविधाएं प्राथमिकता है। लेकिन ऑपरेटिंग की सुलभता के चलते ट्रेनों के प्लेटफॉर्म बदले जाते है।

शनिवार इन ट्रेनों के प्लेटफॉर्म बदलने से यात्री हुए परेशान

-प्लेटफॉर्म नंबर 6 की ट्रेन नंबर 19340 का प्लेटफॉर्म बदला गया। इसे 4 नंबर पर लिया गया।
-प्लेटफॉर्म नंबर 4 की ट्रेन नंबर 12940 का प्लेटफॉर्म बदलकर इसे प्लेटफॉर्म नंबर 5 पर ठहराया गया।

-ट्रेन नंबर 12472 का भी प्लेटफॉर्म बदलाव कर दिया गया।

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