Logo
ब्रेकिंग
रतलाम के 17 खिलाड़ियों ने जयपुर में दिखाई करातेबाजी... राष्ट्रीय प्रतियोगिता में किया नाम रोशन स्टेशन रोड पुलिस थाने में एफआईआर...सोशल मीडिया पर विहिप के खिलाफ टिप्पणी को लेकर ज्ञापन, पुलिस ने की... नकली पत्रकार निकला असली मोबाइल चोर....ट्रेन में चार्जिंग पर लगा मोबाइल फ़ोन चुराया, पुलिस ने जब्त किय... डॉ. विश्वेश्वरैया के अनुयायी शिष्य जीते रहो, दूसरे सेक्शन में बगैर टिकिट वालों की मौज, शेरा दूसरों स... जय वीर महाराणा के जयघोष से गूंजा शहर, सम्मान व शौर्य यात्रा में उमड़ी भीड़ डीआरएम ऑफिस बना स्विमिंग पूल.... जिस ड्राइंग सेक्शन का प्लान, उस सेक्शन में भी लबालब जमा हुआ पानी ये आर्थिक झटका कैसे सहन करे....सीएलआई को रिटायरमेंट में 47 लाख मिलेंगे, 52 लाख की रिकवरी, उल्टे 9 ला... एमएस की ताज़ा हलचल....युवा समिति गठित, 10 कर्मचारियों ने संगठन की सदस्यता ली गई, किया स्वागत 100 खिलाड़ियों के बीच शह-मात का खेल.....जिला स्तरीय ओपन शतरंज प्रतियोगिता 7 और 8 जून को भारतीय रेलवे हैंडबॉल मेंस में गोल्ड विजेता टीम के शिल्पकार बने रतलाम के चार खिलाड़ी

डॉ. विश्वेश्वरैया के अनुयायी शिष्य जीते रहो, दूसरे सेक्शन में बगैर टिकिट वालों की मौज, शेरा दूसरों से निकला शातिर, अब ऐसी कोच में पहुंची नकली छाछ, दही, लस्सी

जलज शर्मा

रतलाम। कॉरपोरेट कल्चर में तब्दील रेल विभाग के सिस्टम में बैठे इंजीनियर्स उनके बनाए ड्राइंग, प्लानिंग व गुणवत्ता के जरिए अपनी प्रतिभा में चार चांद लगा रहे है। अब तो इनकी दूर-दूर तक तारीफ़े होने लगी है। अब हाल ही में उनकी प्रतिभा का नायाब नमूना देखने को मिला। बड़े-बड़े फाइफ़ स्टार होटलों में विशेष तकनीक से स्विमिंग पूल बनाते है। निर्माण में पैसा भी खूब खर्च होता है। लेकिन रेलवे के इंजीनियर्स ने एक छोटे से निर्माण की प्लानिंग में ‘एक पंथ दो काज’ की कहावत चरितार्थ कर दी। दरअसल इंजीनियरिंग विभाग के इंजीनियरों ने इंजिन वाले ऑफिस में बैठने वाले बड़े साहब के चेम्बर को और बड़ा बनाने के लिए ड्राइंग तैयार किया। लगता है तब साथ ही स्विमिंग पूल की डिज़ाइन भी तैयार कर ली होगी। क्योंकि इस सप्ताह हुई बारिश में बिल्डिंग में बने स्विमिंग पूल को देखकर लगा कि इंजीनियर की प्लानिंग पूरी तरह से सक्सेस रही। बाहर बारिश हुई तो पानी स्वतः ही परिसर, ऑफिस व सेक्शनों की टेबलों तक जा पहुंचा। चारों ओर ‘ब्ल्यू है पानी पानी’…दिखाई देने लगा। सुबह जल्दी आने वाले कर्मचारियों ने तो इसमें खूब पैर छपछपाये। हालांकि बाकी कर्मचारियों को थोड़ा लेट पता चला। वरना वे घर से बगैर नहाए ऑफिस आते। नए स्विमिंग पूल में मजे से ‘छई छप्पा छई’… ‘छप्पा के छई’…गाते हुए खूब गोते लगाते।
हे प्रभु, वाह वाह..डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के अनुयायी व उनकी प्रतिभा धन्य है।

