-नियमित सफाई के दावों के बीच बिगड़े हालात, रेलवे ऐरिया बेहाल।
न्यूज जंक्शन-18
रतलाम। रेलवे में स्वच्छ भारत अभियान के तहत भले ही स्वच्छता पखवाड़ा मनाकर सफाई के प्रति जागरुकता फैलाई जा रही है। लेकिन इसके बाद चरमराई व्यवस्था सफाई के दावों की पोल खोलती नजर आने लगी है। डीआरएम ऑफिस के अलावा रेलवे कॉलोनी तथा रेलवे स्टेशन के हालात इन दिनों बद से बदतर बने हुए है। डीआरएम ऑफिस में 8 से 10 घंटे के शेड्यूल में कर्मचारी काम करते हैं। दूसरी मंजिल पर रखे कचरे के ढेर ने परेशानी में डाल दिया है। ढेर के बीच कर्मचारियों को आना-जाना पड़ रहा है। ऐसे ही हालात में रेलवे कॉलोनी में सैकड़ों कर्मचारी व उनके परिजन रह रहे है। वहीं रेलवे स्टेशन से रोज हजारों यात्री गंदगी भरे माहौल के बीच सफर करने को मजबूर हैं। वर्तमान में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया सहित अन्य कई बीमारियों का प्रकोप है। ऐसे में जिम्मेदारों की अनदेखी दूसरे के स्वास्थ को खतरे में डाल सकती है।
बता दें कि रेलवे सहित अन्य शासकीय विभागों में पिछले अक्टूबर माह में ही स्वच्छता पखवाड़ा धूमधाम से मनाया गया। इतना ही नहीं रेलवे में रैलियां, नूक्कड़ नाटक, दौड़ सहित अन्य तरीकों से स्वच्छता का संदेश दिया था। अब एक माह बाद ही सफाई की अव्यवस्था दावों को चिड़ा रही है।
रेलवे का कार्मिक विभाग, जो सरकारी तंत्र के सुचारू संचालन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वहां स्वच्छता की स्थिति चिंताजनक है। हाल ही में संपन्न हुए स्वच्छता पखवाड़ा के बावजूद, कार्मिक विभाग कार्यालय में गंदगी का आलम बाहर कॉरिडोर में बना हुआ है। जगह-जगह कचरे के थैले रखे गए हैं। धूल और गंदगी माहौल को दूषित कर रही हैं। बल्कि स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर डाल रही हैं।
कर्मचारियों का कहना है कि कार्मिक विभाग के कर्मचारियों ने बार-बार इस मुद्दे को जनरेटर के समक्ष रखना चाहा। लेकिन अधिकांश बार वे कर्तव्य स्थल पर दूर तक नहीं दिखाई दिए। जब बोला भी तो कोई ठोस कदम नहीं उठाया। सफाई के मामले में लापरवाही बरतना दायित्वों के विपरीत है। एक सरकारी कार्यालय में स्वच्छता की अनदेखी न केवल कर्मचारियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है, बल्कि इससे कार्यक्षमता और मनोबल भी गिर रहा है।
रेलवे स्टेशन पर फर्म के कर्मचारी फुर्सत में
इधर, रेलवे स्टेशन पर सफाई का ठेका होने के बावजूद फिलहाल वहां भी चारों ओर कचरे का ढेर लगा दिखाई देने लगा है। सफाई को लेकर आए दिन ट्वीट किए जा रहे है। शिकायत पर सक्रिय होने के बाद दोबारा ठेकेदार कर्मचारी फुर्सत में दिखाई देने लगते है। अभी हालात यह है कि 98 कर्मचारियों के बूते का काम कम दर के ठेके में चुनिंदा कर्मचारियों से करवाया जा रहा है। फर्म काम छोड़ने की फिराक में है। इसलिए जिम्मेदार अधिकारी फर्म पर कोई दबाव नहीं बना पा रहे है।
नहीं कोई पेनल्टी लगाई जा रही है। ऐसे में ट्रैक की सफाई-धुलाई, सर्कुलेटिंग एरिया की सफाई, प्लेटफॉर्म की धुलाई के दृश्य बीते दिनों की बात हो गई है।
रेलवे कॉलोनी में फर्म के मज़े, सफाई चौपट
इधर, रेलवे कॉलोनियों में सफाई की सीधी जिम्मेदारी रेलवे अस्पताल प्रशासन की है। क्योंकि अस्पताल प्रशासन द्वारा टेंडर निकाले जाते है। सीएचआई के जिम्मे सफाई की निगरानी का काम होता है। इसके उलट कॉलोनी के रहवासियों का कहना है कि समय पर सफाई नहीं की जा रही है। कभी सफाई होती भी है तो कई दिनों तक कचरा उठाने का नाम नही लिया जाता।
आलम यह है कि नर्स कॉलोनी, शिमला कॉलोनी, ओल्ड रेलवे कॉलोनी सहित अन्य एरिया में बड़ी मात्रा में कचरे के ढेर लगे है। इधर, मामले में जनसंपर्क अधिकारी खेमराज मीणा का कहना है कि स्वच्छता पखवाड़ा जागरूक के लिए जरूरी है। इसके आधार पर नियमित साफ सफाई करवाई जाती है। कहीं कोई शिकायत आती भी है तो तुरंत निदान किया जाता है।