भारतीय रेल परिवहन दिवस की सच्ची तस्वीर…. रिटायर्ड की ऐसी भी लाइफ स्टाइल…120 प्रतिघंटा स्पीड वाले सिस्टम में काम किया, अब साइकिल पर सवार हो न्याय दिलाने की कर रहे काउंलिंग
-विलिजेंस सहित अन्य मामलों में जायज पीड़ित रेलवे कर्मचारी के पक्ष में निशुल्क डिफेंस काउंसलर का काम में जुटे रिटायर्ड सीओएस।
न्यूज जंक्शन-18
रतलाम। 120 किमी प्रतिघंटा स्पीड वाले रेलवे के सिस्टम में काम करने वाले रिटायर्ड अख्तर हुसैन की कहने को जिंदगी भले ही अब साइकिल पर चल रही है। लेकिन ये डिफेंस काउंसलर निःशुल्क सेवा देकर पीड़ितों को न्याय दिलाने के बड़े काम मे जुटे रहते है। रिटायरमेंट के बाद ऐसे रेलवे कर्मचारियों के पक्ष में काउंसलिंग कर रहे हैं, जो वास्तविक रूप से न्याय के हकदार है। दूसरे काउंसलर भले ही इस काम की अपनी फीस लेते हों, लेकिन अख्तर का कामकाजी रवैया इसके दीगर है। यानी इन्हें काउंसलिंग पर मुंबई या अन्य शहर जाने के लिए रेलवे द्वारा बदले में पास सुविधा जरूर दी जा रही है। लेकिन संबंधितों से ये अपनी फीस कतई नहीं लेते हैं।
दरअसल अख्तर ऐसी आम पहचान वाले इंसान है, जिन्हें दो बत्ती, स्टेशन रोड एरिया, डाट की पुल तथा डीआरएम ऑफिस के आसपास आसानी से साइकलिंग कर आते-जाते आम तौर पर देखा जा सकता है।
रेलवे में मोटी पगार के चलते भौतिक सुख-सुविधा में जीने वाले कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद भी अमूमन उसी परिवेश में जीवन-बसर करते हैं। इसके उलट अख्तर साइकिल चलाते हुए पर्यावरण बचाव के अलावा बेहतर स्वास्थ का भी संदेश अपने साथियों को दे रहे हैं।
चार्जशीट जैसे मामलों में सहयोगी की भूमिका:-अपनी सेफ़्टी काउंसलर की भूमिका के बारे में रिटायर्ड अख्तर बताते हैं कि वर्ष 2021 में रेलवे में मुख्य कार्यालय अधीक्षक पद से रिटायर्ड हुए है। इसके बाद लोगों की सेवा में सेफ्टी काउंसर के काम के लिए रेल प्रशासन से अपील की तो उन्हें मंजूरी मिल गई। यदि किसी कर्मचारी पर विजिलेंस प्रकरण या विभाग से चार्जशीट मिलती है। साथ ही उसके संबंधित मामले की जांच होती है। तब पीड़ित के पक्ष में वे काउंसलर का काम कर उसे अपने अनुभव के चलते उन्हें न्याय दिलाने का प्रयास करते हैं। ये बताते हैं कि रेलवे से इसके बदले वे कोई टीए भी क्लेम नहीं करते। नहीं इसकी संबंधित कर्मचारी से कोई फीस लेते हैं। ध्येय यह है कि किसी बेगुनाह को सजा न मिले।
अपने इस काम की और भी जानकारी देते अख्तर ने बताया कि आदतन लापरवाह या भ्रष्ट मामलों में यदि किसी कर्मचारी को चार्जशीट मिली है। तब वे उसके मामले में कभी आगे नहीं आते हैं। नियमित दिनचर्या में विभागीय सेटेलमेंट संबंधित कामों के लिए दूर-दराज से आने वाले निचली श्रेणी के कर्मचारी की अपने अनुभव से सहायता भी बखूबी करते हैं।