न्यूज़ जंक्शन-18
रतलाम। रेलवे के विभागों में पिरियोडिकल तबादलें की कार्रवाई जरूर की जा रही है। लेकिन इंजीनियरिंग सहित कुछ विभाग है। जहां अभी भी कर्मचारियों पर अफसरों की खूब मेहरबानी बनी हुई है। सेंसटिव पोस्ट पर नियुक्त रहे कर्मचारी वहां से हटने का नाम नहीं ले रहे। लगता है इनके जिम्मेदारों को भी इन्हें हटाने की ज्यादा अड़ी नहीं है। इसकी मुख्य वजह है मंडल मुखिया का विभागों पर दबाव का अभाव मानी जा रही है। ऐसे में सेंसेटिव पोस्ट पर बैठे कर्मचारी व इनके अफसर पूरी तरह से उन्मुक्त होकर भुगतान बिल वाली वज़नदार फाइलों को हंसते हंसते आगे बढ़ा रहे है।
इन विभागों में कार्रवाई न होने पर सवाल:- पहला मामला इंजीनियरिंग विभाग का है। डीआरएम ऑफिस में सेंसेटिव पोस्ट पर पदस्थ ओएस आरपी मीणा व सीनियर क्लर्क पिंटू जोगी ऐसी अनदेखी के ज्वलंत उदाहरण है। अफसर की विशेष मेहरबानी के चलते इन्हें सालों से कुर्सी से हटाया नहीं गया। विभाग में हालात यह है कि इन पदों पर किसी अन्य कर्मचारियों के तबादले होते भी हैं तो इन्हें ज्वाइनिंग के लिए मशक्कत करना पड़ती है। हालांकि पिछले दिनों क्लर्क जेपी यादव का तबादला जरूर किया गया, लेकिन वह भी सीपीएम (चीफ प्रोजेकट मैनेजर) की मांग पर हुआ है। अपने निजी आरोपों व विवादों से कुछ माह पूर्व घिरे यादव भी मंडल कार्यालय को छोड़ना नहीं चाहते थे।
यहां लंबे समय से डटे कर्मचारी:- इधर, मटेरियल विभाग में अवधेश कुमार, मैकेनिकल विभाग में एसएसई हर्षित जैन, भूपेंद्र कुमार राम, कंस्ट्रक्शन विभाग में सलीम मेव जैसे कर्मचारियों को रेलवे बोर्ड की पॉलिसी के बावजूद सालों से हटाया नहीं गया। ऐसे में दूसरे कर्मचारी रेलवे के नियमों की रीति-नीति पर उंगलियां उठा रहे है।
इसलिए भी बढ़ी निरंकुशता :- तबादलों के मामले में पूर्व डीआरएम रजनीश कुमार की सख्त कार्यशैली का खामियाजा इन अफसरों को बखूबी उठाना पड़ा था। खबरों के प्रकाशन के बाद 24 घंटे में कार्रवाई कर रिपोर्ट मांगी जाती थी। अब वर्तमान में कार्रवाई के भय से मुक्त अफसर पूरी तरह से तनाव मुक्त है। ऐसे में अंदरूनी तौर पर जमकर आर्थिक अनियमितता को बढ़ावा मिलने लगा है। साथ ही मंडल में नियम पूरी तरह से बेपटरी हो चले है। बावजूद जनसंपर्क विभाग का मानना है कि रेलवे में नियमों से तबादलों की कार्रवाई की जाती है।