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मैं और मेरी कविता

चंद्रयान-3 की चांद पर सफलतम लेंडिंग से हर कोई गौरवान्वित है। मिशन मून को पूरा कर भारतीय वैज्ञानिकों ने अपनी दक्षता का दुनिया मे लोहा मनवाया। वहीं भारत देश को विश्व पटल पर चांद जैसा चमकने का मौका दिया। इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी सहित देशवासियों ने वैज्ञानिकों को तहेदिल से प्रशंसा की। न्यूज जंक्शन-18 से जुड़े रचनाकारों ने भी ‘मैं और मेरी कविता’ स्तम्भ में अपनी कविताओं के माध्यम से इस शुभ अवसर का अपनी रचनाओं में बखान कर शाब्दिक शुभकामनाएं दी है।

जलज शर्मा
संपादक,
न्यूज जंक्शन-18
212, राजबाग़ रतलाम (मप्र)।
मोबाइल नंबर-9827664010

रचनाओं के मुख्य चयनकर्ता


संजय परसाई ‘सरल’
118, शक्तिनगर, गली नंबर 2
रतलाम (मप्र)।
मोबाइल नंबर-9827047920


बधाई की इस मंगल बेला में

जा बैठा
चन्द्रयान – तीन
चन्द्रमा के उस छोर पर
जहां नहीं पहुंच पाई थी
अब तक सूरज की कोई किरण

जांबाज़ साइन्सदानों ने
खोल दिये कई – कई दरवाज़े एक साथ
अब होने को है बूंदा-बांदी
हज़ारों – हज़ार नई जानकारियां
बरसेंगी धरती पर
और खुलने लगेंगे चन्द्रमा के
अनदेखे, अनसुलझे कई – कई राज़

बधाई, बधाई,
कहते, सुनते हुए
प्रफुल्लित हृदय ने
मंद – मंद मुस्कुराते हुए कहा

चलो अब कोई
हृदययान भी बनाया जाए
और उतार दिया जाए
जन-जन के हृदय – पटल पर
जो टटोल कर ले आये
दुनिया भर से
हृदय-हृदय के कहे – अनकहे रस-रंग

बज उठेंगे मृदंग
अनुगुंजित होने लगेंगी स्वर लहरियां
और समूह गान अपने शबाब पर होंगे
सब की सब एक स्वर में, एक लहर में –
झंकृत होंगी आवाज़ें –

“भूख-प्यास से,
राग – द्वेष से, मार-काट से,
कुटिल हास से –
कुंठित – परिहास से,
हर अंधे विश्वास से
मुक्ति हो, मुक्ति हो, मुक्ति हो”

चलो अब कोई
हृदययान भी बनाया जाए
और उतार दिया जाए
जन – जन के हृदय – पटल पर

बधाई की इस मंगल बेला में
यह ज़िम्मेदारी आप पर, हम पर है ।

-यूसुफ़ जावेदी
रतलाम (मप्र)।
—–

 

मैं तुम्हारी ही प्रतीक्षा कर रहा था

तुम चले आए बहुत अच्छा किया ये
मैं तुम्हारी ही प्रतीक्षा कर रहा था ।

कौन से ऊंचाइयों ने पर लगाए
क्यों ज़मीं पर पाॅंव मेरे टिक न पाए ?
भूल बैठा था ठहरने का सलीका
व्यग्रता ने उस घड़ी क्यूंकर न रोका ।
उस विफलता पर कभी रोया नहीं मैं
तब से पल-पल की समीक्षा कर रहा था ।

एक ठोकर रास्ते सौ खोलती है,
हर कदम को चूमती है , बोलती है –
यह न रुकने का समय ,चलते ही रहना
कोशिशें अपनी सदा करते ही रहना ।
मंज़िलों की राह सबको मैं दिखाकर
खुद स्वयं की ही परीक्षा कर रहा था।

इस धरातल पर जमा कर पाॅंव रखना,
साथ अपने धूप रखना, छांव रखना ।
खो न देना तुम कभी विश्वास अपना,
पूर्ण करना है तुम्हें दुनिया का सपना।
कल यहां जो पल तुम्हारे नाम होगा ,
मैं तो बस उसकी सुरक्षा कर रहा था।

आशीष दशोत्तर
12/1,कोमल नगर, रतलाम (मप्र)
मोबा. 98270 84966
——-

चन्द्रयान 3

माँ एक बात अब सुनो ना
माँ चन्दा मामा तो है अपना प्यारा मामा ।
सदियों से है ये हम सब का मामा ।
अब अपने भारत ने पूरा किया सपना ।
23 अगस्त 2023 को चाँद की जमीं पर पहुँचा ,
चन्द्रयान 3 सँजाये करोड़ो भारतवासी का सपना ।
अब चाँद की जमीं पर माँ चलो ना ।
इसबार राखी चन्दा मामा को खुद बाँधना ।
घरा पर भी सभी इसरो वैज्ञानिकों कों राखी बाँधना ।
इन्होने ही पूरा किया हम सब का सपना ।
हिम्मत है तो परिश्रम से सब मुमकिन है ।
एक दिन आसमान के हर दिशा में तिरंगा लहरायेगें ।
ये भी हम भारतवासी को यक़ीन है ।
चन्दामामा तो है सदियों से ननिहाल हमारा ।
चाँद के हर कोने पर तो अपने मामा की ही ज़मीन है ।

