-रेलवे ऑपरेटिंग विभाग के अफसर एमवीआई को अभी भी दे रहे असली अफसरों जैसी सुविधा।
न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। भले ही रेलवे में शासकीय काम निश्चित गाइडलाइन से करने के रेल मंत्रालय के स्पष्ट निर्देश है। इसके बावजूद खुशामदी से आकंठ भरे रेलवे सिस्टम में जिम्मेदार नियमों की धड़ल्ले से धज्जियां उड़ाने पर आमादा है। रेलवे ऑपरेटिंग विभाग से जुड़े खुशामदी एमवीआई (मंडल संचलन निरीक्षक) टीएस चौहान को केबिन देकर जहां कथित अधिकारी बनाकर सुविधा दी गई है। वहीं इमरजेंसी वाहन के नाम से अनुबंधित चारपहिया वाहन का मूल काम के बजाय अनियमित तरिके से उपयोग कर मंडल के मुखिया की आँख में भी धूल झोंकी जा रही है। बताया जा रहा है कि यह वही इमरजेंसी वाहन है, जिसे एमवीआई चौहान ने अपनी पत्नी के नाम अनुबंधित कर विभाग में लगाया गया हैं।
मालूम हो कि अनियमितता से इस मुद्दें से सरोकार रखते हुए न्यूज जंक्शन-18 द्वारा सीरिज चलाई जा रहीं है। इसे संज्ञान में आने तक अनियमितता उजागर करने का क्रम जारी रखा जाएगा।
इमरजेंसी वाहन का निजी उपयोग
जिस तरह रेलवे में नियमों के तहत अधिकारी के उपयोग के लिए आधे दर्जन से अधिक वाहन अनुबंधित किए गए है। उसी तरह रेलवे स्टेशन, डीआरएम ऑफिस व अन्य कार्यालयीन की आपात कालीन स्थिति में इंरजेंसी सुविधा के नाम पर एक वाहन को अटैच किया गया। ऑपरेटिंग विभाग के सूत्रों के मुताबिक यह वाहन केवल इसी विभाग या इसके समानांतर एक अन्य विभाग तक सीमित कर दिया गया। अमूमन इन विभाग के लिए ही उपयोग में लिया जा रहा है। बताया यह भी जा रहा है कि कंट्रोल में जिस केबिन में दो एओएम (सहायक परिचालन प्रबंधक) को बिठाया गया है। उनमें से एक एओएम इस इंरजेंसी वाहन का निजी तौर पर उपयोग करते है। रेलवे कॉलोनी स्थित अपने बंगले से कार्यालय आने-जाने में एओएम इसी वाहन का उपयोग कर रहे है। इस मामले में रेलवे पीआरओ खेमराज मीणा से जानकारी ली गई। लेकिन उन्होंने फ़ोन रिसीव नहीं किया।
एमवीआई का केबिन अभी भी बरकरार
इधर, अनियमितता उजागर करने के बावजूद कंट्रोल परिसर में स्थित एमवीआई चौहान को केबिन देकर अधिकारी जैसी सुविधा अभी भी बरकरार है। हालांकि यह भी बात सामने आई कि विभाग के जिम्मेदार प्रयास में है कि एमवीआई को अन्य छोटे केबिन में बिठाकर मामले को दबा दिया जाए। लेकिन विभाग के ही कर्मचारियों का कहना है कि ऑपरेटिंग विभाग के ही अन्य एमवीआई सहित तृतीय वर्ग कर्मचारियों की कॉमन हॉल में बैठक के इंतजाम है। तब एमवीआई चौहान पर विशेष उपकार क्यों किया जा रहा है।
इसलिए भी दे दी गई सुविधा?
रेलवे सूत्र बताते हैं कि लोडिंग-अनलोडिंग की रतलाम मालगोदाम सहित अन्य स्टेशनों की साइडिंग के ठेकेदार फर्म या संबंधित कंपनियों से अफसरों का नियमित संपर्क रहना आर्थिक दृष्टि से बड़ा काम है। इसमें एमवीआई की भूमिका व मध्यस्थता भी अहम मानी जा रही है। इसलिए विभाग के जिम्मेदार इसे केबिन है हटाने या अफ़सरी सुविधाएं छीनने से किनारा किए हुए है।
यह है प्रमुख अनदेखी बड़े सवाल
-इमरजेंसी वाहन के निजी उपयोग व इसकी डेटा इंट्री की नियमित जांच में अनदेखी।
-शासकीय सेवा में रहते पत्नी के नाम से वाहन अटैच कराने संबंधित दोहरे लाभ की जांच नहीं।
-अधिकांश रूप से इमरजेंसी वाहन का ऑपरेटिंग विभाग या एक अन्य विभाग द्वारा ही उपयोग क्यों।
-इसी तरह चित्तौड़ में एक अन्य एमवीआई को भी अफसर जैसी सुविधाएं दिया जाना अनुचित।