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दस साल की रिकवरी का दंश… स्‍थापना के बाद अकाउंट्स में फ‍िक्‍सेसन को सहीं माना, ऑडिट में भी ओके रिपोर्ट, फ‍िर कैसे काटी राशि

-ड‍िप्‍टी सीटीआई अनिल उपाध्‍याय की ग्रेज्‍यूटी से रिकवरी राशि काटने का मामला
न्‍यूज जंक्‍शन-18
रतलाम। रेलवे के सिस्‍टम में भुगतान की प्रक्रिया के तहत पहले स्‍थापना फ‍िर अकाउंट्स विभाग द्वारा पुख्ता जांच की जाती है। इसके बाद ऑडिट भी किया जाता है। ततपश्चात संबंधित को भुगतान किया जाता है। रिटायर्ड डिप्‍टी सीटीआई अनिल उपाध्‍याय के फ‍िक्‍सेसन भुगतान की प्रक्रिया में भी ऐसी ही प्रक्रिया पूरी की गई। इसके बाद भी इंक्रीमेंट की गणना यानी फ‍िक्‍सेसन को 10 साल बाद गलत मान लिया और ग्रेज्‍यूटी से 1.73 लाख रुपए काट लिए गए। विभाग की लापरवाही के चलते हुए आर्थिक नुकसान तथा मानसिक प्रताड़ना पर सीनियर सीटीजन द्वारा अब हाइकोर्ट में गुहार लगाने की पुख्‍ता तैयारी की है।

रिटायर्ड का तर्क तर्कसंगत:- रिटायर्ड कर्मचारी का तर्क पूरी तरह से तर्कसंगठत बताया जा रहा है। बताया गया कि उन्‍हें सीटीआई वेतनमान 9300-34800-4200 के तहत 20.2.2015 को पदोन्‍नति दी गई थी। पदोन्‍नति पर वेतन निर्धारण करते समय विभाग द्वारा ग्रेडपे के आधार पर वेतनवृद्धि 15550 रुपए दी गई। दरअसल जब स्‍थापना से यह फ‍िक्‍सेन स्‍वीकृत कर इसे अकाउट्स विभाग में भेजा गया। वहां जांच पड़ताल के बाद इसकी ऑडिट में जांच की गई है। तीनों प्रक्रियाओं में उपयुक्‍त ठहराया गया। इसके बाद कर्मचारी को 10 साल तक रिटायरमेंट वर्ष 2024 के पहले तक वेतन के रूप में भुगतान किया जाता रहा। सीनियर सिटीजन उपाध्याय का तर्क है कि जब फ‍िक्‍सेसन की प्रक्रिया को पूरी तरह से उपयुक्‍त मान लिया गया। तो इसे बाद में गलत कैसे ठहराया गया। उनकी ग्रेज्‍यूटी से राशि काटना न्‍यायसंगत नहीं है।

यहीं तथ्‍य मंत्रालय के आदेश में भी उल्‍लेख‍ित:- रिटायर्ड डिप्‍टी सीटीआई का यह तर्क मंत्रालय के आदेश में भी पूर्व से ही उल्‍ल‍ेखित है। दरअसल 15.7.2024 में आदेश जारी किया गया था। इसके बिंदू नंबर 4 में स्‍पष्‍ट उल्‍लेख है। हर कर्मचारी के मामले में 2 लाख रुपए तक के अधिक भुगतान की वसूली को रेल मंत्रालय रेलवे बोर्ड सदस्‍य वित्‍त-रेलवे बोर्ड की सहमति और अध्‍यक्ष एवं मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी रेलवे बोर्ड के अनुमोदन से माफ किया जा सकता है। 2 लाख रुपए से अधिक की वसूली माफी के प्रस्‍ताव को सदस्‍य वित्‍त-रेलवे बोर्ड की सहमति और अध्‍यक्ष एवं मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी रेलवे बोर्ड के अनुमोदन से व्‍यय विभाग, वित्‍त मंत्रालय को भेजा जाना जारी रहेगा। सभी प्रस्‍ताव को प्रधान वित्‍त सलाहकार की सहमति और महाप्रबंधक के अनुमोदन से ही अग्रेसित किया जाए। लेकिन दूसरी ओर उपाध्‍याय सहित अन्‍य के मामलों में ऐसे प्रस्‍ताव क्‍यों नहीं भेजे गए यह भी बड़ा सवाल है।

जिम्‍मेदारों से वसूली जाए रिकवरी राशि:- मामले में ग्रेज्युटी राशि से काटी गई राशि जिम्‍मेदार विभागों के अधिकारी से वसूली जाए। वह इसलिए कि सीनियर सीटीजन द्वारा 10 साल वेतन की राशि में से आयकर विभाग को भी भुगतान किया जाता रहा। मांग की जा रही कि उन्‍हें मय ब्‍याज के राशि भुगतान की जाए।

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