अंततः हुई कार्रवाई, सांसे थमी….जांच एजेंसी व विभाग की खींचतान को विराम, रिपोर्ट के दबाव में जारी किए आदेश
-एक कर्मचारी के लिए जुटा रहा अधिकारियों का पूरा कुनबा।
न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। रेलवे की कार्यप्रणाली में किसी मामले की जांच में तैयार रिपोर्ट तथा बाद में कार्रवाई की तयशुदा व्यवस्था है। इसके बावजूद कमर्शियल विभाग सेे जुड़ी जांच व रिपोर्ट तैयार होने के बाद कार्रवाई को लेकर एजेंसी तथा विभाग के लंबी खींचतान मची रही। अंततः विभाग द्वारा सीनियर सीसी का तबादला आदेश जारी किया गया।
मालूम हो कि कमर्शियल विभाग के क्लर्क की रेलवे बोर्ड में शिकायत के बाद विजिलेंस (सतर्कता विभाग) की मामले में एंट्री हुई थी। विजिलेंस इंस्पेक्टर अमरनाथ झा रतलाम पहुंचे। इसके बाद से विभाग तथा जांच एजेंसी के बीच सीधी खींचतान शुरू हो गई।
डीआरएम व विजिलेंस प्रमुख के बीच चर्चा
इधर, एक माह से अधिक समय बीतने के बाद 14 जून को विजिलेंस के मुंबई मुख्यालय से कार्रवाई के लिए लेटर जारी किया गया। लेटर कार्मिक विभाग के माध्यम से कमर्शियल विभाग को फॉरवर्ड हुआ। तब मामला डीआरएम के संज्ञान में भी दिया गया। इधर, सूत्र बताते हैं कि भेजे लेटर पर कार्रवाई न होते देख मुंबई हेडक्वार्टर से विजिलेंस इंचार्ज द्वारा डीआरएम रजनीश कुमार से सीधे फोन पर चर्चा की। इसके बाद डीआरएम ने सीनियर डीसीएम हिना केवलरमानी को कार्रवाई के निर्देश दिए।
सोमवार को जारी किए गए आदेश
कमर्शियल विभाग द्वारा सीनियर सीसी अभिषेक करोसिया का तबादला करने का फैसला लेकर 24 जून सोमवार शाम को इसके संबंधित आदेश जारी कर दिए। करोसिया को प्रशासनिक हित में रतलाम से समान पद पर नीमच भेजा गया। विभाग द्वारा ट्रांसफर व प्रमोशन की इस प्रमुख टेबल पर किसी अन्य को काम सौंपा जाएगा। इधर, यह तथ्य भी उभरकर आ रहा है कि पूर्व में रहे विभाग प्रमुखों द्वारा तबादला-प्रमोशन के मामलों में क्लर्क का जमकर इस्तेमाल किया गया। जबकि क्लर्क केवल अपनी तल्खमिजाजी को लेकर सबके आंखों की किरकिरी बनता रहा।
कार्मिक विभाग द्वारा पूर्व में कई कार्रवाई
मामले में विजिलेंस की जांच के घेरे में कार्मिक विभाग के ई-2 (पर्सनल विभाग) में कार्यरत क्लर्क को भी लिया गया था। लेकिन शुरुआती दौर में ही विभाग द्वारा डिलिंग क्लर्क संतोष सिन्हा का तबादला कर दिया गया था। दरअसल कमर्शियल विभाग से जुड़े ट्रांसफर व प्रमोशन की डिलिंग यानी अंतिम आदेश जारी करना इसी सेक्शन का काम था। बताया यह भी जा रहा कि सेक्शन में लंबे समय से आदेश जारी करने में लेतलाली होती थी। बल्कि बदले में मिठाई के पैकेट, भेंट सहित पूजन की सामग्री मंगवाई जाती रही। इसकी विभाग के बड़े अधिकारियों को भनक तक नहीं लगती थी।