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रेल संगठनों में अलटा-पलटी, हमारा नेता कैसा हो…नारों में नेताओं के नाम बदल जाएंगे, शिकायत के बाद अपना रवैया नहीं बदल रहा तोता, ऑपरेटिंग के शेरा का हर चेम्बर व कुर्सी पर दखल,

जलज शर्मा,

हे प्रभु, इन दिनों रेल संगठनों में अलटा-पलटी का दौर क्या शुरू हुआ, उन संगठनों के नेताओं की बैठे-ठाले अचानक परेशानियां बढ़ गई। रेल मंडल के किसी सेक्शन के दो अदने नेताओं को दूसरे संगठन ने हार पहना दिए। इनकी खबरें आई तो पहले संगठन में खलबली मच गई। ताबड़तोड़ मुनादी कर दी गई कि इन्हें तो हमने पहले ही इन्हें निकाल फैंका था। इतना ही नहीं, वर्चस्व का पाला बराबर करने के लिए दूसरे संगठन के एक और अदने नेता को पहले वाले यानी लाल झंडे वाले संगठन में शामिल कर इसे हार पहना दिया। पर मजदूर वाले पहले संगठन के पदाधिकारी कहां चुप बैठने वाले है। ये सब एक बार फिर पाला बराबर करने की फिराक में जुट गए है। सुगबुगाहट शुरू हुई तो ये छोटे हार के बजाय बड़े हार का ऑर्डर देने की तैयारी में जुट गए है। ऐसे में अब सभी को इंतजार है कि ऐसा कौन सा पदाधिकारी होगा, जिसे बड़ा हार पहनाया जाएगा।
हे प्रभु, जगन्नाथम संगठनों के चुनाव के बाद कुछ दिनों अदला-बदली का दौर शुरू हुआ था। तब दो बत्ती पर हार वालों की अच्छी खासी कमाई हुई थी। अब यह दौर दोबारा शुरू हो है। हार की दुकान वाले भैया को एक वजनदार (51किलो) हार बनाने का यह कहकर ऑर्डर दिया है कि वे जब भो फोन लगाए बड़ा हार तैयार रखना। ऐसा हुआ तो नारेबाजी में संगठन के नेताओं के नाम भी अदला-बदली हो जाएंगे।

शिकायत के बाद भी रवैया नहीं बदल रहा तोता

इस बात को कुछ सप्ताह भी नहीं बीते कि एक और तोता डोरे डालने के लिए तैयार हो गया। हालांकि यह मामला उजागर हो गया। क्योंकि मैना को इसकी हरकत नागवार गुजरी और मनचले की चेम्बर में जाकर कर दी शिकायत।
यह मामला इंजिन वाले ऑफिस के निचले तल पर स्थित एक सेक्शन में लंबे समय से बैठे एक अधेड़ तोते को लेकर सामने आया था। सिरफिरा यह अधेड़ तोता लंबे समय से टेबल पर जमकर बेचारे साथियों पर ही रोब झाड़ता फिरता है। लेकिन पिछले दिनों एक सीधी-साधी मैना के साथ बदसलूकी कर बैठा। बाद में इसे दबंग वाले चुलबुल पांडे की कचहरी की तर्ज पर अफसर ने अपने चेम्बर में तलब किया। तब यह तोता किसी कौवे की तरह को..को..काव.. काव..कर घबरा गया। कचहरी में खड़ा किया तो इसे सबक सिखाया, जमकर लताड़ भी लगाई।
हे प्रभु, लंबी शिकायत के बाद भी समस्या का स्थाई हल नहीं निकाला गया। कभी ब्रिज की ओर बैठने वाला तोता उड़कर दूसरे स्थान (टेबल) पर है। वहां अपनी ही ड्राइंग बनवा कर अपनी कला का रोब झाड़ने में बाज नहीं आ रहे है। बड़ी बात है कि अफसर ये सब देखकर आ रहे है।

ऑपरेटिंग के शेरा का हर चेम्बर व कुर्सी पर दखल

रेल इंजिन वाले ऑफिस में ऑपरेटिंग विभाग के शेरा के चर्चे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। मालिशगिरी में इस शेरा ने फ़िल्मी सलमान के शेरा को भी अब पीछे छोड़ दिया है। मालिशगिरी के बूते पर इसका प्रभाव दूसरे सेक्शन व विभागों में भी बरकरार है। पिछले दिनों वीआईपी सेल में सीनियर क्लर्क की कुर्सी पर जमकर खुद ही कम्प्यूटर ऑपरेट कर ट्रेनों में बर्थ की सर्चिंग करता दिखाई दिया।

वहीं दो दिन पहले जीएम अवॉर्ड ट्रॉफी लेकर टीम रतलाम आई। तो यह शेरा निचले तल पर वित्त वाले अफसर के चेम्बर में जा घुसा। शाम 6 बजे बाद वहां और भी अधिकारी आकर गपशप में मशगूल थे। वे आपस में ही बतिया रहे थे। तब चेम्बर में पहुंचा ऑपरेटिंग विभाग का यह शेरा खड़ा-खड़ा अपनी मंद-मंद मुस्कान बिखेर वहां भी स्वामिभक्ति दिखा रहा था।
हे प्रभु, जिन अधिकारियों के बीच चेम्बर में इनका कोई खास कर्मचारी भी ज्यादा देर खड़ा नही रह सकता है। वहां शेरा की मौजूदगी हैरान करने वाली है। ऐसे नजारे देखकर लगता है कि संभवतः ऐसे शख्स मोहन जोदड़ो की खुदाई से निकले होंगे।

आरडीएसओ फंड के चेक पर अब दूसरे सचिव के हस्ताक्षर होंगे

रतलाम मंडल खेलकूद संघ में प्रत्याशित तरीके से सचिव पद के फेरबदल की संभावनाओं पर आखिरी मोहर लग ही गई। यह पद ट्रेक्शन से अब वित्त वाले अफसर के हाथों चला गया। खेलकूद संघ के अकाउंट के चेक पर अब वित्त वाले साहब हस्ताक्षर करेंगे। हालांकि हैरानी हो रही है…। जब पिछली अंतर मंडलीय बैडमिंटन टूर्नामेंट में रतलाम मंडल का दबदबा रहा है। और भी प्रदर्शन आशातीत रहे है। बावजूद मंडल के बड़े साहब ने चेक हस्ताक्षर के अधिकार के साथ ही पूरी की पूरी कुर्सी ही बदल दी..? इस फेरबदल में अब मरण खेलकूद वाले कल्याणी भाई का हो जाएगा। क्योंकि कल्याणी भाई के ऑफिस की टेबल दूसरी मंजिल पर है। इन्हें पहले फाइल दिखाने, लेटर पर हस्ताक्षर करवाने नीचे पहली मंजिल स्थित ट्रेक्शन वाले साहब के चेम्बर तक आना-जाना पड़ता था। अब इन्हें थकते-थकते दूसरी मंजिल से और नीचे यानी सीधे निचले तल वित्त वाले साहब के चेम्बर तक आना-जाना पड़ेगा।
खेर, प्रभु हर खेल में पाला बदला जाता है। ऐसे में खेलकूद सचिव पद का पाला भी बदल दिया गया। ऐसा न हो कि छह माह बाद कोई और नया सचिव बना दिया जाए। वरना प्रतियोगिता के वक्त मैदान में हाथ मिलाकर परिचय देते वाले खिलाड़ी भी नए सचिव (अधिकारी) की सूरत पहचानने में कन्फ्यूज हो जाएंगे।
हे प्रभु, जगन्नाथम…ये सब क्या हो गया।

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