निवेदिता सिन्हा
भागलपुर , बिहार।
——

 

भारत का विज्ञान

 

विक्रम उतरा  चाँद  पर,
हुआ सफल  अभियान।
विश्व पटल पर आज फिर,
भारत  बना  महान।।

पढ़ा  नहीं  है  विश्व ने,
भारत   का  विज्ञान ।
गटक गये थें  सूर्य को,
महा  बली हनुमान ।।

तैर रहा है  आज भी ,
राम  सेतु   को  देख।
पत्थर से पत्थर जुड़ा ,
बता  कहाँ है  मेख।।

अंगुली पर धारण किया,
पर्वत श्री गिरिराज ।
दुनियां कापी कर रही,
सकल हमारे काज।

और अचंभे बहुत हैं,
तू भी जाए मान।
दिखला देंगे सब तुझे,
आना हिन्दुस्तान ।

-कैलाश वशिष्ठ
म.न.27 तेजानगर
रतलाम  (मप्र)।
——

 

चलो चांद पर जाते है

चलो चांद पर जाते है,
स्वप्न सुमधुर सजाते है।
कहते हैं खुद को मामा तो,
भानजे हम बन जाते हैं।
चलो चांद पर जाते है,
स्वप्न सुमधुर सजाते है।

चंद्रयान-3 का नवाचार,
अनुसंधानों के खोजे द्वार।
जल से जीवन की ओर,
चांद पर एक और कदम बढ़ाते है।
चलो चांद पर जाते है,
स्वप्न सुमधुर सजाते है।

बचपन के प्यारे मामा,
शीतल से न्यारे मामा,
आओ आज धरा मां से,
हम तुम्हें मिलाते है।
चलो चांद पर जाते है,
स्वप्न सुमधुर सजाते है।

विक्रम, प्रज्ञान रचेंगे अब,
पराक्रम, ज्ञान का नव इतिहास।
नव अनुसंधानों से चांद पर,
तिरंगे का मान ये बढ़ाते है।
चलो चांद पर जाते है,
स्वप्न सुमधुर सजाते है।

-डॉ. गायत्री शर्मा
इन्दौर (मप्र)।
——-

 

चंद्र भूमि चैतन्य हुई…।

साकार हुई प्रार्थनाएं,
मानवता ये धन्य हुई,
भारत भूमि के तेज से,
चंद्र भूमि चैतन्य हुई…।

धरती का यूं तो रिश्ता,
चांद से पुराना है,
पर इसकी मिठास को,
अब और भी बढ़ाना है,
विश्व कल्याण के भाव को,
लेकर गया है चंद्रयान,
चंद्र बड़ा ही पुलकित है,
छूके धरती का विज्ञान,
भारत माता की इच्छा से,
भेंट बड़ी सौजन्य हुई,
भारत भूमि के तेज से,
चंद्र भूमि चैतन्य हुई…।

साकार हुई प्रार्थनाएं,
मानवता ये धन्य हुई,
भारत भूमि के तेज से,
चंद्र भूमि चैतन्य हुई…।

यशपाल तंँवर
रतलाम (मप्र)।
——

 

चंद्रयान पे तिरंगा लहराया

वेदों के शब्दों की शक्ति में भी हैं वृहद विज्ञान,
प्रज्ञा पुंज है, देवो की भाषा जिसमे सारा जहान।
शब्दभेदी बाणों से हुआ मोहम्मद गोरी का अंत,
अभिधा, व्यंजना, लक्षणा ने मिटाए दिग दिगंत ।
चंद्रयान पे तिरंगा सिवान व सोमनाथ ने लहराया,
पुलकित हो गई भारत मां जनगण मन हर्षाया ।।

-रमेशचंद्र चांगेसिया ‘प्रभात’
राष्ट्रीय ओजस्वी कवि गीतकार
बड़नगर, जिला उज्जैन (मप्र)।

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भारत कामान विक्रम चंद्रयान


इसरो के कर्म योगीयो ने रच दिया इतिहास।
विश्व को कर दिया अपनी शक्ति का एहसास।।
धरती की माटी मली ,चांद के भाल पर।
दुश्मन घबरा गए ,जब चांटा लगा गाल पर।।
इसरो ने चलाया ,एक महा अभियान।
चांद की सतह पर ,उतारा चंद्रयान।।
देख कामयाबी दुनिया भी, खूब हुई हैरान।
वैज्ञानिकता के बल से मिला देश को मान।।
चंदा मामा दूर का मित्थक टूट गया।
पूरा किया वह सपना जो पहले टूट गया।।
आने वाली पीढ़ी को यह है बड़ी सौगात।
सीना गर्व से फूल उठा, इतनी बड़ी यह बात।।

-दिनेश बारोठ ॓दिनेश
सरवन जिला रतलाम।

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