एक सेक्शन में ड्यूटी, दूसरे सेक्शन में बगैर टिकिट वालों की मौज

टिकिट चेकिंग की अर्निंग को लेकर बड़ी मेडम सहित छोटे साहब दिनरात मॉनिटरिंग में जुटे रहते है। इसके बावजूद कई सेक्शन में यात्रियों के टिकिटों की चेकिंग ही नहीं होने से उनकी मॉनिटरिंग पर पानी फिरने लगा लगा है।
दरअसल रेलवे के कमाई वाले विभाग ने दो चेकिंग स्क्वॉड को इस काम में जुटाया है। लेकिन एक स्क्वॉड में नटवारी खेल चल रहा है। खुल कर बात करें तो नियमित चेकिंग में भयंकर पोलंपोल है। इस स्क्वॉड का मन केवल दिल्ली-मुंबई (नागदा से नागदा) रूट में ही रमता है। बाकी सेक्शनों में बगैर टिकिट के यात्रियों की जमकर पौ बारह हो रही है। चित्तौड़, खंडवा, उज्जैन, शुजालपुर सहित अन्य कई सेक्शन है, जहां कई यात्री बगैर टिकिट डिब्बे में बैठकर फोकट में सफर का आनंद ले रहे है। इन सेक्शनों में चुनिंदा स्क्वॉड भी सुस्त है।
सवाल यह है कि स्क्वॉड का रेवेन्यू रेलवे खाते में जा रहा या नटवारी खेला हो रहा। यह तो अधिकारी के औचक निरीक्षण में सामने आ सकता है। हालांकि यह तय माना जा रहा हैं कि विजिलेंस जल्दी ही नटवारी का तीया-पांचा करेगी।
हे प्रभु नटवारी की नौटंकी से हर कोई वाकिफ़ है। लेकिन डिब्बों के अंदर चल रहे खेल से अफसर अभी नावाकिफ है। हालांकि प्रभु जगन्नाथम को इनके हर कारनामें की भलीभांति जानकारी है।

काली नंबर प्लेट वाली गाड़ी का मालिक शेरा दूसरों से निकला शातिर

अफसरों की सेवा चाकरी का किसको कितना असीमित फ़ायदा मिल सकता है, इसकी कम से कम रेलवे में तो कल्पना नहीं कि जा सकती है। ऑपरेटिंग वाले शेरा का किस्सा भी कुछ ऐसी ही सरपरस्ती से जुड़ा है।
दरअसल भारत सरकार व आरटीओ विभाग के नियमों के विपरित इंजिन वाले ऑफिस में काली नंबर प्लेट वाली कई चार पहिया गाड़ियां विभागों के लिए खूब दौड़ाई जा रही है। क्योंकि इन गाड़ियों के मालिक ज्यादा समझदार है। यदि वे यलो नंबर प्लेट की गाड़ी का अनुबंध करे तो सरकार का सालाना मोटी रकम का टेक्स भरना पड़े।
अब इस खेल में ऑपरेटिंग का शेरा तेजतर्रार निकला। अधिकारी की चाकरी कर पहले तो ऑपरेटिंग वाले विभाग में ही अपनी निजी गाड़ी फिट कर ली। अब वहीं गाड़ी महिला समिति वाली बड़ी मेडम के लिए लगवा ली।
हे, प्रभु ये तो केवल आप जानते है कि सरकारी नौकरी वाले कर्मचारी दूसरी अन्य आय वाला व्यावसायिक काम नहीं कर सकते हैं। लेकिन अफसरों को लगता इसकी जानकारी नहीं है। इसलिए तो कई जिम्मेदार आसानी से बिल पास कराने के लालच देकर रेलवे के ही छोटे-बड़े ठेका प्रोजेक्ट में बखूबी पार्टनशिप भी निभा रहे हैं। ठेकेदार को तो फायदा ही फायदा है। उन्हें तो धड़ाधड़ काम मिल रहे है।

अब ऐसी कोच में पहुंची नकली छाछ, दही, लस्सी

पूरी गर्मी की सीजन रेलवे असफरों की आंखों में धूल झोंककर नकली छाछ, दही, लस्सी बेचने वाले अभी भी बाज नहीं आ रहे है। जगन्नाथ की वक्रदृष्टि के चलते पिछले दिनों अफसर हरकत में आए थे। खाने-पीने की स्टालों पर नकली छाछ पर नकेल कसी तो ये डुप्लीकेट वेंडर के जरिए कोचों में इसे बेचने जा पहुंचे। रेलवे की खाकी ड्रेसवालों की भी इन पर खूब मेहरबानी है। इसलिए लो छाछ..नमकीन छाछ ले लो…. चिल्लाते-चिल्लाते ये डुप्लीकेट वेंडर ऐसी कोच तक में जा पहुंच रहे है।
हे प्रभु, माना कि नकेल कसने वाली केटरिंग वाली छोटी मेडम को नकली छाछ से कोई लेना देना नहीं है। उनका केवल एक कप चाय से ही काम चल जाता है। लेकिन रेलवे की खाकी वाले इसी नकली छाछ के एवज में खूब मट्ठा खा-पी रहे है।
हे प्रभु जगन्नाथम ये सब क्या हो गया।

Leave A Reply

Your email address will not be published.